जहां तक हो लेखक सम्मान-वेग से बचें: डॉ. भानावत
"ऐसे कई अवसर आते हैं जहां लेखक को ही तय करना होगा कि वह कौनसा सम्मान प्राप्त करे अथवा नहीं। एक सृजनकर्त्ता को जहां तक हो, सम्मान-वेग से बचना चाहिए। ये विचार प्रसिद्ध लोककलाविद् डॉ. महेन्द्र भानावत ने व्यक्त किये"।
“ऐसे कई अवसर आते हैं जहां लेखक को ही तय करना होगा कि वह कौनसा सम्मान प्राप्त करे अथवा नहीं। एक सृजनकर्त्ता को जहां तक हो, सम्मान-वेग से बचना चाहिए। ये विचार प्रसिद्ध लोककलाविद् डॉ. महेन्द्र भानावत ने व्यक्त किये”।
मौका था पिछले दिनों इलाहाबाद में डॉ. भानावत को मिले लोककला रत्न सम्मान की कड़ी में महावीर युवा मंच द्वारा आयोजित नवकार महामंत्र जाप के पष्चात अध्यक्ष अषोक लोढ़ा, महामंत्री मुकेष हिंगड, अर्जुन खोखावत, राजेष चित्तोडा, नीरज सिंघवी द्वारा डॉ. भानावत के सम्मान का।
इस अवसर पर आलोक पगारिया ने कहा कि डॉ. भानावत अकेले ऐसे व्यक्ति हैं जिन्होंने 60 वर्श पूर्व लोककलाधर्मी जातियों के मध्य अपने अध्ययन की षुरूआत की और उन्हें विष्वस्तरीय पहचान दिलाई।
डॉ. लोकेष जैन ने कहा कि एक ओर जहां पुरस्कार-सम्मान पाने वालों की होड़ लगी हुई हैं वहां डॉ. भानावत बिना किसी आष-उम्मीद के अपने लेखन-कर्म में साधनाषील बने हुए हैं। इनसे अन्य क्षेत्रों में भी जो लोग काम कर रहे हैं, उन्हें प्रेरणा लेनी चाहिए। सम्मान में युवा मंच के 25 युवा सदस्य परिवार उपस्थित थे।
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