‘बरसन लागे सावन, बूंदिया आवन लागे’
रविवार को गुरू पूर्णिमा के पावन अवसर पर कैलाशपुरी स्थित भगवान एकलिंगनाथ जी के मंदिर में प्रात: अभिषेक आरती तत्पश्चात श्रृंगार आरती, राजभोग आरती एवं दोपहर को बड़ी आरती संपन्न हुई। इसके पश्चात सायंकाली वेला में पुन: श्रृंगार आरती, भोग आरती, बड़ी आरती पश्चात शयन आरती की गई।
रविवार को गुरू पूर्णिमा के पावन अवसर पर कैलाशपुरी स्थित भगवान एकलिंगनाथ जी के मंदिर में प्रात: अभिषेक आरती तत्पश्चात श्रृंगार आरती, राजभोग आरती एवं दोपहर को बड़ी आरती संपन्न हुई। इसके पश्चात सायंकाली वेला में पुन: श्रृंगार आरती, भोग आरती, बड़ी आरती पश्चात शयन आरती की गई।
इस अवसर पर महाराणा कुंभा संगीत कला ट्रस्ट द्वारा आयोजित स्वरांजली कार्यक्रम में प्रात:कालीन सत्र में बांसुरी वादक अजय प्रसन्ना ने राग अहीरी तोड़ी में बंदिश मध्य लय, द्रुत लय एवं शुद्ध सारंग के साथ ही मिश्र पीलू धुन जिसके बोल थे बरसन लागे सावन, बूंदिया आवन लागे… की प्रस्तुति बांसुरी पर दी। इससे पूर्व शास्त्रीय गायन कलाकार सुरभि आर्य ने राग गुजरी तोड़ी विलंबित मध्य लय तराना पेश किया। तत्पश्चात दो भजन प्रस्तुत किए। कलाकार आस्था गोस्वामी ने शुद्ध सारंग विलंबित एक ताल में भजन माई वी ने का से कहं… सुनाई एवं मध्य लय में अब मारी बात… के साथ द्रुत में मन हरवा… प्रस्तुत कर एकलिंगनाथ को स्वरांजलि दी। उन्होंने राग मिश्र खमाज में भजन बांसुरी बजाई आज रग सो मुरारी… प्रस्तुत कर समूचे मंदिर परिसर को संगीतमय कर दिया। उन्होंने अंत में भजन जय श्री शंकर… की प्रस्तुति दी।
सायंकालीन वेला में कलाकार राधिका सेमसन, भुवनेश सोमकली ने संगीत वाद्ययंत्रों के साथ बेहद रोचक भजन प्रस्तुत किए। कार्यक्रम के अंत में कलाकारों को सरोपाव भेंट किए गए। स्वरांजली में कलाकार सुधीर यार्दी, नीरज मिस्ट्री, भगवती प्रसाद, संपा सरकार, अमरदीप शर्मा, सबीर हुसैन, हरि ओम वर्मा, सुभाष कांतिदास, पत्ति खां, रामेन्द्र सिंह सोलंकी विभिन्न वाद्य यंत्रों के साथ संगत की।
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