ह्रदयरोग जांच एवं शल्य चिकित्सा शिविर का शुभारंभ
बचपन में मां को वचन दिया कि बडा होकर जीवन में दो काम करूंगा, विद्यादान और जीवनदान। आज उदयपुर में ह्रदयरोग जांच शिविर में योगदान देकर मैंने मां को दिया वचन पूरा कर लिया है। पीडित मानवता की सेवा, दरिद्रों के प्रति करूणा और सेवाभाव जैसा यहां देखा, वैसा विश्व में कहीं नहीं देखा। धन्य है मेवाड की धरा, धन्य है यहां के सेवाभावी लोग। ये विचार हांगकांग से आए समाजसेवी दादा कान हसोमल लखानी ने सेवा परमोधर्म ट्रस्ट, गीतांजली हॉस्पीटल उदयपुर, दादा के ट्रस्ट हेव-अ-हार्ट बेंगलूरू के संयुक्त तत्वावधान में नारायण सेवा संस्थान सेक्टर-4 में बुधवार को शुरू हुए गरीबी रेखा के नीचे जीवन यापन करने वाले रोगियों
बचपन में मां को वचन दिया कि बडा होकर जीवन में दो काम करूंगा, विद्यादान और जीवनदान। आज उदयपुर में ह्रदयरोग जांच शिविर में योगदान देकर मैंने मां को दिया वचन पूरा कर लिया है। पीडित मानवता की सेवा, दरिद्रों के प्रति करूणा और सेवाभाव जैसा यहां देखा, वैसा विश्व में कहीं नहीं देखा। धन्य है मेवाड की धरा, धन्य है यहां के सेवाभावी लोग। ये विचार हांगकांग से आए समाजसेवी दादा कान हसोमल लखानी ने सेवा परमोधर्म ट्रस्ट, गीतांजली हॉस्पीटल उदयपुर, दादा के ट्रस्ट हेव-अ-हार्ट बेंगलूरू के संयुक्त तत्वावधान में नारायण सेवा संस्थान सेक्टर-4 में बुधवार को शुरू हुए गरीबी रेखा के नीचे जीवन यापन करने वाले रोगियों के दो दिवसीय विशाल निःशुल्क ह्रदयरोग जांच एवं शल्य चिकित्सा शिविर के उद्घाटन समारोह में व्यक्त किए।
दादा लखानी ने कहा कि 20 साल पहले जब नारायण सेवा संस्थान के प्रतिनिधि उनसे हांगकांग में मिले तो मन में संस्थान को देखने की इच्छा जागी। तीन महीने बाद जब यहां आकर देखा तो ह्रदय द्रवित हो गया। तब से सेवा कार्यों से जुड गया। जब आदिवासी क्षेत्र के गरीब लोगों के लिए काम करने का जज्बा जागा तो सेवा परमोधर्म ट्रस्ट के साथ मिलकर दिल के रोगियों का निशुल्क उपचार कराने की ठानी। चाहे जितना पैसा खर्च हो, हम तैयार हैं। बस हमें मरीजों के चेहरों पर मुस्कुराहट लानी है।
मुख्य अतिथि सांसद अर्जुनलाल मीणा ने कहा कि नारायण सेवा संस्थान ने देश-विदेश के दिव्यांग भाई बहनों की जो सेवा की है, ऐसी मिसाल दुनिया में कहीं भी देखने को नहीं मिलती। रोगियों, दीन दुखियों, दिव्यांगों के उपचार का ही काम नहीं किया बल्कि उन्हें प्रशिक्षण देकर रोजगार से जोडा। सक्षम हुए तो विवाह करवा जीवन में नए रंग भरे। ऐसी सेवा किसी पहचान, किसी सम्मान की मोहताज नहीं, उसका वंदन और अभिनंदन ही किया जा सकता है। उन्होंने संस्थान के सभी कार्यक्रमों को खूब सराहा व कहा कि बात चाहे गरीबों को मकान बना कर देने की हो, आटा चक्की, राशन वितरण की या फिर सुदुर गांवों में सौ-सौ हैण्डपंप खुदवाने की। सेवा भाव में यह कभी पीछे नहीं रहे। दिल के रोगियों का उपचार कर संस्थान ने सबका दिल जीत लिया है।
महापौर चंद्रसिंह कोठारी ने कहा कि पहली बार देखा तो गुड, दूसरी बार बैटर अब देखा तो यह संस्थान बेस्ट लगा। शहर में सरकारी चिकित्सालय व निजी भी हैं मगर चिकित्सा के क्षेत्र में जिन्होंने दरिद्र को नारायण माना व सिर्फ एक ही है। मेवाड की पुण्य भूमि की तासीर में सेवा भाव छुपा है। कुछ लोग समाज के लिए जीते हैं मगर उससे आगे बढकर कुछ लोग संसार के लिए, मानवता के लिए जीते हैं। मकसद पवित्र है। कैलाशजी मानव ने एक मुट्ठी आटे से जो सेवा शुरू की वो अरबों लोगों तक पहच गई है।
