मीरा कन्या महाविद्यालय द्वारा वार्षिक अनुसंधान सेमिनार


मीरा कन्या महाविद्यालय द्वारा वार्षिक अनुसंधान सेमिनार

मोडल कॉलेज के तत्वावधान में एक दिवसीय वार्षिक अनुसंधान सेमिनार का आयोजन राजकीय मीरा कन्या महाविद्यालय द्वारा किया गया।

 

मोडल कॉलेज के तत्वावधान में  एक दिवसीय वार्षिक अनुसंधान सेमिनार का आयोजन राजकीय मीरा कन्या महाविद्यालय द्वारा किया गया।

प्राचार्या डॉ. सविता जोशी ने अतिथियों का स्वागत करते हुए महाविद्यालय की उपलब्धियों से अतिथियों को अवगत कराया। साथ ही शोध प्रक्रिया में आने वाली समस्याओं पर भी प्रकाश डाला।

उन्होंने कहा कि महाविद्यालय एवं विश्वविद्यालय में शोध संबंधी प्रक्रियाओं में अच्छा समन्वय होना चाहिए। प्राचार्या डॉ. सविता जोशी ने कहा कि शोध निर्देशक का रजिस्ट्रेशन जिन विषयो में ऑन लाइन नहीं है उनमें भी  ऑन लाइन प्रक्रिया द्वारा होना चाहिए। आवंटित शोधार्थी में आवंटन  उचित तरीके से होना चाहिए और विश्वविद्यालय को इस प्रक्रिया में कोई भेदभाव नहीं बरतना चाहिए।

साथ ही शोध छात्र की फीस का 60 प्रतिशत संबंधित  महाविद्यालय को देना चाहिए जहॉ पर वह  शोध  कार्य कर रहा है। वाईवा में भी विषय से संबंधित एक्सपर्ट को ही बुलाना चाहिए।

सेमीनार कोर्डिनेटर डॉ. जयंत शर्मा ने सेमीनार विषय का प्रवर्तन किया। मॉडल कॉलेज प्रभारी डॉ. विमला पोखरना ने मॉडल कॉलेज की गतिविधियों की जानकारी दी।

मुख्य अतिथि प्रो. संजय लोढ़ा डीन स्नातकोक्तर अध्ययन एवं विभागाध्यक्ष, राजनीति विज्ञान विभाग ने अपने उद्बोधन में शोध प्रक्रिया में किए जाने वाले विभिन्न सुधारों की ओर इंगित किया। प्रो. लोढ़ा ने महाविद्यालय की शोध प्रक्रिया में आने वाली समस्याओं को सकारात्मक रुप से दूर करने का संकल्प जताया। उन्होंने कॉलेज द्वारा शोध सम्भावनाओं को बढ़ाने के लिए कार्यशाला आयोजित करने की बात कही।

प्रो. जी. सोरल प्रोफेसर कोमर्स कॉलेज ने अपने उद्बोधन में शोध परियोजना के वितीय प्रबन्धन पर प्रकाश डाला। उनके अनुसार किसी भी वितीय सहायता  देने वाली संस्थाओं के नियमों को ध्यानपूर्वक अध्ययन करना चाहिए ताकि प्रस्ताव बनाने में कोई कमी न रह पाए।

प्रो. नरेश भार्गव ने आर्टस और प्रो. एस. सी. आमेटा ने विज्ञान शोधार्थियों के लिए दिशा निर्देश दिये। पीएच.डी. प्रस्ताव कैसे बनाया जाए और शोध प्रबंध तैयार करने में किन महत्वपूर्ण बातो का ध्यान रखा जाए को विस्तार से बताया एवं उन्होंने साहित्य समीक्षा एवं उद्देश्य निर्माण पर विशेष जोर देते हुए शोधार्थियों तथा संकाय सदस्यों की जिज्ञासाओं का समाधान किया।

सेमिनार के अन्त में कोर्डिनेटर डॉ. जयन्त शर्मा ने धन्यवाद ज्ञापित किया।

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