क्षमापना अपने आप में सम्पूर्ण शब्द : कनकश्रीजी
क्षमापना का अर्थ ही अपने आप में सम्पूर्ण है। इसमें क्ष यानी क्षति हुई हो तो, मा यानी मुझे माफ करना, प यानी पश्चाताप करना और ना यानी नहीं करुंगा। आज का दिन ही क्षमा मांगने का है। वर्ष भर में अपनी जाने-अनजाने में हुई गलतियों के लिए सम्पूर्ण जगत के जीवों से क्षमा मांगनी चाहिए।
क्षमापना का अर्थ ही अपने आप में सम्पूर्ण है। इसमें क्ष यानी क्षति हुई हो तो, मा यानी मुझे माफ करना, प यानी पश्चाताप करना और ना यानी नहीं करुंगा। आज का दिन ही क्षमा मांगने का है। वर्ष भर में अपनी जाने-अनजाने में हुई गलतियों के लिए सम्पूर्ण जगत के जीवों से क्षमा मांगनी चाहिए।
ये विचार साध्वी श्री कनकश्रीजी ने शनिवार सुबह अणुव्रत चौक स्थित तेरापंथ भवन में पर्युषण पर्व के समापन पर मैत्री दिवस (खमतखामणा) पर धर्मसभा में मौजूद सैकड़ों श्रावक-श्राविकाओं को संबोधित करते हुए व्यक्त किए। उन्होंने आचार्य महाश्रमण, साध्वीप्रमुखा कनकप्रभा से खमतखामणा करते हुए कहा कि खमतखामणा से दिल के भीतर का अंत:करण विशाल होता है।
रुमाल में गांठें लग जाए तो वह कितना छोटा हो जाता है ठीक उसी प्रकार अगर रुमाल से गांठें खोल दी जाए तो वह कितना बड़ा हो जाता है। ठीक उसी तरह अपने मन की गांठें भी खोल दें, फिर देखें वह कितना बड़ा बन जाएगा। गुरु से बड़ा कोई नहीं होता। आचार्य महाश्रमण अपने अनुशंगी साधु-साध्वियों का बहुत ध्यान रखते हैं। वे काफी चिंता करते हैं। जब वे इतना महत्व देते हैं तो खमतखामणा स्वत: हो जाती है। जगत के सभी जीव से खमतखामणा करती हूं। सम्पूर्ण जीवों के प्रति अंत:करण में मैत्री भाव छलछला रहा है। जन्म-जन्मांतर में न जाने कितनों से सम्बन्ध हुआ है।
साध्वी मधुलता ने कहा कि कल हमने संवत्सरी पर्व मनाया। जिस तरह दही को मथने से मक्खन निकलता है ठीक उसी तरह संवत्सरी मन को मथने का दिन होता है। क्षमायाचना करें। क्षमा सिर्फ मांगें नहीं, बल्कि करें भी। सिर्फ उपरी मन से हाथ मिलाने, गले मिलने से क्षमा नहीं होती बल्कि अपना अहं भाव छोड़ें। अकड़े रहेंगे तो कुछ नहीं हो पाएगा। भीतर का रोष आज निकाल दें। इस दौरान सभी साध्वीवृंदों वीणा कुमारी, साध्वी मधुलता, साध्वी मधुलेखा, साध्वी समितिप्रभा ने साध्वी श्री कनकश्रीजी से सामूहिक रूप से क्षमायाचना की।
इससे पहले सभाध्यक्ष राजकुमार फत्तावत ने धर्मसंघ के एकादशम अधिशास्ता आचार्य महाश्रमण, साध्वी प्रमुखा कनकप्रभा, यहां विराजित बहुश्रुत परिषद की सदस्या साध्वी कनकश्रीजी, अन्य साध्वीवृंदों सहित समस्त श्रावक समाज से अंत:करण से क्षमायाचना करते हुए कहा कि विश्व में इस तरह क्षमायाचना का पर्व कहीं नहीं मनाया जाता। राग, द्वेष, ईष्र्या को खत्म करें। तेरापंथ भवन, महाप्रज्ञ विहार के छोटे से छोटे कर्मचारी से लेकर सभी पदाधिकारियों से क्षमायाचना करता हूं कि अध्यक्ष रहते हुए धर्मसंघ की मर्यादा के अनुरूप कार्य करने में निश्चय ही कभी कोई कड़वे प्रवचन निकले हों तो उसके लिए खमतखामणा करता हूं।
आगामी दिनों में होने वाले कार्यक्रमों की जानकारी देते हुए फत्तावत ने बताया कि रविवार को आचार्य कालूगणी के निर्वाण महोत्सव के साथ सभा की नवगठित कार्यकारिणी का शपथ ग्रहण समारोह भी होगा। सुबह 9.30 बजे कार्यक्रम के मुख्य अतिथि ग्रामीण विकास एवं पंचायतीराज मंत्री गुलाबचंद कटारिया होंगे। इसी प्रकार 6 सितम्बर को तेरापंथ युवक परिषद के तत्वावधान में मेगा ब्लड डोनेशन कैम्प, 7 सितम्बर को आचार्य भिक्षु के निर्वाण महोत्सव पर मेगा हृदयरोग जांच शिविर का आयोजन होगा।
आरंभ में सभा के संरक्षक शांतिलाल सिंघवी, ज्ञानशाला के निदेशक फतहलाल जैन, महिला मंडल की मंत्री दीपिका मारू, तेरापंथ युवक परिषद के अध्यक्ष अभिषेक पोखरना, पूर्व अध्यक्ष धीरेन्द्र मेहता, तेरापंथ प्रोफेशनल फोरम की राष्ट्रीय कार्यकारिणी के सदस्य कपिल इंटोदिया, अणुव्रत समिति के अध्यक्ष गणेश डागलिया आदि ने अपने अपने संगठनों की ओर से क्षमायाचना की। साध्वीवृंदों ने मधुर गीतिका प्रस्तुत की। संचालन सभा के मंत्री सूर्यप्रकाश मेहता ने किया।
अंत में बैले, तैले, चौले व पंचोले वाले श्रावक-श्राविकाओं ने प्रत्याख्यान लिए। 13 उपवास करने वाली तपस्वी रमेश कुमार ने भी प्रत्याख्यान लिया वहीं साध्वी मधुलता ने सभी से मासखमण की तपस्या का आग्रह किया।
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