geetanjali-udaipurtimes

ऊॅंटनी के दूध की चाय मिलेगी उदयपुर ‘ग्राम’ में

ग्राम’ उदयपुर में पहली बार 7,8व 9 नवम्बर को हल्की ठण्ड को देखते हुये ऊॅंटनी के औषधीयुक्त दूध की चाय का आनंद मिलेगा। उदयपुर जिले के गिर्वा तहसील के ग्राम साकरोदा के जगदीश रेबारी अपनी धर्मपत्नि के साथ ऊॅंटनी

 | 
ऊॅंटनी के दूध की चाय मिलेगी उदयपुर ‘ग्राम’ में

ग्राम’ उदयपुर में पहली बार 7,8व 9 नवम्बर को हल्की ठण्ड को देखते हुये ऊॅंटनी के औषधीयुक्त दूध की चाय का आनंद मिलेगा। उदयपुर जिले के गिर्वा तहसील के ग्राम साकरोदा के जगदीश रेबारी अपनी धर्मपत्नि के साथ ऊॅंटनी के दूध की चाय की स्टॉल लगाएंगे। जगदीश रेबारी ने बताया की ऊॅंटनी के दूध में औषधीय गुण होने के कारण इसकी निरन्तर मांग बढ़ती जा रही है। जगदीश रेबारी स्वयं अनुमानित 25 लीटर से अधिक दूध रोज उदयपुर में बेच रहे हैं।

उन्होने बताया कि ऊॅंटनी के दूध से उन्हें प्रतिमाह अच्छी आमदनी हो जाती हैं। जगदीश रेबारी ने बताया कि उनके पास उपलब्ध मादा ऊॅंटों से वे अनुमानित 25 लीटर दूध उत्पन्न करते हैं । इसके अतिरिक्त वें अन्य 5-6 रेबारियों से 100 लीटर के आस पास एकत्रित कर 125 लीटर एकत्रित कर उदयपुर में 30 रूपये प्रति लीटर की दर से बैच रहे हैं । प्रतिमाह 50 हजार से अधिक की आय ऊॅंटनी के दूध से हो जाती है। एक ऊॅंटनी अगर खुराक अच्छी हो तो दिन में 3-4 बार दूध दे सकती है। एवं प्रतिदिन 8-10 लीटर दूध उत्पादन किया जा सकता हैं ।

ऊॅंटनी के दूध में लेक्टों गुण होने से यह सुपाच्य है। ऊॅंटनी का दूध 8-9 धंटे तक खराब नहीं होता है। ऊॅंटनी के दूध में जरूरी वसीय अम्ल लिनोलिक एरेलिउिक भरपूर मात्रा में पाया जाता है। ऊॅंटनी के दूध में प्रचुर मात्रा में लिनोलिक एवं ऐरेकनिडिक लेक्टोपेरोक्सीडेज के कारण शरीर रोग प्रतिरोधक क्षमता का विकास होता है। ऊॅंटनी के दूध को नियमित पिने से ऑटिज्म के लक्षणों में कमी आती है। डायबिटिज से लेकर थायराइड, कैंसर में उपयोगी है। सर्पदंष के लिये ऊँट के सीरम से एन्टीेविनम बनाया जा रहा है। यह हेपेटाइटिस बी एवं सामान्य त्वचा रोगो से भी निजात दिलाने में सहायक है।

ऊॅटों की घटती हुई संख्या को रोकने में एवं इसकी उपयोगिता को व्यापक करने की दृष्टि से साथ ही ऊॅटपालकों को ऊॅटपालन के प्रति प्रेरित करते हुये ऊॅंटपालन व्यवसाय से समुचित आय अर्जित करने के उपायों पर भी पशुपालन विभाग प्रयासरत है। ऊॅंटनी की उपयोगिता केवल परिवहन एवं पर्यटन तक ही सीमित नहीं रहकर इसकी उपयोगिता अब ऊँट नृत्य एवं ऊॅंटनी के दूध व दूध के व्यंजन में भी बढती जा रही है। जगदीश रेबारी का कहना हें कि ऊॅंटनी के दूध की शहर में निरन्तर मांग बढती जा रही है। कई रैबारी पुनः इस व्यवसाय में भी आना चाहते है। उन्होंने बताया कि 10 ऊॅंटों से एक वर्ष में लगभग 5 किलो ऊन प्राप्त हो जाती है। जिसका वे कम्बल बनाकर बेचते हैं। जिससे उनकी 3000 रूपये की आय हो जाती है। यह कम्बल गर्म होने के कारण इसकी अत्यधिक मांग रहती है।

To join us on Facebook Click Here and Subscribe to UdaipurTimes Broadcast channels on   GoogleNews |  Telegram |  Signal