लेखांकन का जन्म जवाबदेयता से होता है : डॉ. नाहर


लेखांकन का जन्म जवाबदेयता से होता है : डॉ. नाहर

भारतीय लेखांकन परिषद की उदयपुर शाखा द्वारा गत दिवस वाणिज्य एवं प्रबन्ध अध्ययन महाविद्यालय में लेखांकन की वास्तविक दुनिया विषय पर गोलमेज सेमीनार का आयोजन किया गया। सेमीनार के मुख्य वक्ता डॉ. एम.एल. नाहर तथा सी.ए. डॉ प्रकाश हिंगड़ थे।

 

भारतीय लेखांकन परिषद की उदयपुर शाखा द्वारा गत दिवस वाणिज्य एवं प्रबन्ध अध्ययन महाविद्यालय में लेखांकन की वास्तविक दुनिया विषय पर गोलमेज सेमीनार का आयोजन किया गया। सेमीनार के मुख्य वक्ता डॉ. एम.एल. नाहर तथा सी.ए. डॉ प्रकाश हिंगड़ थे।

डॉ. एम.एल. नाहर ने लेखांकन को सर्वव्यापी बताते हुए कहा कि लेखांकन का जन्म जवाबदेयता से होता है। लेखांकन कला एवं विज्ञान दोनों है किन्तु लेखांकन रूपी कला का जब गलत प्रयोग किया जाता है तो वह घोटालों और गबन को जन्म देती है। उन्होंने बताया कि अंकेशकों की नियुक्ति संचालक मण्डल द्वारा की जाती है और अनुमोदन वार्षिक साधारण सभा में किया जाता है, किन्तु अंशधारी इस अधिकार का प्रयोग सही दिशा में नहीं करते हैं।

सी.ए. डॉ. प्रकाश हिंगड़ ने बताया कि केवल परिवर्तन ही स्थाई होता है तथा वर्तमान समय में राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय लेखांकन मानक लेखा नितियां एवं विधियां सभी सतत् रूप से परिवर्तन की और अग्रसर है। अत: इन परिवर्तनों को आत्मसात् करने के लिए हमें निरन्तर नवाचारों को अपनाना होगा तथा लीक से हटकर सोचना होगा। उन्होंने यह भी बताया कि लेखाकार, शोधकर्ता एवं शिक्षक राष्ट्र निर्माण के साझेदार होते हंै तथा उनका अस्तित्व इस तथ्य पर निर्भर करता है कि उन्होंने कितना योगदान दिया है।

स्थानीय शाखा सचिव डॉ. शूरवीर सिंह भाणावत ने बताया कि आज विश्वविद्यालयों में पढ़ाये जाने वाला पाठ्यक्रम और औद्योगिक जगत की आवश्यकताओं के बीच का अन्तर बढ़ता जा रहा है। इस सम्मेलन का मुख्य उद्देश्य यह पता करना है कि अन्तर किन कारणों से उत्पन्न हो रहा है और विश्वविद्यालय इन अन्तर को समाप्त करने के लिए क्या भूमिका अपना सकता है।

अतिथियों का स्वागत करते हुए स्थानीय शाखा एवं सेमीनार अध्यक्ष प्रो. जी.सोरल ने लेखांकन के शैक्षिक एवं वास्तिविक स्वरूप में अन्तर को कम करने के लिए विषय सामग्री को सरल बनाने तथा व्यावहारिक प्रश्नों की जटिलता को कम करने का सुझाव दिया।

उन्होंने सम्मेलन के दौरान सहभागियों की सक्रियता की सराहना की। सेमीनार में पैसिफिक विश्वविद्यालय के प्रबन्ध संकाय के निदेशक डॉ. के.के. दवे, डॉ. शिल्पा वर्डिया, सेवानिवृत आर.ए.एस. मोहन टेलर ने भी भाग लिया। अन्त में सहायक व्याख्याता मुकेश वर्मा ने धन्यवाद ज्ञापित किया।

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