कश्मीर को बचाने के लिये खून बहाने को तैयार रहे
सप्रसिद्ध पत्रकार पद्मश्री मुजफ्फर हुसैन ने नौजवानेां को आव्हान किया है कि वे कश्मीर को बचाने के लिए अपना खून बहाने को तैयार रहे । उन्हेांने यह भी कहा कि धारा 370 को समाप्त नहीं किया गया तो यह भू भाग हमारे पास में कभी नहीं रह पायेगा।
सप्रसिद्ध पत्रकार पद्मश्री मुजफ्फर हुसैन ने नौजवानेां को आव्हान किया है कि वे कश्मीर को बचाने के लिए अपना खून बहाने को तैयार रहे । उन्हेांने यह भी कहा कि धारा 370 को समाप्त नहीं किया गया तो यह भू भाग हमारे पास में कभी नहीं रह पायेगा।
हुसैन आज सुबह राजस्थान विद्यापीठ विश्वविद्यालय में कविराव मोहन सिंह पीठ द्वारा आयोजित राष्ट्रीय व्याख्यान में सम्बोधित कर रहे थे । व्याख्यान का विषय था कश्मीर- कल- आज और कल।
हुसैन ने कहा कि कश्मीर मामले में हमें लगता है कि पश्चिमी देश हमारा सहयोग करेंगे, लेकिन वो हमारे देश में व्यापार करना ज्यादा उचित समझते हैं। दूसरी तरफ हम इन देशों के भरोसे कश्मीर की लडाई लडने की आस में हैं। अगर शांति से हल निकालना है, तो दोनों देश मिलकर आपसी बातचीत कर लें। कम से कम दोनों देशों के सामने स्थिति तो स्पष्ट होगी।
उन्होंने कहा कि कश्मीर मुददा राजनीति का शिकार है। सियासत लेने की दौड में शामिल लोग पहले कश्मीर को प्रमुख मुददा कहते हैं, लेकिन जब उन्हे गददी मिल जाती है तो इस मुददे को भुला देते है । आज हालात तो यह भी है कि वहॉ भारतीयों को कोई अधिकार नहीं मिलता है लेकिन पाकिस्तान से वहां आने वालों को हम सहर्श संपत्ति सौंप देते हैं। व्याख्यानमाला के मुख्य अतिथि संभागीय आयुक्त वैभव गालरिया ने कहा कि हिंदुस्तान को समझने से पहले कश्मीर को समझना होगा। इस बात को भी याद रखना होगा कि हिंदुस्तान के निर्माण से पहले कश्मीर का निर्माण हुआ था।
इससे पूर्व विद्यापीठ के कुलपति प्रो एसएस सारंगदेवोत ने कश्मीर की भौगोलिक स्थितियों से जुडी जानकारियां दी। इस अवसर पर कविराव मोहनसिंह पीठ के अध्यक्ष उग्रसेन राव, नवगीतकार किशन दाधीच आदि ने भी अपने विचार व्यक्त किये।
कार्यक्रम में रजिस्ट्रार प्रो सीपी अग्रवाल, प्रो एसके मिश्रा, प्रो एनएस राव, डॉ मनीश श्रीमाली, डॉ सुनीता सिंह, डॉ षषि चित्तौडा, डॉ. हेमषंकर दाधीच,माणिक आर्य, दलपत सुराणा, डॉ धीरज जोशी, डॉ धर्मेंद्र राजौरा, कौशल नागदा, डॉ पारस जैन आदि उपस्थित थे। संचालन हीना खान ने किया।
पाक का मुंह बंद करना जरूरी
हुसैन ने कहा कि कश्मीर मुददे पर बात करने से पहले पाकिस्तान का मुंह बंद करना जरूरी है। कारण, यह है कि जब तक अधिकार क्षेत्र को लेकर ही स्थितियां स्पष्ट नहीं होगी तब तक इसके अन्य पहलुओं पर बात नहीं की जा सकती है।
इसके चलते कश्मीर मामले में जब भी कोई बात की जाएगी या राजनीतिक स्तर पर निर्णय लिया जाएगा तो उसमें कोई न कोई खामी जरूर रहेगी। रही बात पश्चिमी देशों के साथ व्यापार की तो हमारे पास जब पंद्रह रूप्ए हैं, और हम पचास रूप्ए उधार लेकर व्यापार करना चाहते हैं तो स्थितियां काफी संकट भरी ही होंगी।
समारोह के अन्त में बताया गया कि कविराव मोहन सिंह पीठ की ओर से देश के ज्वलन्त मुद्दों पर संगोष्ठीयॉ आयोजित की जायेगी और उससे निकलने वाले निष्कर्ष को लागू करवाने का प्रयास किया जायेगा। सबसे पहले इसमें कश्मीर समस्या को चुना गया है।
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