अशोक बांठिया ने विद्यार्थियों को बताए थिएटर के टिप्स


अशोक बांठिया ने विद्यार्थियों को बताए थिएटर के टिप्स

"थिएटर मतलब पर्सनालिटी का प्रतिरूप है। जैसा हम देखते हैं, महसूस करते है, उसे हूबहू करने की कला को थिएटर एजुकेशन कहा जाता है। इसके लिए पर्सनालिटी डवलपमेंट की गहन आवश्यकता होती है। यदि आपमें बोलने, हंसने, चलने और कुछ करने की कला नहीं हैं, तो आप थिएटर का पार्ट नहीं बन सकेंगे" - यह कहना है उदयपुर के वरिष्ठ कलाकार अशोक बांठिया का जो हाल ही चाणक्य सीरियल में भूमिका निभा चुके हैं।

 

अशोक बांठिया ने विद्यार्थियों को बताए थिएटर के टिप्स

“थिएटर मतलब पर्सनालिटी का प्रतिरूप है। जैसा हम देखते हैं, महसूस करते है, उसे हूबहू करने की कला को थिएटर एजुकेशन कहा जाता है। इसके लिए पर्सनालिटी डवलपमेंट की गहन आवश्यकता होती है। यदि आपमें बोलने, हंसने, चलने और कुछ करने की कला नहीं हैं, तो आप थिएटर का पार्ट नहीं बन सकेंगे” – यह कहना है उदयपुर के वरिष्ठ कलाकार अशोक बांठिया का जो हाल ही चाणक्य सीरियल में भूमिका निभा चुके हैं।

वे सोमवार को राजस्थान विद्यापीठ के प्रतापनगर स्थित सभागार में विद्यार्थियों को थिएटर एजुकेशन व पर्सनालिटी डवलपमेंट की जानकारी दे रहे थे। इस अवसर पर उन्होंने डेमो के माध्यम से थिएटर की बारीकियां बताई। उन्होंने विभिन्न सीरियल और कलाकारों का उदाहरण देते हुए बच्चों की जिज्ञासाओं को शांत किया।

अशोक बांठिया ने विद्यार्थियों को बताए थिएटर के टिप्स

सेमिनार में अशोक बांठिया ने कहा कि थिएटर एजुकेशन का महत्व दिनों दिन गिरता जा रहा है। इसके लिए जरूरी है कि पाठयक्रमों में थिएटर एजुकेशन का पाठ पढाया जाए।

सेमिनार के अध्यक्ष एवं कुलपति प्रो. एसएस सारंगदेवोत ने कहा कि विद्यार्थियों में व्यकितत्व निखार का गुण होना बेहद आवश्यक है। स्कूल स्तर पर ही पर्सनालिटी डवलपमेंट का पाठ पढाया जाना आवश्यक है।

इस अवसर पर विशिष्ठ अतिथि के रूप में रंगकर्मी महेश नायक एवं रजिस्टार डॉ प्रकाश शर्मा ने भी विचार प्रकट किए। संचालन डॉ सुनीता सिंह ने किया। स्वागत भाषण डीन डॉ सुमन पामेचा ने दिया तथा धन्यवाद मनीष श्रीमाली ने ज्ञापित किया।

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