संवत्सरी के संदेश को जीवन में उतारो


संवत्सरी के संदेश को जीवन में उतारो

श्रमण संघीय महामंत्री सौभाग्य मुनि कुमुद ने कहा कि मानव अनेक परिस्थितियों के बीच अपना जीवन जीता है। अनेक कठिनाइयां भी उसके सामने आती रहती हैं। ऐसी स्थिति में विचारों के प्रवाह में यत्र तत्र कलुषता भी आती रहती है। जहां भी कहीं कुछ गंदा हो जाए, मैला हो जाए तो उसे हम तत्काल धो लेते हैं।

 

श्रमण संघीय महामंत्री सौभाग्य मुनि कुमुद ने कहा कि मानव अनेक परिस्थितियों के बीच अपना जीवन जीता है। अनेक कठिनाइयां भी उसके सामने आती रहती हैं। ऐसी स्थिति में विचारों के प्रवाह में यत्र तत्र कलुषता भी आती रहती है। जहां भी कहीं कुछ गंदा हो जाए, मैला हो जाए तो उसे हम तत्काल धो लेते हैं।

हम इस अवसर पर जीवन में व्यतीत हुए अं्रश पर ध्यान दें यदि कही मैल आ गया तो उसे मिटाए। यह भी देखें कि कहीं ग्रंथि तो नहीं है। विद्वेष की ग्रंथि बड़ी खतरनाक होती है। यह पूरे जीवन को यहा तक कि जन्म जन्मांतरों को जहरीला बना देती है। मुनिश्री ने कहा कि यह ग्रंथि भेदन का त्यौहार है। संवत्सरी पर राग-द्वेष की कैसी भी ग्रन्थि हो, उसे समाप्त करना चाहिये। यदि स्वयं को कुछ हानि भी हो, तो उसकी परवाह न कर पारस्परिक द्वेष भाव को खत्म कर देना चाहिए। आत्म विश्वास रखें, आपने ऐसा करते हुए कुछ खोया वह और कई गुना आपको मिल जाएगा।

अच्छे का परिणाम अच्छा ही होता है। मुनि श्री ने कहा कि यह आत्मनिरीक्षण का पर्व है। आज हम अपनी कमियां देखे। हम अक्सर औरों की कमियां ढंूढते रहते हैं और कोई मिल जाती है तो उसको आगे कर बवाल मचा देते हैं। यह बात अच्छी तरह से समझ लेना चाहिये कि हम भी कोई परमात्मा के अवतार नहीं है। कभी हम से भी भूल हो सकती है। वह मूल विरोधी के हाथ में आने पर आपको उसका कटु फल भोगना पड़ेगा।

हां, यदि किसी की कमी ध्यान में आ गई और वह सही है तो हितैषी बनकर उस कमी सुधारने का आग्रह करे। यदि वह न सुधरे तो हानि उसको है। आप क्यों निंदा का पाप अपने उपर ले। पूर्ण सत्यता के साथ आत्म निरीक्षण करने पर अपनी त्रुटियो का भान अवश्य हो जाएगा और उनका निराकरण भी हो सकेगा ।

मुनि श्री का कहना था कि संवत्सरी पर्व को राष्ट्रीय ही नही अन्तर राष्ट्रीय मान्यता मिलनी चाहिये क्योंकि यह सुलह का पर्व है। मानव की उलझनो को समाप्त करने का पर्व है। विश्व में पर्व तो बराबर चलते ही रहते हैं। पर्वों में भौतिक सुविधाओं का उपयोग बढ़ जाता है किन्तु यह पर्व नितांत आध्यात्मिक है और मानव की भाव-धारा को पवित्र और व्यवस्थित करता है प्रवचन सभा का शुभारम्भ प्रवर्तक मदन मुनि जी के सूत्र स्वाध्याय पूर्वक प्रारम्भ हुआ। संचालन श्रावक संघ के मंत्री हिम्मत बड़ाला ने किया। संघ अध्यक्ष वीरेन्द्र डांगी ने स्वागत किया।

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