स्पर्शन इन्द्रिय के त्याग ही ब्रह्मचर्य – डॉ. भारिल्ल
अखिल भारतीय जैन युवा फैडरेशन के तत्वावधान में आयोजित दशलक्षण महापर्व प्रवचन श्रृंखला के अन्तर्गत आज दसवें दिन अन्तर्राष्ट्रीय ख्याति प्राप्त तार्किक विद्धान डॉ. हुकमचन्द भारिल्ल ने उत्तम ब्रह्मचर्य पर प्रवचन करते हुए कहा कि स्पर्शन इन्द्रिय के सम्पूर्ण विषयों के त्याग को ब्रह्मचर्य कहा है।
अखिल भारतीय जैन युवा फैडरेशन के तत्वावधान में आयोजित दशलक्षण महापर्व प्रवचन श्रृंखला के अन्तर्गत आज दसवें दिन अन्तर्राष्ट्रीय ख्याति प्राप्त तार्किक विद्धान डॉ. हुकमचन्द भारिल्ल ने उत्तम ब्रह्मचर्य पर प्रवचन करते हुए कहा कि स्पर्शन इन्द्रिय के सम्पूर्ण विषयों के त्याग को ब्रह्मचर्य कहा है।
ठण्डा, गरम, कड़ा, नरम, रूखा, चिकना, हलका व भारी इन आठों विषयों का त्याग को ब्रह्मचर्य कहा है। आठों ही विषयों में आनन्द अनुभव करना स्पर्शन इन्द्रिय के विषयों का ही सेवन है। गर्मियों के दिनों में कूलर एवं सर्दियों में हीटर का आनन्द लेना स्पर्शन इन्द्रिय का ही भोग है।
यदि हम पंचेन्द्रिय के विषयों में निर्बाध प्रवृत्ति करते रहे और मात्र स्त्री संसर्ग का त्याग कर अपने को ब्रह्मचारी मान बैठे तो यह एक भ्रम ही है। आत्मलीनता पंचेन्द्रिय के विषयों का त्याग ही वास्तविक ब्रह्मचर्य है।
कल होगा क्षमावाणी पर्व का आयोजन –
कार्यक्रम के मुख्य संयोजक व प्रदेशाध्यक्ष डॉ. जिनेन्द्र शास्त्री व महिला फैडरेशन अध्यक्ष डॉ. किरण जैन ने बताया कि कल 9 सितम्बर को सायं 8 बजे सामूहिक क्षमावाणी का कार्यक्रम आयोजित होगा। जिसके अन्तर्गत डॉ. हुकमचन्द्र भारिल्ल क्षमावाणी का वास्तविक स्वरूप विषय पर प्रवचन करेंगे।
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