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दवा और दुआ दोनों हार गई, पर पति का संघर्ष बन गया मिसाल

तीन मासूमों के सिर से उठा माँ का साया, 10 दिनों तक मौत से लड़ता रहा पति
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कहते हैं जहाँ दवा जवाब दे जाती है, वहाँ दुआ असर दिखाती है, लेकिन भीम उपखंड के तारागढ़ शेरों का वाला निवासी दिलीप सिंह की जिंदगी में किस्मत ने इससे अलग ही कहानी लिख दी। अपनी जीवनसंगिनी को बचाने के लिए 10 दिनों तक मौत से आँखें मिलाने वाले दिलीप सिंह की तमाम कोशिशें नाकाम रहीं और तीन मासूम बच्चों के सिर से माँ का साया हमेशा के लिए उठ गया।

30 वर्षीय दिलीप सिंह की पत्नी मीरा देवी (29) छह माह की गर्भवती थीं। 15 दिसंबर को अचानक पेट में तेज दर्द उठा, जिससे परिवार की खुशियाँ मातम में बदल गईं। दिलीप तत्काल पत्नी को लेकर अहमदाबाद रवाना हुए। साथ में पीहर पक्ष से मीरा की माँ और भाई भी पहुँचे। अस्पताल के गलियारों में दिलीप ने दिन-रात एक कर दिए। न नींद थी, न भूख, बस एक ही जिद थी कि किसी भी हाल में मीरा को बचाना है।

21 दिसंबर को डॉक्टरों ने छुट्टी दी तो उम्मीद जगी, लेकिन घर लौटते समय भीम के पास ही मीरा की तबीयत अचानक फिर बिगड़ गई। बिना समय गंवाए उन्हें अजमेर के जेएलएन अस्पताल विक्टोरिया ले जाया गया, जहां मीरा को वेंटिलेटर पर रखा गया। दो दिनों तक जिंदगी और मौत के बीच संघर्ष चलता रहा।

अस्पताल में मौजूद हर व्यक्ति की आँखें तब नम हो गईं, जब उन्होंने दिलीप को देखा। कभी वह दवाइयों के लिए भागते दिखे, तो कभी डॉक्टरों के सामने हाथ जोड़ते हुए। एक पल के लिए भी उन्होंने मीरा का हाथ नहीं छोड़ा। गांव वालों के अनुसार दिलीप का यह संघर्ष ‘कलयुग के श्रवण कुमार’ जैसा था।

तमाम चिकित्सकीय प्रयासों और दुआओं के बावजूद मीरा देवी जिंदगी की जंग हार गईं। उनके निधन के साथ ही दिलीप का 10 दिनों का संघर्ष एक गहरे जख्म में बदल गया।

मीरा के पीछे तीन मासूम बच्चे रह गए-13 वर्षीय बेटी, जो अब कम उम्र में जिम्मेदारी समझने को मजबूर है; 12 वर्षीय बेटा, जिसकी आँखों में पिता का संघर्ष और माँ को खोने का दर्द साफ झलकता है; और एक साल की मासूम बच्ची, जिसे अभी यह भी नहीं पता कि जिसकी ममता को वह ढूंढ रही है, वह अब कभी लौटकर नहीं आएगी।

गांव में शोक की लहर है। लोग दिलीप सिंह के संघर्ष और निस्वार्थ प्रेम को हमेशा याद रखने की बात कह रहे हैं। मीरा भले ही इस दुनिया से चली गईं, लेकिन पति का यह समर्पण समाज के लिए एक भावुक और प्रेरणादायक मिसाल बन गया है।

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