जीवन में हारना सीखो, खेलना सीखो, दृढ़ संकल्प के साथ जीवन में अनुशासन का पालन करना भी सीखो, फिर इन सभी के साथ तालमेल बैठाते हुए अपने लक्ष्य की ओर बढ़तें चले जाओ तो बच्चों आपका कैरियर अपने आप बनता जाएगा।
इन बातों के बीच ही अभिभावाकों के लिए भी खास सन्देश दिया गया कि कभी भी अपने स्वयं की इच्छा बच्चों पर मत थोपो, बच्चे की रूचि किसमें है, उसी पर आप ध्यान लगाओ तो बच्चों का कैरियर अच्छे से बनेगा। अगर अभिभावक स्वयं की इच्छा बच्चों पर थोपेंगे तो बच्चे का कैरियर बने या न बने आपकी इच्छाएं बच्चे के बनते कैरियर में बाधक जरूर बन जाएंगी।
उक्त विचार आईएएस, आरएएस, इंजीनियरिंग, मेडिकल, एमबीए, बैंकिंग सेक्टर, क्लेट, चॉटर्ड अकाउंटेंट आदि की तैयारी कर रहे होनहार विद्यार्थियों के मार्गदर्शन के लिए चित्तौड़ा जैन विकास संस्थान की ओर से कॅरियर मार्गदर्शन मोटिवेशनल सेमिनार कॅरियर कन्वेंशन में उभर कर आये। यह सेमिनार रविवार को टाउन हॉल स्थित सुखाडिय़ा रंगमंच पर आयोजित किया गया। विशेषज्ञों ने बच्चों को परीक्षाओं की तैयारी के तरीकों व विविध आयामों पर भी विस्तृत व्याख्यान दिये।
समारोह के प्रारम्भ में प्रो. एस. एल. जैन एवं प्रदीप सेलावत ने स्वागत उद्बोधन देते हुए सेमीनार के उद्देश्य और महत्व पर प्रकाश डालते हुए कहा कि आज की आधुनिक जीवन शैली के साथ ही बच्चों को आधुनिक शिक्षा पद्धति की भी जानकारी होना जरूरी है। अगर इसकी जानकारी बच्चों में होगी तो ही इनका सर्वांगीण विकास हो सकेगा। उन्होंने कहा कि ऐसे सामाजिक स्तर पर होने वाले आयोजनों से ही युवाओं को आने वाले जीवन के लिए नई दिशा मिलती है।
डायरेक्टर टीएडी कमिश्नर ऑफिस सुधीर दवे ने राज्य सरकार द्वारा अल्पसंख्यकों के लिए चलाई जा रही विभिन्न योजनाओं के बारे में विस्तार से जानकारी देते हुए कहा कि आम लोगों में इनकी जानकारी नहीं होने से वह इनका लाभ नहीं उठा पाते हैं और प्रतिभा होने के बावजूद आर्थिक परेशानियों के चलते बच्चे पिछड़ जाते हैं और उनका कैरियर बर्बाद हो जाता है। उन्होंने विद्यार्थयों, युवाओं, महिलाओं के लिए विभिन्न सरकारी योजनाओं एवं बैंकों द्वारा शिक्षा और स्वरोजगार के लिए सामान्य ब्याज दर पर दिये जाने वाले ऋणों के बारे में जानकारी दी।
प्रो. दीपक शर्मा ने कहा कि विद्यार्थियोंं में मुख्यत: तीन गुण होना चाहिये पहला लक्ष्य, दूसरा रूचि और तीसरा स्कील यानि कौशल विकास। अगर ये तीनों गुण हैं तो परिस्थितियों के अनुसार बच्चों का कैरियर अपने- आप बन जाता है। बच्चों को लक्ष्य वहीं निर्धारित करना चाहिये जिनमें उनकी रूचि हो और काम करने की क्षमता हो। कभी भी अन्य विद्यार्थियों की देखादेखी करके बिना रूचि वाले सब्जेक्ट और काम हाथ में नहीे लेना चाहिये क्योंकि इससे कैरियर बनने की बजाए बिगड़ जाता है और बाद में पछतावे के अलावा कुछ भी हासिल नहीं होता है।
डायरेक्टर एसेंट क्लासेज मनोज बिसारती ने कहा कि विद्यार्थियों को हमेशा अपने अन्दर एक जुनून कायम रखना चाहिये। 10वीं के बाद हमें कौनसा सब्जेक्ट लेना है, इसकी पढ़ाई कितनी कठिन है, इतनी मेहनत मैं कर पाऊंगा या नहीं यह सब नहीं सोच के सिर्फ एक जुनून रखना चाहिये कि मेरे लिए कोई भी पढ़ाई और कोई भी काम मुश्किल नहीं है। न मेरे लिए साइंस मुश्किल है और ना ही गणित। जीवन में आप अपना कैरियर किसी में भी बनाओ लेकिन गणित में हमेशा पारंगत होना चाहिये क्योंकि बिना गणित में किसी भी क्षेत्र में कोई भी काम नहीं हो सकता है।
