मार्तण्ड फाउंडेशन उदयपुर के कलाकार जानवे प.बंगाल में सम्मानित


मार्तण्ड फाउंडेशन उदयपुर के कलाकार जानवे प.बंगाल में सम्मानित

शांति निकेतन (प.बंगाल), भारतीय मूकाभिनय समर्पित 7 दिवसीय नौवा राष्ट्रीय मूकाभिनय उत्सव कोलकाता शांति निकेतन में 24 से 30 मार्च तक आयोजित हो रहा है। इंडियन माइम थिएटर और पूर्वी क्षेत्र सांस्कृतिक केंद्र, कोलकाता द्वारा इसे कोलकाता में 24 से 26 मार्च तक साल्ट लेक स्थित पूर्वी क्षेत्र सांस्कृतिक केंद्र के भारतीयम परिसर में तथा 27 मार्च से 30 मार्च सृजनी परिसर शांति निकेतन में हो रहा है। जिसमे भारत के विभिन्न राज्यो से 18 मूकाभिनय दल और बांग्लादेश के दो मूकाभिनय दल भाग ले रहे है। इसक

 

मार्तण्ड फाउंडेशन उदयपुर के कलाकार जानवे प.बंगाल में सम्मानित

शांति निकेतन (प.बंगाल), भारतीय मूकाभिनय समर्पित 7 दिवसीय नौवा राष्ट्रीय मूकाभिनय उत्सव कोलकाता शांति निकेतन में 24 से 30 मार्च तक आयोजित हो रहा है। इंडियन माइम थिएटर और पूर्वी क्षेत्र सांस्कृतिक केंद्र, कोलकाता द्वारा इसे कोलकाता में 24 से 26 मार्च तक साल्ट लेक स्थित पूर्वी क्षेत्र सांस्कृतिक केंद्र के भारतीयम परिसर में तथा 27 मार्च से 30 मार्च सृजनी परिसर शांति निकेतन में हो रहा है। जिसमे भारत के विभिन्न राज्यो से 18 मूकाभिनय दल और बांग्लादेश के दो मूकाभिनय दल भाग ले रहे है। इसका उद्घाटन 24 मार्च को हुआ। मार्तण्ड फाउंडेशन उदयपुर के कलाकार जानवे प.बंगाल में सम्मानित

आज उदयपुर राजस्थान के मार्तण्ड फाउंडेशन के कलाकार विलास जानवे और किरण जानवे ने गुरुदेव रविन्द्र नाथ टैगोर के नोबल पुरुस्कार प्राप्त काव्य गीतांजली की दो कविताओ पर मूकाभिनय प्रस्तुत कर दर्शको से प्रशंसा पाई। किरण जानवे ने गुरुदेव की कविता “मेरे बच्चे” को सुंदर अभिनय के साथ पेश किया। बच्चे के साथ खेलने, गाने, नाचने और लाड करने के द्र्श्यो को अपने सजीव अभिनय से मंच पर खड़ा किया।

मार्तण्ड फाउंडेशन उदयपुर के कलाकार जानवे प.बंगाल में सम्मानित

विलास जानवे ने गुरुदेव की कविता “कृपण” को नाट्य रूप में ढाल कर तीन पात्रो का अभिनय कर अपनी प्रतिभा का लोहा मनवाया। एक कंजूस भिखारी से भगवन खुद दान मांगते है तो कृपण उन्हें धान का केवल एक कण दान करता है, जान घर आकर झोली को पलटता है तो पता चलता है की भगवान् की कृपा से वह अन्न का कण सोने में बदल जाता है और कृपण को भयंकर पछतावा होता है कि उसने झोली भर कर दान क्यों नहीं दिया। दोनों मूकाभिनय का निर्देशन विलास जानवे का था और संगीत समर्थ जानवे का था। इंडियन माइम थिएटर के गुरु पद्मश्री निरंजन गोस्वामी ने जानवे दम्पति को सम्मानित किया।

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