शौर्य से भरपूर पाईका और खुशियों के बधाई नृत्य ने रंग जमाया
पश्चिम क्षेत्र सांस्कृतिक केन्द्र की ओर से आयोजित दस दिवसीय ‘‘शिल्पग्राम उत्सव’’ के चौथे दिन मुक्ताकाशी मंच पर झारखण्ड का पाईका नृत्य व मध्यप्रदेश के बधाई नृत्य ने समां बांध दिया।
पश्चिम क्षेत्र सांस्कृतिक केन्द्र की ओर से आयोजित दस दिवसीय ‘‘शिल्पग्राम उत्सव’’ के चौथे दिन मुक्ताकाशी मंच पर झारखण्ड का पाईका नृत्य व मध्यप्रदेश के बधाई नृत्य ने समां बांध दिया।
मुक्ताकशी रंगमंच ‘‘कलांगन’’ पर शाम को जमने वाली लोक संस्कृति की महफिल का पहला चिराग गुजरात के बेड़ा रास की प्रस्तुति के साथ जला। गुजरात के इस पारंपरिक नृत्य में नृत्यांगनाएँ अपने सिर पर बेड़ा जिसमें काफी संख्या में धातु के पात्र होते हैं, रख कर ढोल और सरनाई की लय पर धीरे-धीरे नृत्य करती हैं। इस प्रस्तुति ने गुजरात की अनूठी सांस्कृतिक परंपरा को दर्शाया। कार्यक्रम में इसके बाद लंगा कलाकारों ने राजस्थानी लोक गीतों की तान छेड़ कर दर्शकों में उत्साह का संचार किया।
शिल्पग्राम उत्सव में झारखण्ड से कला प्रस्तुति देने आये ‘‘पाईका’’ नृत्य में युद्ध कौशल देखने को मिला। वहां बसने वाली मुण्डा, हो, उराव तथा सभी प्रकार की जातियों द्वारा युद्ध कला से जुड़ा यह नृत्य किया जाता है। जिसमें नर्तक रंगबिरंगी पोशाक धारण कर ढाक, नगाड़ा, शहनाई तथा मदनभेरी लय पर हाथ में ढाल तलवार ले कर नृत्य किया तो दर्शकों में जोश भर आया। इस अवसर पर मध्यप्रदेश का बधाई नृत्य वहां की उत्सवी परंपरा का वाहक बन सका।
कार्यक्रम में इसके अलवा गोटीपुवा कलाकारों का नर्तन, छत्तीसगढ़ के गौंड आदिवासियों का गौंड मारिया, महाराष्ट्र का रोप मल्लखम्भ, उत्तर प्रदेश का डेडिया नृत्य प्रमुख उल्लेखनीय प्रस्तुतियाँ रही।
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