आयकर विभाग की सोच और कार्यप्रणाली में आ रहा है बदलाव: बी.पी. जैन
उदयपुर चेम्बर ऑफ कॉमर्स एण्ड इण्डस्टी के स्वर्ण जयन्ती वर्ष - 2015 के तहत आयोजित गोल्डन जुबली व्याख्यान माला के अन्तर्गत आयकर विभाग के मुख्य आयुक्त श्री बी.पी. जैन एवं हिन्दुस्तान जिंक के मुख्य कार्यकारी अधिकारी श्री अखिलेश जोशी के व्याख्यान का आयोजन किया गया।
उदयपुर चेम्बर ऑफ कॉमर्स एण्ड इण्डस्टी के स्वर्ण जयन्ती वर्ष – 2015 के तहत आयोजित गोल्डन जुबली व्याख्यान माला के अन्तर्गत आयकर विभाग के मुख्य आयुक्त श्री बी.पी. जैन एवं हिन्दुस्तान जिंक के मुख्य कार्यकारी अधिकारी श्री अखिलेश जोशी के व्याख्यान का आयोजन किया गया।
कार्यक्रम के मुख्य वक्ता आयकर विभाग के मुख्य आयुक्त श्री बी.पी. जैन ने कार्यक्रम में उपस्थित यूसीसीआई सदस्यों को सम्बोधित करते हुए कहा कि उद्यमियों एवं व्यवसायियों का आयकर विभाग से नाता हमेशा से बना रहा है तथा देश की प्रगति में योगदान के लिये सरकार एवं वित्त मंत्रालय करदाताओं का सदैव ऋणी रहेगा। उद्योग एवं व्यवसाय से जुड़े कर दाताओं के योगदान के बिना देश का विकास संभव नहीं है।
‘‘कर प्रशासन के भविष्य के दिशा’’ के विषय में उद्यमियों को सम्बोधित करते हुए श्री जैन ने कहा कि आयकर विभाग द्वारा कर संग्रहण के माध्यम से जुटाये गये वित्तीय संसाधनों के आधार पर देश की आर्थिक स्थिति का अनुमान लगाया जा सकता है एवं यह अर्थव्यवस्था बाबत लिटमस पेपर टेस्ट का कार्य करता है। सरकारी मशीनरी भी आयकर एवं अन्य कर संग्रहण विभागों द्वारा संग्रहित राजस्व के कारण ही सुचारू रूप से संचालित हो रही है।
पुराने समय में आयकर विभाग की कार्य प्रणाली का उल्लेख करते हुए श्री जैन ने कहा कि वह दिन गये जब विभाग द्वारा करदाता को ‘‘कारण बताओ नोटिस’’ जारी कर दिया जाता था। जब करदाता द्वारा कारण बताओ नोटिस का स्पष्टीकरण दे दिया जाता तो आयकर विभाग द्वारा उसे खारिज करते हुए लम्बी चौड़ी डिमाण्ड निकाल दी जाती थी। इस डिमाण्ड का केस अगले दस साल तक चलता रहता था। आयकर विभाग की कार्य प्रणाली की यह विशेषता थी कि वह कर सम्बन्धी विवादित मुद्दो को हाईकोर्ट तक घसीटता था और करदाता को मोटी धन राशि चार्टर्ड एकाउन्टेट की फीस चुकाने हेतु खर्च करनी पडती थी। कई बार यह होता था कि केस की लम्बी अवधि तक चलने से करदाता डिमाण्ड की राशि से ज्यादा धन वकील की फीस चुकाने पर खर्च कर देता था। इससे करदाता एवं आयकर विभाग दोनो के धन एवं समय का अपव्यय होता था।
किन्तु अब सरकार की सोच में बदलाव आया है तथा आयकर विभाग की व्यवस्था में भी परिवर्तन आया है। आयकर विभाग का दायित्व केवल कर दाताओं से टैक्स वसूलने तक ही सीमित नहीं रह गया है बल्कि करदाताओं द्वारा विभाग से ‘‘टैक्स फेसीलीटेटर’’ के रूप में कार्य करने की आशा की जाती है। करदाताओं के समक्ष आयकर विभाग अपनी सकारात्मक छवि बनाने के लिये प्रयासरत है। सरकार भी करदाताओं तक यह संदेश पहुंचाना चाहती है कि करदाताओं द्वारा अदा की गई राशि से ही देश की सुरक्षा एवं विकास संभव हो सकता है।
आयकर सम्बन्धी विवादों का निस्तारण ‘‘कर लोकपाल’’ के माध्यम से किये जाने को विभाग द्वारा प्रोत्साहन दिया जा रहा है तथा कर लोकपाल के पद हेतु केवल कर विभाग से अवकाश प्राप्त आयुक्त की नियुक्ति के साथ ही निजी क्षेत्र से उद्यमी अथवा व्यवसायी के मनोनयन का प्रस्ताव भी सरकार के विचाराधीन है।
