जीवन में अंधकार को भी स्वीकार करेंः स्वामीनाथन


जीवन में अंधकार को भी स्वीकार करेंः स्वामीनाथन

ब्रहमकुमार ई.व्ही. स्वामीनाथन ने कहा कि जीवन में प्रकाश सभी को अच्छा लगता है लेकिन हमें सच्चाई के साथ अंधकार को भी स्वीकार करना चाहिये क्योंकि उस अंधकार के बाद पुनः नया सवेरा अपने आने की प्रतीक्षा कर रहा होता है। वे आज ब्रह्मकुमारीज़ की ओर से आमजन को खुशियां देने के लिये आयोजित किये गये तीन दिवसीय वाह जिदंगी वाह कार्यक्रम के तीसरे व अंतिम दिन के प्रथम सत्र में बोल रहे थे। उन्होंने कहा कि जब अंधकार होता है प्रकाश का और दुख होता है तो सुख का और व्यक्ति के इस दुनिया से चला जाने पर उसका महत्व समझ में आता है। किसी बात पर तत्काल प्रतिक्रिया न दें। पहले बात को समझें,उस पर विचार करें और उसके बाद उस पर प्रतिक्रिया देंवे।

 
जीवन में अंधकार को भी स्वीकार करेंः स्वामीनाथन

ब्रहमकुमार ई.व्ही. स्वामीनाथन ने कहा कि जीवन में प्रकाश सभी को अच्छा लगता है लेकिन हमें सच्चाई के साथ अंधकार को भी स्वीकार करना चाहिये क्योंकि उस अंधकार के बाद पुनः नया सवेरा अपने आने की प्रतीक्षा कर रहा होता है। वे आज ब्रह्मकुमारीज़ की ओर से आमजन को खुशियां देने के लिये आयोजित किये गये तीन दिवसीय वाह जिदंगी वाह कार्यक्रम के तीसरे व अंतिम दिन के प्रथम सत्र में बोल रहे थे। उन्होंने कहा कि जब अंधकार होता है प्रकाश का और दुख होता है तो सुख का और व्यक्ति के इस दुनिया से चला जाने पर उसका महत्व समझ में आता है। किसी बात पर तत्काल प्रतिक्रिया न दें। पहले बात को समझें,उस पर विचार करें और उसके बाद उस पर प्रतिक्रिया देंवे।

स्वामीनाथन ने कहा कि आज हमारें संबंध लेनदेन पर आधरित हो गये है, जो गलत है। हम ईश्वर को प्रेम का सागर कहते है लेकिन हम उसी के नाम पर सबसे अधिक झगड़े करते है। मन एवं बुद्धि की फ्रिक्वेंसी एक स्थल पर केन्द्रीत करना होगा तब जा कर आपका आभामण्डल दिखाई देगा। टूटे हुए दिल को जोड़ना बहुत बड़ी चुनौती है।

स्वामीनाथन ने तीसरे दिन आपसी संबंधों में मधुरता, समरसता पर बोलते हुए कहा कि वैश्विक कम्पनियां अब आध्यात्म को स्वीकार कर रही है इससे आपसी संबंधो में मधुरता बनती जा रही है। जीवन में तीन प्रश्नों मैं कौन हं, क्या कर रहा में और कहां जा रहा हूं, इसमें जीवन का गूढ रहस्य छिपा हुआ है। क्रोध प्रबन्धन के लिये क्रोध के विचारों की मात्रा को कम करना चाहिये। तीसरे व अंतिम दिन स्वामीनाथन ने हाॅल में मौजूद सैकड़ों लोगों को राष्ट्रगीत का महत्व समझाया और नृत्य के साथ खुश रहने का मंत्र दिया।

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