नारी के स्वरुप

नारी के स्वरुप

कभी एक बूँद हूँ मैं, कभी सागर बन जाती हूँ
जननी हूँ मैं, फिर भी, भ्रूण में मारी जाती हूँ
वैसे तो ममता की मूरत, पर फ़ौलाद कभी बन जाती हूँ
माँ, बेटी और बीवी बनकर, सब पर प्यार लुटाती हूँ
हर दौर में, हर रूप में, कितनी क़ुरबानी देती हूँ
बदले में कुछ और नहीं बस, थोड़ा सम्मान मैं चाहती हूँ
बदले

 
नारी के स्वरुप आज अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के मौके पर उदयपुर टाइम्स की पाठिका नाज़नीन अली नाज़ ने एक ख़ूबसूरत कविता महिलाओ को समर्पित करते हुए उदयपुर टाइम्स.कॉम के पाठको के लिए भेजी है। कविता का शीर्षक है ‘नारी का स्वरुप’ जिसमे नाज़नीन ने नारी के विभिन्न स्वरुप को दर्शाया है।

कभी एक बूँद हूँ मैं, कभी सागर बन जाती हूँ

जननी हूँ मैं, फिर भी, भ्रूण में मारी जाती हूँ

वैसे तो ममता की मूरत, पर फ़ौलाद कभी बन जाती हूँ

माँ, बेटी और बीवी बनकर, सब पर प्यार लुटाती हूँ

हर दौर में, हर रूप में, कितनी क़ुरबानी देती हूँ

बदले में कुछ और नहीं बस, थोड़ा सम्मान मैं चाहती हूँ

बदले में कुछ और नहीं…………………………….

 

रामराज्य में बन कर सीता, अग्नि परीक्षा देती हूँ,

बनकर कभी द्रौपदी मैं, चीरहरण भी सहती हूँ

मीरा जैसी जोगन बनकर, कभी विष भी पीती हूँ

बनकर मरियम जैसी माता, यीशु का पोषण करती हूँ

पड़ जाए मुश्किल कभी जो, ज़ैनब सा हौंसला रखती हूँ

बदले में कुछ और नहीं, बस थोड़ा सम्मान मैं चाहती हूँ

बदले में कुछ और नहीं…………………………….

 

मर्दों की इस दुनिया में, कितना शोषण मैं सहती हूँ

खुद को जला जला कर, अपने घर को रोशन करती हूँ

औरों को खुश करने में ही, मैं खुद को खुश समझती हूँ

अपना कोमल ह्रदय लिए मैं, सबकी पीड़ा हरती हूँ

न पहुँचे तक़लीफ़ किसी को, हर काम मैं ऐसे करती हूँ

बदले में कुछ और नहीं, बस थोड़ा सम्मान मैं चाहती हूँ

बदले में कुछ और नहीं…………………………….

 

मुझको अबला न समझना, हर काम मैं खुद कर सकती हूँ

घर की चौखट में रहकर मैं, घर को सुसज्जित करती हूँ

कदम बढ़ाऊँ जो बाहर तो, चाँद पर भी जा सकती हूँ

साहिल पर खामोश रहूँ पर, तूफ़ानों से लड़ती हूँ

अपनी सतरंगी छवि से, दुनिया रंगीन कर सकती हूँ

बदले में कुछ और नहीं, बस थोड़ा सम्मान मैं चाहती हूँ

बदले में कुछ और नहीं, बस थोड़ा सम्मान मैं चाहती हूँ

   
नारी के स्वरुप. नाज़नीन अली ‘नाज़’

पाठको को बता दे की नाज़नीन अली नाज़ मूलतः उदयपुर की रहने वाली है फिलहाल कुवैत में रह कर अपनी सेवाएं दे रही है। अंग्रेजी माध्यम से अपनी शिक्षा पूर्ण करने वाली नाज़नीन हिंदी भाषा पर भी अच्छी पकड़ रखती है। नाज़नीन कुवैत में राइटर्स फोरम की एग्जीक्यूटिव मेंबर भी है। नाज़नीन को कुवैत की मौर्या कला परिसर कुवैत की ओर से हिंदी साहित्य जगत में उनके योगदान की लिए दिनकर पोएट्री अवार्ड से भी नवाज़ा जा चूका है।

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