लेखन की परम्परा का आगाज राजस्थान से – डॉ. राजशेखर व्यास
वरिष्ठ इतिहासकार एवं लेखक डॉ. राजशेखर व्यास ने कहा कि राजस्थान में पुस्तक लेखन की पम्परा मेंवाड़ 7 वीं एवं 8वीं शताब्दी में शुरू हुई।
वरिष्ठ इतिहासकार एवं लेखक डॉ. राजशेखर व्यास ने कहा कि राजस्थान में पुस्तक लेखन की पम्परा मेंवाड़ 7 वीं एवं 8वीं शताब्दी में शुरू हुई।
पुस्तके लिखने में मेवाड़, हाडोती, मारवाड़ प्रमुख केन्द्र रहा। उन्होने बताया कि ये पुस्तके अपने अपने क्षेत्र की भाषाओं में लिखी गई है जैसे कोटा की हाडोती, मेवाड़ की मेवाड़ी, मारवाड़ की मारवाड़ी तथा डुंगरपुरकी वागड़ी भाषाओं में हस्त लिखित ग्रंथ देखने को मिलते है।
वर्तमान में हस्त लिखित पाण्डुलिपि जो की लाखों की संख्यां में प्राच्य विद्यापीठ संस्थान, साहित्य संस्थान, जोधपुर संस्थान, हाडोती शोध संस्थान में रखी हुई है जिनके संरक्षण एवं संवर्द्ध्रन की आवश्यकता है। वर्तमान समय में पुस्तकों का स्तर गिरता जा रहा है। वर्तमान समय में लेखक प्रकाशक के पास जाता है और अपनी पुस्तक प्रकाशन के लिए आग्रह करता लेकिन छः दशक पूर्व प्रकाशक किसी विषय वस्तु केा लेकर लेखक के पास जाता था और लिखने का आग्रह करता था।
उन्होने कहा कि पुस्तकों के गिरते स्तर का प्रमुख कारण लेखकों की संख्यॉ में वृद्धि होना। उन्होंने कहा कि आज हर क्षेत्र का लेखक चाहता है कि मेरी पुस्तक का प्रकाशन हो। डॉ. व्यास शुक्रवार को जनार्दनराय नागर राजस्थान विद्यापीठ विश्वविद्यालय एंव राष्ट्रीय पुस्तक न्यास भारत, मानव संसाधन विकास मंत्रालय भारत सरकार के संयुक्त तत्वावधान आयोजित सात दिवसीय पुस्तक प्रकाशन प्रमाण पत्र के चौथे दिन मुख्य वक्ता के रूप में प्रतिभागियों को सम्बोधित कर रहे थे।
अध्यक्षता करते हुए प्रो. एस.एस. सारंगदेवोत ने कहा कि मेवाड़ में प्राचीन समय से मेवाड़ में लेखन की परम्परा रही है। उन्होने कहा कि मेवाड़ में राजा महाराजाओं के समय से बावजी चतुर सिंह जी, गुमान सिंह जी, केसरी सिंह बारहठ, विजयदान देथा, दीन दयाल शर्मा, मावजी महाराज, कर्नल जेम्स टाड ने राजस्थान का इतिहास पुस्तक डबोक स्थित विद्यापीठ परिसर में बैठ कर लिखी।
अनेक संत व लेखकों ने लेखन की परम्परा को शुरू किया था। उन्होने कहा कि पुस्तक का प्रकाशन वहीं व्यक्ति व संस्था कर सकता है जिसका उद्देश्य व्यवसायिक न हो कर सेवा भावना का हो। ऐेसे बहुत से प्रकाशक है जो न्यूनतम दर पर अच्छी से अच्छी पुस्तकों को आम जन तक पहुंचाते है। उनका समाज को अच्छी पुस्तके उपलब्ध कराने का दायित्व होता है।
नेशनल बुक ट्रस्ट के डिप्टी डायरेक्टर डी. सरकार ने प्रतिभागियों को फोटो शॉप एवं पेज मेकर में कैसे बुक्स का प्रकाशन किया जाता है उसका लाईव डेमों के माध्यम से विस्तार से बताया।
सेमीनार में प्रोडेक्शन आफिसर नरेन्द्र कुमार ने बताया कि चार तकनीकी सत्रों में 125 प्रतिभागियों ने हिस्सा लिया। सेमीनार में डॉ. जेहरा बानू, प्रतिभा सामर, मुकेश निरूणे, सिद्धेश्वर बिराजवार, अंकित मेघवाल, कुशाग्र जैन, चन्द्रे छतवानी, डॉ. कुलशेखर व्यास, डॉ. बबीता रसीद, डॉ. नवीन बिश्नोई, डॉ. देवेन्द्रा आमेटा सहित अनेक प्रतिभािगयों को सवाल जबाव किए।
To join us on Facebook Click Here and Subscribe to UdaipurTimes Broadcast channels on GoogleNews | Telegram | Signal