बोहरा समाज के बच्चों की निखरी कला, देश के ख्यातनाम आर्टिस्ट वाज़िद खान ने सराहा

बोहरा समाज के बच्चों की निखरी कला, देश के ख्यातनाम आर्टिस्ट वाज़िद खान ने सराहा

बोहरा समाज के धर्मगुरू सैय्यदना साहब द्वारा गत दिनों इन्दौर में आयोजित आशूरा कार्यक्रम के दौरान दिये गये 8 विषयों को ध्यान में रखते हुए उदयपुर के देहलीगेट स्थित सैफी सी.सै.स्कूल ने समाज के बच्चों में छिपी पेन्टिंग कला को बाहर निकालने के लिये एक दिवसीय चित्रकला प्रदर्शनी विद्यालय परिसर में आयोजित की। जिसका उद्घाटन देश के ख्यातनाम आर्टिस्ट वाजिद खान ने किया।

 

बोहरा समाज के बच्चों की निखरी कला, देश के ख्यातनाम आर्टिस्ट वाज़िद खान ने सराहा

बोहरा समाज के धर्मगुरू सैय्यदना साहब द्वारा गत दिनों इन्दौर में आयोजित आशूरा कार्यक्रम के दौरान दिये गये 8 विषयों को ध्यान में रखते हुए उदयपुर के देहलीगेट स्थित सैफी सी.सै.स्कूल ने समाज के बच्चों में छिपी पेन्टिंग कला को बाहर निकालने के लिये एक दिवसीय चित्रकला प्रदर्शनी विद्यालय परिसर में आयोजित की। जिसका उद्घाटन देश के ख्यातनाम आर्टिस्ट वाजिद खान ने किया।

विद्यालय के प्राचार्य ने बताया कि इस प्रदर्शनी में बच्चों ने सैय्यदना साहब द्वारा पहाड़, प्रकृति, नदी, पशु, बादल, फूल सहित दिये गये 8 विषयों से प्रेरणा लेते हुए कक्षा 3 से 12 तक के बच्चों ने अपनी कल्पनाओं को कागज पर ब्रश के जरिये उकेरा तो समाज का हर एक व्यक्ति अचंभित रह गया क्योंकि उन्हें आज तक यह नहीं मालूम था कि समाज के भीतर भी इतनी बड़ी कला छिपी हुई है।

बोहरा समाज के बच्चों की निखरी कला, देश के ख्यातनाम आर्टिस्ट वाज़िद खान ने सराहा

प्रदर्शनी में उदयपुर सहित सलूम्बर, परतापुर, डूंगरपुर के करीब 350 बच्चों ने कला का परिचय दिया। मुख्य अतिथि वाजिद खान ने इस अवसर पर बच्चों के प्रयासों की सराहना की।

बोहरा समाज के बच्चों की निखरी कला, देश के ख्यातनाम आर्टिस्ट वाज़िद खान ने सराहा

वाजिद खान ने बच्चों को सिखाया रंगों का समायोजन करना- वाज़िद खान ने आज विद्यालय में ही आयोजित एक वर्कशाॅप में सभी 350 बच्चों को चित्रकला में रंगों का समायोजन एवं सही स्थान पर सही रंग का चयन करने के साथ ही ब्रश को सही तरीके से पकड़ना सिखाया। वर्कशाॅप में देश के 40 प्रोफेशनल आर्टिस्टों ने भी भाग लिया।

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प्राचार्य ने बताया कि वाज़िद खान ने अपने जीवन में अपनी कला में कभी रंगों का उपयोग नहीं किया। उन्होेंने हमेशा वेस्ट का सही उपयोग कर उसे बेस्ट बनाकर अपनी कला को सभी के सामनें रखा और उसी कला के कारण ये देश में प्रख्यात हुए। प्रदर्शनी को समाज के पुरूष-महिलाओं ने देखा और स्कूल के प्रयासों को सराहा।

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