आयकर से सम्बन्धित सभी रिटर्न इलेक्ट्रोनिक माध्यम से फाईल किया जाना अनिवार्य किये जाने से विभाग एवं कर दाता दोनो को बहुत लाभ हुआ है। विभिन्न कर संग्रहण विभागों द्वारा कम्प्यूटर डेटा शेयरिंग प्रणाली से कर विभागो में अपनी आय का अलग-अलग विवरण दाखिल कर के टैक्स की चोरी करने वाले करदाताओं पर शिकंजा कसने में आसानी हुई है।
आयकर विभाग में कार्यरत अधिकारियों एवं कर्मचारियों की कार्य प्रणाली पर टिप्पणी करते हुए श्री बी.पी. जैन ने कहा कि यदि आयकर विभाग के सभी अधिकारी व कर्मचारी प्रकरणों के निस्तारण हेतु समय के पाबन्द हो तो विभाग द्वारा वर्तमान की तुलना में दुगुने कार्य का निष्पादन किया जाना संभव हो सकता है।
करदाताओं द्वारा अदा की गई कर की राशि का 10 प्रतिशत बजट ‘‘करदाताओं हेतु सेवाएं (टैक्स पेयर्स सर्विसेज)’’ व्यवस्था पर व्यय किये जाने का प्रावधान किया जा रहा है।
करदाताओं की समस्याओं का निराकरण विभाग की सबसे पहली प्राथमिकता बन गया है क्योंकि प्रधानमंत्री कार्यालय करदाताओं से सम्बन्धीत समस्याओं एवं उनके निराकरण की व्यवस्था पर कड़ी निगरानी रख रहा है।
सभी कर संग्रहण विभागों एवं इससे जुडे मंत्रालयों द्वारा इस विषय पर गंभीरता से विचार किया जा रहा है कि विभिन्न मामलों में अनुदान एवं सब्सिडी दिया जाना कहां तक न्यायोचित है। अनुदान एवं सब्सिडी पर करदाताओं द्वारा अदा की गई धनराशि व्यय होती है। इस पर रोक लगाकर करदाताओं कर की दर को घटाया जा सकता है। आयकर विभाग का यह तर्क है कि उद्योग एवं व्यवसाय बैंक एवं वित्तीय संस्थानों से प्राप्त ऋण पर विकास करते हैं। अतः यह आवश्यक है कि उनकी बैलेंस शीट में सभी लेन-देन का विस्तृत उल्लेख हो जिससे पारदर्शिता बनी रहे एवं करदाताओं के धन की सुरक्षा भी संभव हो सके। बड़ी कृषि आय पर भी टैक्स लगाने के पक्ष में विचार किया जा रहा है। इसके साथ ही विभिन्न ट्रस्टों को आयकर से मुक्त किये जाने के प्रावधान पर भी पुर्नविचार किया जा रहा है।
डिफाल्टर करदाता हेतु आयकर विभाग द्वारा एमनेस्टी स्कीम जारी करने की व्यवस्था पर भी हमेशा के लिये रोक लगाया जाना प्रस्तावित है क्योंकि विभाग का यह मानना है कि यह ईमानदार करदाताओं के साथ नाइंसाफी है तथा यह तय है कि भविष्य में कोई टैक्स एमनेस्टी स्कीम जारी नहीं की जायेगी।
आयकर विभाग में कार्यरत अधिकारियों एवं कर्मचारियों के कार्य की गुणवत्ता में सुधार लाने हेतु आन्तरिक परिक्षाओं एवं मूल्यांकन की व्यवस्था की गई है जिससे उपयुक्त व्यक्ति को ही प्रमोशन प्राप्त हो सके। निजी क्षेत्र की तर्ज पर कर्मचारियों की कार्यक्षमताओं के मूल्यांकन की प्रणाली को लागू करने की प्रक्रिया चल रही है। इसके साथ ही कर विभाग में 5 वर्ष के अनुबन्ध के आधार पर कार्मिको की नियुक्ति का प्रावधान भी किया जा रहा है।
आयकर विभाग के अधिकारियों को 2 वर्ष की अवधि के लिये डेपुटेशन पर भेजे जाने का भी प्रावधान प्रस्तावित है जिससे वे अपने कार्य में दक्ष हो सके। कार्य कौशल में सुधार लाने के लिये स्टॉफ को विभिन्न ट्रेनिंग इन्स्टीटयूट में भेजे जाने का भी प्रावधान किया गया है।
विदेशों में कर संग्रहण की प्रणाली की प्रशंसा करते हुए श्री जैन ने कहा कि अधिकांश पश्चिमी देशों की अर्थव्यवस्था में लगभग शत प्रतिशत धन सफेद है एवं करदाताओं द्वारा टैक्स की चोरी नहीं की जाती है। किन्तु यह आवश्यक है कि विदेशो के कर संग्रहण विभाग अपनी सफलता के सूत्र भारतीय कर संग्रहण विभागों के साथ साझा करें जिससे हमारी गुणवत्ता में भी सुधार संभव हो सके।
परमानेन्ट एकाउन्ट नम्बर को सभी के लिये सुविधाजनक बताते हुए श्री जैन ने कहा कि कर सम्बन्धी ट्रांजेक्शन के लिये यह अधिकृत मानदण्ड है जिससे किसी भी करदाता के लेनदेन के विवरण का आयकर विभाग की जानकारी में रहता है।
