आचार्य शान्तिसागरजी के सानिध्य में मना गुरूपूर्णिमा महोत्सव
तेलीवाड़ा स्थित हुमड़ भवन में आचार्य शान्तिसागरजी महाराज के सानिध्य में गुरू पूर्णिमा महोत्सव बड़े ही उत्साह, उमंग और धूमधाम से मनाया गया। इस दौरान सैंकड़ों श्रद्धालु गुरू के अनुयायी अपने गुरू की एक झलक पाने के लिए बेताब हो गये।
तेलीवाड़ा स्थित हुमड़ भवन में आचार्य शान्तिसागरजी महाराज के सानिध्य में गुरू पूर्णिमा महोत्सव बड़े ही उत्साह, उमंग और धूमधाम से मनाया गया। इस दौरान सैंकड़ों श्रद्धालु गुरू के अनुयायी अपने गुरू की एक झलक पाने के लिए बेताब हो गये।
चातुर्मास कमेटी के कार्यवाहक अध्यक्ष सेठ शान्तिलाल नागदा ने बताया कि गुरू पूर्णिमा महोत्सव समारोह के प्रारम्भ आचार्य शांतिसागरजी गुरूदेव के चित्र का अनावरण, दीप प्रज्वलन एवं मंगलाचरण से हुआ। इस दौरान आचार्यश्री की गुणानुवाद सभा के अन्तर्गत भारत के विभिन्न क्षेत्रों से आये गुरूभक्तों ने आचार्यश्री से आशीर्वाद लिया तथा उन्हें विनयांजलि अर्पित की। बाहर से आने वालों में मुख्य रूप से नई दिल्ली, टोंक, बूंदी, जयपुर, धरियावद एवं वागड़ क्षेत्र से गुरूभक्त शामिल थे।
प्रचार प्रसा मंत्री पारस चित्तौड़ा ने बताया कि महोत्सव के तहत आचार्यश्री की अष्टद्रव्य से पूजा की गई जिसके पुण्यार्जकों में मुख्य रूप से अंजना गंगावत अध्यक्ष दिगम्बर जैन जागृति महिला मण्डल एवं श्रीमती मधु चित्तौड़ा शमिल थीं। इनके अलावा सैंकड़ों महिला- पुरूष गुरूभक्तों ने भक्ति गीतों की मधुर धुनों पर नृत्य करते हुए गुरूभक्ति की एवं उनकी पूजा कर गुरू चरणों में शीश नवाया।
इस दौरान कुन्थु महिला मंच, पाश्र्व महिला मंडल, बीसा हुमड़ भवन महिला क्लब, प्रगति महिला मण्डल, दसा नागदा महिला मण्डल, णमोकार मण्डल आदि संगठनों ने अपनी अलग- अलग गुरू भक्ति से ओत-प्रोत प्रस्तुतियां देकर आचार्यश्री से आशीर्वाद प्राप्त किया।
चातुर्मास कमेटी के अध्यक्ष चन्दनमल छाप्या ने बताया कि रविवार 13 जुलाई को प्रात: 8 बजे से चातुर्मास कलश स्थापना समारोह होगा। इसके अलावा चातुर्मास व्यवस्था कमेटी को पंचायती राज एवं ग्रामीण विकास मंत्री गुलाबचन्द कटारिया शपथ दिलाएंगे। साथ में सांसद अर्जुन मीणा भी उपस्थित रहेंगे।
अज्ञान के अन्धकार में गुरू दीपक की तरह: गुरू पूर्णिमा महोत्सव के दौरान आयोजित धर्मसभा में आचार्य शान्तिसागर महाराज ने कहा कि आज के समय में भी गुरू के प्रति इतना समर्पण भाव होना अपने आप में ही आश्चर्य है। यहां की गुरू भक्ति की शक्ति को देखकर वह अभिभूत हैं। इस मंगल अवसर पर उन्होंने सभी गुरूभक्तों को मंगल आशीष प्रदान करते हुए कहा कि गुरू अन्धेरे में उस दीपक के समान हैं जिसके प्रकाश से शिष्य पाप की ठोकरों से बच जाता है। देव शास्त्र और गुरू की शरण में आकर ही गतिमान एवं गौरवशाली बना जा सकता है। भगवान तो स्वयं ही सर्वशक्तिमान और ज्ञान-वान हैं लेकिन उन्होंने भी संसार में स्वयं से भी बड़ा गुरू को ही माना है।
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