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लेखांकन की शिक्षा कौशल एवं मूल्य आधारित हो – प्रो. नागेश्वर राव

मोहनलाल सुखाडिय़ा विश्वविद्यालय के लेखांकन एवं सांख्यिकी विभाग तथा भारतीय लेंखाकन परिषद उदयपुर शाखा के संयुक्त तत्वावधान में लेखांकन में समसामयिक मुद्दों पर आयोजित दो दिवसीय राष्ट्रीय सेमीनार का उद्घाटन शुक्रवार प्रात: विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. आई.वी. त्रिवेदी ने किया।

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लेखांकन की शिक्षा कौशल एवं मूल्य आधारित हो – प्रो. नागेश्वर राव

मोहनलाल सुखाडिय़ा विश्वविद्यालय के लेखांकन एवं सांख्यिकी विभाग तथा भारतीय लेंखाकन परिषद उदयपुर शाखा के संयुक्त तत्वावधान में लेखांकन में समसामयिक मुद्दों पर आयोजित दो दिवसीय राष्ट्रीय सेमीनार का उद्घाटन शुक्रवार प्रात: विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. आई.वी. त्रिवेदी ने किया।

इस अवसर पर कुलपति ने अपने अध्यक्षीय उद्बोधन में कहा कि ऐसे सेमीनार से युवा शोधार्थियों को अपने ज्ञान में अभिवृद्धि एवं व्यक्तित्व विकास का सुअवसर मिलता है।

अतिथियों का स्वागत सेमीनार निर्देशक प्रो. जी सोरल ने किया। सेमीनार की रूपरेखा पर प्रकाश डालते हुए सचिव डॉ. शूरवीर सिंह भाणावत ने कहा कि यह सेमीनार तीन विषयों पर केन्द्रित है – राजकीय लेखांकन, निगम प्रतिवेदन तथा लेखांकन में नये उभरते हुए मुद्दे।

उन्होंने कहा कि सरकारी लेखांकन संक्रमण काल से गुजर रहा है अत: अन्तर्राष्ट्रीय मानकों को अपनाने की सख्त आवश्यकता है।

लेखांकन की शिक्षा कौशल एवं मूल्य आधारित हो – प्रो. नागेश्वर राव

उद्घाटन सत्र के मुख्य वक्ता जवाहरलाल नेहरू प्रबन्ध संस्थान के प्रो. नागेश्वर राव ने अपने उद्बोधन में कहा कि आज लेखांकन विषय में हम केवल ज्ञान पर केन्द्रित हो गये हैं और अध्यापक केवल उपलब्ध ज्ञान का हस्तान्तरण मात्र कर रहे हैं। चाहे वह प्रासंगिक हो या नही जबकि हमें कौशल एवं मूल्य आधारित लेखांकन शिक्षण पद्धति को बढ़ावा देना चाहिए तथा शिक्षण पद्धति व्यवहारिक ज्ञान एवं द्विपक्षीय वार्ता पर आधारित होनी चाहिए। उन्होंने बताया कि काल्पनिक परिस्थितियों का उदाहरण देने की बजाय वास्तविक वैयक्तिक अध्ययनों पर जोर देना चाहिए एवं अनुसंधान प्रक्रियात्मक अध्ययन से परे होना चाहिए। सेमीनार कन्वीनर एवं विभागाध्यक्ष प्रो. सी.एम. जैन ने धन्यवाद ज्ञापित किया।

उद्घाटन के पश्चात आयोजित प्रथम तकनीकी सत्र की अध्यक्षता प्रो. नागेश्वर राव ने की तथा समन्वयक डॉ. ओ.पी. जैन थे। सत्र के प्रतिवेदक डॉ. पुष्पकान्त शाकद्विपी तथा अजहर अहमद शेख थे। राजकीय लेखांकन पर आधारित इस सत्र में चौदह शोध प्रत्र प्रस्तुत किये गये।

प्रो. नागेश्वर राव ने बताया कि सरकारी घोटाले का मुख्य कारण लेखांकन में इकहरा लेखा प्रणाली का विद्यमान होना है। यदि दोहरा लेखा प्रणाली को अपनाया जाये तो न केवल सरकारी लेखांकन में पारदर्शिता आएगी अपितु जवाबदेयता  एवं विश्वास भी बढ़ेगा।

निगम प्रतिवेदन पर केन्द्रित द्वितीय तकनीकी सत्र की अध्यक्षता सरदार पटेल विश्वविद्यालय वल्लभ विद्यानगर के प्रो. पी. के राठौड़ ने की तथा उपाध्यक्ष प्रो. एम.एल नाहर थे। समन्वयक बी.एन. कॉलेज के लेखा एवं सांख्यिकी विभागाध्यक्ष डॉ. अभय जारोली थे। प्रतिवेदक प्रशान्त सिंह एवं निशा कालरा थे। सत्र में कुल सत्रह शोध पत्र प्रस्तुत किये गये ।

प्रो. पी. के राठौड़ ने बताया कि लुकास पेसियोली द्वारा आविष्कृत लेखांकन विधि में कोई परिवर्तन नहीं आया है किन्तु वित्तीय सूचनाओं के मापन, प्रस्तुतीकरण एवं प्रतिवेदन में अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर लागू एक्सबीआरएल तथा आईएफआरएस से परिवर्तन आया हैं।

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