क्षमापना दिवस के रूप में मनाई संवत्सरी, 3000 से अधिक उपवास


क्षमापना दिवस के रूप में मनाई संवत्सरी, 3000 से अधिक उपवास

श्री जैन श्वेताम्बर तेरापंथी सभा के तत्वावधान में अणुव्रत चैक स्थित तेरापंथ भवन में पर्युषण महापर्व के तहत शनिवार को संवत्सरी पर्व मनाया गया। इस अवसर पर दिन भर धार्मिक कार्यक्रम हुए। श्रावक श्राविकाओं ने उपवास रखा। 8 दिन से यहां रह रहे उपासक श्रेणी के श्रावक श्राविकाओं को सम्मानित किया गया। संवत्सरी पर तीन हजार से अधिक श्रावक-श्राविकाओं ने निराहार रहकर उपवास किए। रविवार को खमतखामणा की जाएगी। संवत्सरी पर शनिवार को श्रावक-श्राविकाओं की सुविधा के लिए बाहर चैक में बड़ी एलसीडी की व्यवस्था की गई ताकि उन्हें आराम से प्रवचन का लाभ मिल सके।

 
क्षमापना दिवस के रूप में मनाई संवत्सरी, 3000 से अधिक उपवास

श्री जैन श्वेताम्बर तेरापंथी सभा के तत्वावधान में अणुव्रत चैक स्थित तेरापंथ भवन में पर्युषण महापर्व के तहत शनिवार को संवत्सरी पर्व मनाया गया। इस अवसर पर दिन भर धार्मिक कार्यक्रम हुए। श्रावक श्राविकाओं ने उपवास रखा। 8 दिन से यहां रह रहे उपासक श्रेणी के श्रावक श्राविकाओं को सम्मानित किया गया। संवत्सरी पर तीन हजार से अधिक श्रावक-श्राविकाओं ने निराहार रहकर उपवास किए। रविवार को खमतखामणा की जाएगी। संवत्सरी पर शनिवार को श्रावक-श्राविकाओं की सुविधा के लिए बाहर चैक में बड़ी एलसीडी की व्यवस्था की गई ताकि उन्हें आराम से प्रवचन का लाभ मिल सके।

शासन श्री मुनि सुखलाल ने भगवान महावीर के जीवन दर्शन और जैन परंपरा के आचार्यों के जीवन पर भी विचार व्यक्त किये। उन्होंने कहा कि संवत्सरी महापर्व आत्म निरीक्षण का पर्व है। गत वर्ष में किए गए कार्यों का आत्मावलोकन करें तथा प्रतिक्रमण के अवसर पर गत वर्ष में आई राग-द्वेष ग्रंथि को समाप्त करें।

मुनि मोहजीत कुमार ने कहा कि आत्मालोचन का पर्व है संवत्सरी। अतीत के प्रतिलेखन, हृदय परिवर्तन, मन के पर्यायों को बदलने, ऋजुता, मृदुता, क्षमा के दान, प्रदान का महापर्व है संवत्सरी। मैं आत्मा हूँ, संवत्सरी के साथ जुड़ा हुआ है। हमारे भीतर महावीरत्व को जगाता है। हम भी उस वाणी को सुनकर महावीर बन सकते हैं। उन्होंने अर्हत वाणी पर चलकर, महावीर मुझे अब बनना है.. गीत की प्रस्तुति दी। महावीर को सिर्फ सुनें ही नहीं बल्कि जीयें। मुनि भव्य कुमार ने कहा कि कम से कम कर्मों को बांधें। जो कर्म किये, उनसे मुक्त होकर सिद्ध बनें।

क्षमापना दिवस के रूप में मनाई संवत्सरी, 3000 से अधिक उपवास

बाल मुनि जयेश कुमार ने आगम वाचन के साथ गीत की प्रस्तुति देते हुए कहा कि जैसा पाप और पुण्य होता है वैसा ही कर्मों का फल होता है। मनुष्य जीवन अनित्य है, आयु थोड़ी है, घर में आनन्द नही है और मुनि जीवन श्रेष्ठ है। जिनका कोई पुत्र नही होता, उनका भव पर नही होता। यह लोक मृत्यु से पीड़ित है। मृत्यु के साथ मैत्री जिनकी हो जैसे युधिष्ठिर के साथ होने की भीम ने घोषणा करवा दी थी। पूछने पर भीम ने कहा कि आपने ही दरबार में याचक को कहा कि कल आना अर्थात आपको मालूम है कि कल आप जिंदा रहेंगे। युधिष्ठिर को अफसोस हुआ इसलिये काल करे सो आज कर, आज करे सो अब। मृत्यु के साथ मैत्री हो नही सकती। जो आया है, उसे पक्का जाना है। उन्होंने गीत मैं आत्मा हूँ, मैं अजर अमर हूं.. के माध्यम से समा बांध दिया।

तेरापंथ सभाध्यक्ष सूर्यप्रकाश मेहता ने बताया कि संवत्सरी पर्व पर शनिवार सुबह से तेरापंथ भवन में अलसुबह आरंभ हुई ज्ञान की गंगा दिन भर चलती रही। दिन भर सामायिक करने वाले श्रावक-श्राविकाओं की खासी संख्या रही। उन्होंने तपस्या करने वाले श्रावक-श्राविकाओं को आध्यात्मिक मंगल कामनाएं प्रदान की। मेहता ने बताया कि तीन हजार से अधिक श्रावकों ने पूर्ण निराहार रहकर उपवास किए। रविवार सुबह सामूहिक रूप से खमत खामणा (क्षमा याचना) कर अपनी तपस्याओं का पारणा करेंगे।

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