डायरेक्टर सारथी क्लासेज एम एस भाटी ने कहा कि वह अपने कैरियर में जैन दर्शन से सबसे ज्यादा प्रभावित रहे हैं। जैन दर्शन हमेशा आगे बढऩे की प्रेरणा देता है। अपना कैरिसर बनाने और जीवन में सफलता पाने के लिए जैन दर्शन में जीन शब्द यानि त्रि-रत्न जिन्हें कहते हैं उनमें पहला श्रवण, दूसरा मनन और तीसरा निधि व्यासन यानि सतत अनुसरण करना। जीवन में सफल होना है तो इन तीन रत्नों को अपने जीवन में अपना लो। सफलता आपके पीछे दौड़ेगी। लेकिन आज सबसे बड़ी कमी है यह है कि बच्चों का मार्गदर्शन करने वाला कोई नहीं है। बिना संघर्ष के कभी अक्ल नहीं आती है। उन्होंने उपस्थित सभी श्रोताओं से कहा कि आप इस कार्यक्रम में अगर यह सोच लेकर आए हो कि कब सारे लोग मंच से बोल कर अपनी बात समाप्त करे और कब हम बाहर बन रहा भोजन करें तो ऐसे सेमीनार का कोई औचित्य नहीं है। अगर आपकी सोच यह होगी कि हम यहां आये हैं और जो भी विशेषज्ञ यहां पर बोल रहे हैं उनमें से जितना ज्यादा हो सके उतना हम ग्रहण करें तो ही ऐसे सेमीनार की सार्थकता होगी।
डायरेक्टर अरावली हॉस्पिटल डॉ. आनंद गुप्ता ने कहा कि आज हर अभिभावक के साथ बच्चों की भी यही इच्छा होती है कि वह इंजीनियर बने, साइंटिस्ट बने, डॉक्टर बने, सीए बने लेकिन बहुत कम ऐसे होंगे जो यह चाहते होंगे कि वह डांसर बने, सिंगर बने, हीरो बने या अन्य दूसरे किसी भी क्षेत्र में जाएं। कैरियर गिने-चुने क्षेत्रों में ही नहीं बल्कि आपकी रूचि के अनुसार जिसमें आप पारंगत है उसमें ही बनाना चाहिये। सबसे पहले शरीर को स्वस्थ रखना होगा। शरीर स्वस्थ होगा तो दिमाग स्वस्थ रहेगा। इन सबके लिए जरूरी है कि आपके जीवन में जो भी बुरी आदतें है उन्हें तुरन्त छोडऩा होगा और जो भी चीजें वस्तुऐं आपको भटकाने का काम करती है उनकी एक लिस्ट बनाकर रोज उन्हें देख कर उनसे अपने जीवन से निकालना होगा।
डायरेक्टर एमडीएस ग्रुप ऑफ स्कूल्स डॉ. शैलेन्द्र सोमानी ने अभिभावक और बच्चों में कैसे सामंजस्य हो ताकि एक दूसरे की भावनाओं को समझ सके विषय पर विस्तार से चर्चा की। उन्होंने बच्चों से कहा कि जब भी जहां भी मौका मिले लपक लो कभी भी समय का इन्तजार मत करो।
जिला कलक्टर विष्णुचरण मलिक ने कहा कि बच्चों के मूल गुरू माता-पिता होते हैं। मां-बाप ही उन्हें अच्छे से जानते हैं और उनकी अच्छी मदद कर सकते हैं। लेकिन मां-बाप को भी कभी भी बच्चों के गलत निर्णय पर कभी भी अपनी सहमति नहीं देनी चाहिये और न कभी बच्चों के अच्छे निर्णय पर स्वयं की इच्छाएं थोपना चाहिये।
जिला पुलिस अधीक्षक राजेन्द्र प्रसाद गोयल ने जीवन के कुछ व्यावाहारिक पक्षों पर बात करते हुए कहा कि 10वीं के बाद बच्चों को अति महत्वाकांक्षी नहीं बनना चाहिये। कैरियर को लेकर कभी अपने दीमाग पर ज्यादा जोर नहीं देना चाहिये। हमेशा यह सोचना चाहिये कि आप जो कर रहे हैं वो सही है लेकिन इतनी समझ जरूर होनी चाहिये कि आपका निर्णय सही है।
न्यूरोलॉजिस्ट जायडस अस्पताल अहमदाबाद डॉ. अरविंद शर्मा ने कहा कि कैरियर में सबसे जरूरी बात है असफलता। व्यक्ति जीवन में असफलताओं से जितना सीखता है उतना सफलताओं से नहीं। असफलताओं को झेल कर ही सफल व्यक्ति बना जा सकता है। असफलताओं से घबराने के बजाए उनसे सबक लेकर और अच्छा करना का प्रयास करना चाहिये।
डायरेक्टर प्रो-टेलेंट विनीत बया ने बच्चों को सफलता के सूत्र बताते हुए कहा कि हार से घबराओ मत, खूब खेलो और खूब खाओ और जब भी समय मिले खूब पढ़ो। सबसे बड़ी बात यह ध्यान रखो कि जीवन में कभी जिज्ञासाओं को शांत मत होने दो।
अन्त में एक्मे ग्रुप के डायरेक्टर अमित जैन ने कहा कि मुझे यह करना है लेकिन क्यूं करना है इन दो बातों की समझ आ गई तो आपके कैरियर की सफलता को कोई नहीं रोक सकता।
कार्यक्रम में अतिथियों द्वारा संस्था की वेबसाइट का भी विमोचन किया गया। आभार नाथुलाल विदाला ने ज्ञापित किया। कार्यक्रम का संचालन आशा जैन ने किया।