बीएन कॉलेज में चल रही दो दिवसीय अन्तर्राष्ट्रीय संगोष्ठी का समापन
"राष्ट्रीय एकता के लिए एवं बेहतर मनुष्य जीवन के लिए शिक्षा सदैव प्रासंगिक रहेगी। विश्व का बदलता हुआ परिदृश्य का मूल आधार शिक्षा ही रहा है। विश्व में आज शान्ति का जो माहौल है उसके पीछे शिक्षा के महत्व को अस्वीकार नहीं किया जा सकता है" - उक्त विचार डॉ. सुबोध अग्रवाल, सम्भागीय आयुक्त, उदयपुर ने भूपाल नोबल्स स्नातकोत्तर महाविद्यालय की राष्ट्रीय सेवा योजना की इकाइयों, भूपाल नोबल्स स्नातकोत्तर कन्या महाविद्यालय की राष्ट्रीय सेवा योजना की इकाइयों, वेल-बिंग सोसाइटी एवं इण्डो-जर्मन सोसाइटी के राजस्थान चैप्टर के संयुक्त तत्वावधान में शिक्षा, खुशहाली एवं राष्ट्रीय एकता पर आयोजित दो दिवसीय अन्तर्राष्ट्रीय संगोष्ठी के समापन सत्र में बतौर मुख्य वक्ता के रूप में व्यक्त किए।
“राष्ट्रीय एकता के लिए एवं बेहतर मनुष्य जीवन के लिए शिक्षा सदैव प्रासंगिक रहेगी। विश्व का बदलता हुआ परिदृश्य का मूल आधार शिक्षा ही रहा है। विश्व में आज शान्ति का जो माहौल है उसके पीछे शिक्षा के महत्व को अस्वीकार नहीं किया जा सकता है” – उक्त विचार डॉ. सुबोध अग्रवाल, सम्भागीय आयुक्त, उदयपुर ने भूपाल नोबल्स स्नातकोत्तर महाविद्यालय की राष्ट्रीय सेवा योजना की इकाइयों, भूपाल नोबल्स स्नातकोत्तर कन्या महाविद्यालय की राष्ट्रीय सेवा योजना की इकाइयों, वेल-बिंग सोसाइटी एवं इण्डो-जर्मन सोसाइटी के राजस्थान चैप्टर के संयुक्त तत्वावधान में शिक्षा, खुशहाली एवं राष्ट्रीय एकता पर आयोजित दो दिवसीय अन्तर्राष्ट्रीय संगोष्ठी के समापन सत्र में बतौर मुख्य वक्ता के रूप में व्यक्त किए।
उन्होंने कहा कि व्यक्ति स्व-निर्देश व दूसरों के निर्देश से सामंजस्य कर राष्ट्र के निर्माण में योग कर सकता है। भारत में शिक्षा के प्रति पूर्ण जागरूकता का अभाव है और उम्मीद है कि हम शिक्षा के मूल्य को प्राप्त कर जीवन को खुशहाल बनाने के लक्ष्य को भी प्राप्त कर लेंगे।
विशिष्ट अतिथि प्रो. पी. के. जैन, अधिष्ठाता, प्रबन्ध एवं अध्ययन संकाय ने कहा कि देश में शिक्षा के प्रति जागरूकता राष्ट्रीय एकता और खुशहाल जीवन के सन्दर्भ में एक सकारात्मक दृष्टिकोण का परिचायक है। उन्होंने कहा कि शिक्षा से प्राप्त ज्ञान व्यक्ति को सही दिशा की ओर अग्रसर करता है।
संस्थान के प्रबन्ध निदेशक डॉ. निरंजन नारायण सिंह राठौड़ ने उद्बोधन देते हुए दो दिवसीय संगोष्ठी की सम्पूर्णता पर सन्तोष व्यक्त किया और कहा कि दो दिवसीय संगोष्ठी के निष्कर्ष समाज और राष्ट्र के खुशहाल जीवन के लिए दिशा-निर्देश प्रदान करेंगे और आगे नए वैचारिक आयामों को व्यापक दृष्टि मिलेगी।
दो दिवसीय अन्तर्राष्ट्रीय संगोष्ठी के विभिन्न तकनीकी सत्रों में लगभग सौ पत्र पढ़े गए। इस अवसर पर प्रबन्ध कार्यकारिणी सदस्य एवं अन्य विषय विशेषज्ञ उपस्थित थे। इस सत्र में अतिथियों का स्वागत भूपाल नोबल्स स्नातकोत्तर कन्या महाविद्यालय के प्राचार्य प्रो. नटवर लाल शर्मा ने किया।
द्वितीय दिवसीय तकनीकी सत्र में डॉ. स्मिता सिंह, डॉ. सुजान सिंह, डॉ. अश्विनी रंजनीकर, विकास भट्ट, अंकिता शेखावत, अरविन्द कुमार ने विषय पर अपने महत्वपूर्ण विचारों को अभिव्यक्त किया। तकनीकी सत्र की अध्यक्षता करते हुए डॉ. कमला कंवरानी ने कहा कि महिलाओं को सामान्य शिक्षा के साथ-साथ स्वास्थ्य शिक्षा के प्रति भी जागरूक किए जाने की महती आवश्यकता है।
सह-अध्यक्षता डॉ. कल्पना जैन ने मनोवैज्ञानिक दृष्टि से विषय पर अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि परिवार, समाज, राष्ट्र के निर्माण में महिला की भूमिका अत्यन्त महत्वपूर्ण है। अतः इस दृष्टि से महिलाओं को मनोवैज्ञानिक दृष्टि से सम्वल प्रदान किए जाने की ज़रूरत है और संगोष्ठी में इस विषय पर भी ध्यान केन्द्रित करने की आवश्यकता थी। इसके साथ ही तकनीकी सत्र में विभिन्न पत्र वाचकों ने विषय पर अपने विचार पत्र वाचन के माध्यम से व्यक्त किए।
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