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डायलिसिस के लिए बने फिस्टूला में एंजियोप्लास्टी पहली बार गीतांजली में

गीतांजली हॉस्पिटल के नेफ्रोलॉजी विभागाध्यक्ष डॉ जी.के. मुखिया ने 64 वर्षीय बुजुर्ग के डायलिसिस फिस्टूला की सिकुड़न की एंजियोप्लास्टी कर शरीर के रक्तसंचार व हिमोडायलिसिस की प्रक्रिया को सामान्य किया। राजस्थान में किडनी फेल्यर रोगियों की डायलिसिस फिस्टूला का एंजियोप्लास्टी द्वारा उपचार का यह प्रथम सफल मामला है।

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डायलिसिस के लिए बने फिस्टूला में एंजियोप्लास्टी पहली बार गीतांजली में

गीतांजली हॉस्पिटल के नेफ्रोलॉजी विभागाध्यक्ष डॉ जी.के. मुखिया ने 64 वर्षीय बुजुर्ग के डायलिसिस फिस्टूला की सिकुड़न की एंजियोप्लास्टी कर शरीर के रक्तसंचार व हिमोडायलिसिस की प्रक्रिया को सामान्य किया। राजस्थान में किडनी फेल्यर रोगियों की डायलिसिस फिस्टूला का एंजियोप्लास्टी द्वारा उपचार का यह प्रथम सफल मामला है।

डॉ मुखिया ने बताया कि नीमच निवासी 64 वर्षीय आई.के.जोसेफ पिछले 3 वर्षों से किडनी फेल्योर के रोगी है। इसके चलते उन्होंने चित्तौड़, नडियाद व सरकारी अस्पताल में इलाज करवाया। जब पिछले कुछ दिनों से उनके डायलिसिस फिस्टूला वाले हाथ की हथेली में दर्द व सूजन होने लगी, तो गीतांजली में उपचार के दौरान डायलिसिस फिस्टूला की एंजियोग्राफी करने पर पाया कि हथेली की नसें फूली हुई है, और फिस्टूला भी सिकुड़ा हुआ है जिसके कारण हिमोडायलिसिस से भी रक्तसंचार सामान्य तरह से नही हो रहा था। तो डायलिसिस फिस्टूला को ठीक करने के लिए उसे एंजियोप्लास्टी द्वारा खोला गया।

इसके परिणामस्वरूप एक ही दिन में हाथों की सूजन कम हो गई, रक्तसंचार सामान्य हो जाने से हिमोडायलिसिस भी वे तुरंत ही करवा पाए और उन्हें लंबे समय तक भर्ती भी नही रहना पड़ा। उन्होंने यह भी बताया कि यदि इस फिस्टूला को ठीक नही किया जाता, तो इसमें रक्तप्रवाह बंद हो जाता और दुसरी नई फिस्टूला बनानी होती। चूंकि दोनों हाँथों में केवल चार ही जगह फिस्टूला बनाया जा सकता है, तो चिकित्सक की कोशिश यही रहती है कि फिस्टूला की समस्याओं को जांच और उपचार द्वारा ठीक कर उसकी अवधि को जितना संभव हो सके उतना बढ़ाया जाए।

डायलिसिस फिस्टूला क्या होता है? शरीर का माध्यम जिसमें नसों और धमनियों के बीच सर्जरी द्वारा संपर्क बनाया जाता है, ताकि डायलिसिस के दौरान रक्त खींचने व मशीन द्वारा रक्त वापस पहँुचने में मददगार हो। डायलिसिस फिस्टूला ज्यादा कारगर माध्यम इसलिए है क्योंकि यह लंबी अवधि तक काम करता है और इसमें जटिलताएं भी कम रहती है।

लेकिन कुछ मरीजों में इसकी परेशानियां सामने आती है जैसे फिस्टूला वाले हाँथ में सूजन, रक्तप्रवाह जरूरत से कम मिलना, डायलिसिस की सुई निकालने के बाद रक्त प्रवाह न रूकना, मुख्य शिराओं या धमनियों में सिकुडापन। चूंकि इस मरीज की डायलिसिस फिस्टूला में सिकुडन के कारण हाँथ में सूजन आने लगी थी, तब इसे उपचार कर एंजियोप्लास्टी द्वारा खोला गया।

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