आयकर रिटर्न फाईल करते समय विभाग द्वारा एक कॉलम जोड़ा जाना प्रस्तावित है जिसमें करदाता से न्यायालय में विचाराधीन मुद्दो की जानकारी मांगी जाती है। इससे एक्साईज, कस्टम एवं आयकर की रिटर्न फाईल करना करदाता के लिये सुविधाजनक हो सकेगा।
स्क्रूटनी के केस में करदाता को व्यक्तिगत उपस्थित से छूट देने पर भी विचार किया जा रहा है। केवल निहायत जरूरी होने पर ही करदाता को व्यक्तिगत उपस्थिति हेतु बुलाने का प्रावधान किया जा रहा है।
राष्ट्रीय न्याय के प्रति देश की आम जनता को जागरूक करने के साथ ही कराधान व्यवस्था में भी इसका समावेश किया जाना प्रस्तावित है।
स्रोत पर आयकर की कटौती को महत्वपूर्ण बताते हुए श्री जैन ने कहा कि वॉलेन्ट्री टी.डी.एस. का आयाम बढ़ रहा है। टी.डी.एस. के रिटर्न में गलती होने पर नये सिरे से रिटर्न फाईल करने के स्थान पर संशोधित रिटर्न फाईल करने की व्यवस्था की जा रही है। इलेक्ट्रोनिक माध्यम से टी.डी.एस. रिटर्न फाईल करने की प्रणाली का सरलीकरण किया जा रहा है।
निर्यात कंटेनरो के निरीक्षण के लिये बिना कंटेनर को खोले एक्सरे जांच प्रणाली, कोई भी नया नियम लागू करने से पूर्व उद्योग एवं व्यवसाय पर उसका क्या अवसर होगा इसका ‘‘इम्पेक्ट एसेसमेंट’’, बैंकों में बड़े केश लेनदेन पर नजर रखना आदि पर चर्चा करते हुए श्री जैन ने कार्यक्रम मे ंउपस्थित उद्यमियों एवं व्यवसायियों से अपील की कि वे विभाग की कमियों का उल्लेख करते हुए सुधार के उपाय बताये।
व्याख्यानमाला के द्वितीय चरण में यूसीसीआई के पूर्वाध्यक्ष श्री सी.पी. तलेसरा ने हिन्दुस्तान जिंक के मुख्य कार्यकारी निदेशक श्री अखिलेश जोशी का संक्षिप्त परिचय दिया।
श्री जोशी ने बताया कि हिन्दुस्तान जिंक एवं वेदान्ता समूह सरकार के मेक इन इंडिया अभियान में शामिल है तथा अधिकांश निवेश देश में ही किये जाने के पक्ष में है।
अपने सम्बोधन में श्री अखिलेश जोशी ने कहा कि प्रदेश प्राकृतिक संसाधनों के क्षेत्र में धनी है पर यह विचार करने की आवश्यकता है कि यह प्राकृतिक संसाधन एक दिन समाप्त हो जायंेगे। अतः देश एवं प्रदेश की आर्थिक एवं औद्योगिक मशीनरी को यथावत संचालित करने के लिये पूर्व उपाय करने आवश्यक है।
अपने खनन अनुभवों की जानकारी प्रतिभागियों से साझा करते हुए श्री जोशी ने खनन हेतु नवीनतम तकनीक अपनाने तथा सरकार द्वारा माईनिंग से सम्बन्धित जारी किये जाने वाले नियमों की पूर्ण जानकारी रखने का खनन उद्यमियों से आव्हान किया।
हिन्दुस्तान जिंक के वर्ष 2003 में निजीकरण के उपरान्त चरणबद्ध तरीके से उत्पादन बढ़ाने एवं लागत में कमी लाने के प्रयासो की श्री अखिलेश जोशी ने विस्तार से जानकारी दी। मिनरल उत्खनन को अर्न्तराष्ट्रीय व्यवसाय की संज्ञा देते हुए श्री जोशी ने मिनरल खनन के लिये वैश्विक स्तर की आधुनिक तकनीक अपनाने पर बल दिया। श्री जोशी ने खनन में सूचना प्रौद्योगिकी तकनीक का अधिक से अधिक इस्तेमाल पर भी बल दिया।
कार्यक्रम के आरंभ में अध्यक्ष श्री वी.पी. राठी ने सभी का स्वागत किया। कार्यक्रम का संचालन यूसीसीआई के मानद महासचिव श्री जतिन नागौरी ने किया। कार्यक्रम में उद्योग एवं व्यवसाय से जुड़े उद्यमियों, व्यवसायियों एवं अधिकारियों सहित लगभग 150 प्रतिभागियों ने हिस्सा लिया। कार्यक्रम के अन्त में उपाध्यक्ष श्री आशीष छाबड़ा ने सभी को धन्यवाद ज्ञापित किया।
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