बॉलीवुड के जाने माने अभिनेता विनोद खन्ना नहीं रहे
बॉलीवुड के जाने माने अभिनेता और गुरदासपुर के भाजपा सांसद विनोद खन्ना (70) का गुरुवार को निधन हो गया। खन्ना पिछले ढाई महीने से गिरगाव के एच एन गिरगांव के एचएन रिलायंस फाउंडेशन एंड रिसर्च सेंटर में भर्ती थे, बताया जाता है की वह कैंसर से जूझ रहे थे। अप्रैल की शुरुआत में उनकी एक फोटो भी सामने आई थी। इसमें वे बेहद कमजोर नजर आ रहे थे। 144 फिल्मों में काम कर चुके खन्ना आखिरी बार शाहरुख़ खान के साथ ‘दिलवाले’में नजर आए थे।
बॉलीवुड के जाने माने अभिनेता और गुरदासपुर के भाजपा सांसद विनोद खन्ना (70) का गुरुवार को निधन हो गया। खन्ना पिछले ढाई महीने से गिरगाव के एच एन गिरगांव के एचएन रिलायंस फाउंडेशन एंड रिसर्च सेंटर में भर्ती थे, बताया जाता है की वह कैंसर से जूझ रहे थे। अप्रैल की शुरुआत में उनकी एक फोटो भी सामने आई थी। इसमें वे बेहद कमजोर नजर आ रहे थे। 144 फिल्मों में काम कर चुके खन्ना आखिरी बार शाहरुख़ खान के साथ ‘दिलवाले’में नजर आए थे।
विनोद खन्ना का जन्म 6 अक्टूबर, 1946 को पाकिस्तान के पेशावर में हुआ था। बंटवारे के बाद उनका परिवार मुंबई में बस गया। उनके पिता टेक्सटाइल बिजनेसमैन थे, लेकिन विनोद साइंस के स्टूडेंट रहे और पढाई के बाद इंजीनियर बनने का सपना देखा करते थे। पिता चाहते थे कि वे कॉमर्स लें और पढ़ाई के बाद घर के बिजनेस से जुड़ें। स्कूलिंग के बाद पिता ने उनका एडमिशन एक कॉमर्स कॉलेज में भी करा दिया था, लेकिन विनोद का पढ़ाई में मन नहीं लगा। विनोद खन्ना की दो शादियां हुई थी, पहली पत्नी गीतांजलि से दो बेटे राहुल खन्ना और अक्षय खन्ना भी बॉलीवुड स्टार है, जबकि दुरी पत्नी कविता से एक बेटा साक्षी और बेटी कविता है।
विनोद खन्ना को फिल्मो में एंट्री सुनील दत्त के ज़रिये मिली थी। उस वक्त सुनील के छोटे भाई सोम दत्त अपने होम प्रोडक्शन में ‘मन का मीत’ बना रहे थे। इसमें सुनील दत्त को अपने भाई के किरदार के लिए किसी नए एक्टर की तलाश थी। विनोद खन्ना की पर्सनैलिटी, ऊंची कद-काठी को देखकर सुनील दत्त ने उन्हें वह रोल ऑफर किया। यह फिल्म 1968 में रिलीज हुई और बॉलीवुड में विनोद खन्ना की एंट्री हुई। जब विनोद खन्ना ने सुनील दत्त का ऑफर कबूल किया तो उनके पिता नाराज हो गए। उन्होंने विनोद पर बंदूक तान दी और कहा कि यदि वे फिल्मों में गए तो वो उन्हें गोली मार देंगे। हालांकि, विनोद की मां ने उनके पिता को इसके लिए राजी कर लिया। पिता ने कहा कि अगर विनोद दो साल तक कुछ ना कर पाए तो उन्हें फैमिली बिजनेस ज्वाइन करना होगा।
विनोद खन्ना ने करियर की शुरुआत में खलनायकी के रोल भी निभाए है। गुलज़ार के मेरे अपने, अचानक, मेरा गांव मेरा देश, पूरब और पश्चिम, आन मिलो सजना, मस्ताना, एलान, दी बर्निंग ट्रैन, क़ैद, मुकद्दर का सिकंदर, परवरिश, हेरा फेरी, खून पसीना, अमर अकबर एंथोनी जैसी कई सुपरहिट फिल्मो में अभिनय किया। उसके बाद 1982 में अचानक ही विनोद खन्ना ने ओशो रजनीश से प्रभावित होकर बॉलीवुड को अलविदा कह दिया। 1987 पुनः डिंपल कपाडिया के साथ इंसाफ फिल्म में नज़र आये, खन्ना ने इसके बाद दयावान, दबंग, दिलवाले में अभिनय किया।
1997 में विनोद खन्ना ने भाजपा के टिकट पर गुरुदासपुर (पंजाब) लोकसभा क्षेत्र से चुनाव लड़ा और विजयी हुए। 1999 के चुनाव में पुनः गुरदासपुर लोकसभा के प्रतिनिधि के तौर पर लोकसभा पहुंचे और 2002 में सांस्कृतिक एवं पर्यटन मंत्री के रूप में कार्यभार संभाला, उनको विदेश मंत्रालय में राज्य मंत्री के रूप में भी कार्यभार संभाला। 2004 में वह इसी लोकसभा से सांसद बने, हालाँकि 2009 में उन्हें पराजय का सामना करना पड़ा। 2014 में वह पुनः गुरुदासपुर लोकसभा से निर्वाचित हुए।
विनोद खन्ना को 1975 में फिल्म हाथ की सफाई के लिए पहली बार सर्वश्रेष्ठ सह अभिनेता का फिल्मफेयर अवार्ड दिया गया, उसके बाद 1977 और 1979 में हेरा फेरी और मुकद्दर का सिकंदर में सर्वश्रेष्ठ सह अभिनेता का फिल्मफेयर अवार्ड भी उनके नाम रहा। जबकि 1980 में फिल्म क़ुरबानी के लिए सर्वश्रेष्ठ अभिनेता का फिल्मफेयर अवार्ड जीता। 1999 में उन्हें फिल्मफेयर का लाइफटाइम अचीवमेंट अवार्ड दिया गया। इसी तरह 2001 में कलाकार लाइफटाइम अचीवमेंट अवार्ड तथा 2005 में स्टारडस्ट का रोल मोडल फॉर द ईयर, 2007 में ज़ी सिने अवार्ड फॉर लाइफटाइम अचीवमेंट अवार्ड से भी सम्मानित हो चुके है
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