यूआईटी चेयरमैन रवीन्द्र श्रीमाली ने कहा कि बहुत आगे की सोच रखकर जो सेवा का पौधा लगाया, वो आज वटवृक्ष बन गया है। नारायण सेवा संस्थान ने शून्य से शिखर की जो यात्रा की है, निशक्तजनों की सेवा कर समाज को संदेश दिया, समाज में सम्मान के साथ रहने, जीवन को सुधारने का अवसर दिया,वह अद्भुत है। सेवा परमो धर्म ट्रस्ट के माध्यम से अनेक पीडित लोगों का जीवन स्वस्थ्य बना, योग्य, निरोगी बना, सम्मानजनक बन सका। मकसद पवित्र है। रामचरित मानस में गोस्वामी तुलसीदासजी ने कहा – ‘आगम निगम प्रसिद्ध पुराणा, सेवा धर्म कठिन रघु जाना।’ सेवा करना कठिन है मगर इस शिविर के माध्यम से उस कठिन कार्य को बहुत ही सुंदर व सरल अंदाज में कर दिखाया है। सेवा का पुरुषार्थ, चिकित्सा शिविर का यह प्रयास स्तुत्य है। वर्ष 2007 में गुलाबबाग में पार्क गोद लेकर पर्यावरण संरक्षण किये, सडकें गोद लेकर सुरक्षा, संवर्धन किया वह अद्भुत है। आपका सामर्थ्य और संबल हमेशा बढता रहे।
स्वागत करते हुए संस्थापक पद्मश्री कैलाश मानव ने कहा कि ह्रदय रोगियों की सेवा का यह अवसर अनुपम है। हमारा मकसद पीडित मानवता की सेवा करना है। नारायण सेवा संस्थान के अध्यक्ष डॉ. प्रशांत अग्रवाल ने कहा कि कि 32 साल पहले जो कार्य शुरू किया आज वह पूरी दुनिया में फैल चुका है। अब तक साढ 3 लाख से अधिक बच्चों का ऑपरेशन हो चुका है। सेल्फ मोटीवेटेड होकर हम सब समाज सेवा करें, मानवता के पुजारी बनें। गीतांजली समूह के निदेशक अंकित अग्रवाल ने कहा कि राजस्थान, गुजरात, मध्यप्रदेश सहित अन्य राज्यों से आए मरीजों की सेवा करने का यह अवसर अद्भुत है।
भोपाल से आए दिलीप व महेश ददलानी ने कहा कि दिल के मरीजों की निःशुल्क सेवा का मेवाड में किया गया यह प्रयास आगे के लिए मील का पत्थर साबित होगा, यह निरंतर रहेगा। कार्यक्रम में समाजसेवी गोविंद शतनानी, एमपीयूएटी के कुलपति प्रो. उमाशंकर शर्मा, सनराइज इंस्टीट्यूट के निदेशक हरीश राजानी, नारायण सेवा संस्थान की सह संस्थापिका कमला अग्रवाल, निदेशिका वंदना अग्रवाल, गीतांजली समूह केसीईओ किशोर पुजारी, सर्जन डॉ. संजय गांधी, ह्रदय रोग विशेषज्ञ डॉ. सी.पी. पुरोहित, पार्षद लवेदवसिंह बागडी सहित अतिथियों का अभिनंदन देवेंद्र चौबीसा, दीपक मेनारिया, दल्लाराम पटेल, रवीश कावडिया, रोहित तिवारी ने किया। संचालन ऐश्वर्य त्रिवेदी ने किया।
पंजीकरण के लिए लगी कतारें:
इससे पूर्व शिविर में पहले दिन उदयपुर संभाग सहित, मध्यप्रदेश, गुजरात व अन्य राज्यों के सैंकडों मरीजों की अलसुबह से ही सेक्टर-4 स्थित नारायण सेवा संस्थान परिसर के बाहर पंजीयन के लिए कतारें लग गई। बारी-बारी से सबकी जांच की गई तथा उन्हें विशेषज्ञों के पास रेफर किया गया। चयनित मरीजों को निशुल्क जांच के बाद तुरंत वाहनों से गीतांजलि अस्पताल भेज कर शल्य चिकित्सा के लिए भर्ती करवाया गया। ह्रदय रोग विशेषज्ञ डॉ. सीपी पुरोहित,डॉ. हरीश सनाढ्य, डॉ. रमेश पटेल की टीम ने बारीकी से जांच की व उसके बाद तत्काल ऑपरेशन वाले मरीजों को सर्जन डॉ. संजय गांधी, डॉ. सुरेंद्र पटेल के पास रेफर किया। एनेस्थेटिक टीम के डॉ. अंकुर गांधी, डॉ. मनमोहन जिंदल, कल्पेश मिस्त्री, धरमचंद जैन ने भी सेवाएं दीं। पूरे दिन भर में 367 ह्रदय रोगियों सहित अन्य जटिल रोगों से पीडित मरीजों की निशुल्क जांचें व दवाइयां दी गई।
शिविर में सीएजी, इक्को, टीएमटी, पीटीआईएचआर, सीएजी, एचएसडी, वाल्व, एमवीआर, डीवीआर, टीवीआर, बीएमवी सहित कई अन्य जटिल बीमारियों की जांचें की गईं। इसके अलावा दिल में छेद के मरीज, बाइपास सर्जरी के मरीजों की भी जांच की गई ।
छलक आए आंसू
देशभर से आए मरीजों की आंखों में निशुल्क जांच करवाने के बाद आंसू छलक आए। उन्होंने कहा कि यह उनके व उनके बच्चों के लिए पुनर्जन्म जैसा है। मध्यप्रदेश से आई एक मरीज ने बताया कि ऐसा लग रहा था कि अब जीवन खत्म होने वाला है, हम यहां आखिरी उम्मीद लेकर आए थे। हमारा जीवन धन्य हो गया। बिहार से आए एक मरीज ने बताया कि आर्थिक विपन्नता इतनी है कि यहां तक आने के लिए किराए के पैसे भी उधार लेकर आना पडा। मगर अब लगता है जीवन सुधर जाएगा। मध्यप्रदेश से आई पिंकी कुमारी की ओपीडी में जांच की गई तो उसे तुरंत ऑपरेशन की सलाह दी गई। इस पर उसे तुरंत गीताजंली हॉस्पिटल की आपातकालीन इकाई में शल्य चिकित्सा के भर्ती कर दिया गया।
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