मर्यादाएं टूटने का अर्थ है पतन की शुरूआत: आचार्यश्री सुनीलसागरजी
आचार्यश्री ने कहा कि मर्यादाओं का पालन तो भगवान श्री राम ने किया था तभी तो हमेशा के लिए मर्यादा पुरूषोत्तम श्री राम बन गये। देवताओं के आगे पूजनीय, महाशक्तिशाली, महा बल शाली आदि शब्दों का प्रयोग किया जाता है, लेकिन अकेले प्रभु श्री राम ही ऐसे हैं जिनके नाम के आगे मर्यादा पुरूषोत्तम श्री राम लगाया जाता है
अशोक नगर स्थित श्री शांतिनाथ दिगम्बर जैन मन्दिर में बिराजित आचार्यश्री सुनीलसागरजी महाराज ने कहा कि हमारे यहां मर्यादित जीवन जीने और मर्यादाओं को पालन करने की परम्परा है। सागर कितना विशाल होता है लेकिन वह अपनी मर्यादाओं में रहता है, पर्वत कितना विशाल होता है लेकिन वह भी अपनी मर्यादाओं में रहता है, आकाश कितना विशाल होता है फिर भी वह अपनी मर्यादा में रह अपनी सीमा कभी नहीं लांघता है।
सोचो अगर अगर सागर अपनी मर्यादा तोड़ दे तो कितना विनाश हो सकता है। इसलिए सुखी जीवन जीना है, घर परिवार को खुश रखना है तो मर्यादाओं का पालन करो। जब मर्यादाएं टूटती है है तो साथ में पतन की शुरूआत भी हो जाती है। व्यक्ति कहां पढ़ा है, कितना पढ़ा है और कैसा पढ़ा है इसका महत्व नहीं होता है। वह कितना मर्यादित है, कितना मर्यादित जीवन जीता है इसका महत्व होता है। कहते हैं लोभ पाप का बाप है। जहां लोभ हैं लालच है वहां सारी मर्यादा की सीमाएं खत्म हो जाती है। रिश्ते बिगड़ जाते हैं और परिवार भी खत्म हो जाते हैं। इसलिए मर्यादाओं में रह कर जीने में ही जीवन का असली आनन्द है।
आचार्यश्री ने कहा कि आज कल आधुनिकता के नाम पर लोग मर्यादाओं का पालन करना भूल रहे हैं। आज कल सभी को अपनी तरह से जीने का अधिकार वाली बात कह कर हर कोई मर्यादाओं को लांघने की चेष्टा कर रहा है। लेकिन जितनी मर्यादाएं लांघी जा रही है उतने ही पतन की ओर बढ़ते जा रहे हैं। मर्यादाओं को लांघने से रिश्तों का पतन हो रहा है, सामाजिक पतन हो रहा है, परिवारों को पतन हो रहा है। जिस स्वतंत्रता के नाम पर मर्यादाएं भंग हो रही है वह असल में स्वतंत्रता नहीं है स्वच्छन्दता है। घर में छोटे बच्चे हैं। अगर माता- पिता उनके सामने स्वतंत्रता के नाम पर स्वच्छन्दता का जीवन जीएंगे तो बच्चों पर क्या असर पड़ेगा। घर में बड़े- बुजुर्ग भी होते हैं, उनके साथ बच्चे अगर मर्यादा में रह कर व्यवहार नहीं करेंगे तो मान- सम्मान का तो कोई अर्थ ही नहीं रह जाएगा। बड़े- छोटे का कायदा ही खत्म हो जाएगा।
आचार्यश्री ने कहा कि मर्यादाओं का पालन तो भगवान श्री राम ने किया था तभी तो हमेशा के लिए मर्यादा पुरूषोत्तम श्री राम बन गये। देवताओं के आगे पूजनीय, महाशक्तिशाली, महा बल शाली आदि शब्दों का प्रयोग किया जाता है, लेकिन अकेले प्रभु श्री राम ही ऐसे हैं जिनके नाम के आगे मर्यादा पुरूषोत्तम श्री राम लगाया जाता है। अगर परिवार बचाना है, समाज बचाना है, रिश्तों को बचाना है, आपसी सौहाद्र्र बनाये रखना है, छोटे-बड़ों का कायदा कायम रखना है तो मर्यादाओं का पालन करना जरूरी है। जीवन की खुशी इसी में है कि स्वयं भी मर्यादित जीवन जीएं और परिवार में छोटों को भी मर्यादा में रहने और काम करने का पाठ पढ़ायें।
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