टूट रहा है चरित्र निर्माण का आधार
श्रमण संघीय महामंत्री सौभाग्य मुनि ने कहा कि देश में चरित्र निर्माण का आधार टूटता जा रहा है क्योंकि मनुष्य के पास वह ज्ञान नहीं है जो चरित्र का निर्माण कर सकें।
श्रमण संघीय महामंत्री सौभाग्य मुनि ने कहा कि देश में चरित्र निर्माण का आधार टूटता जा रहा है क्योंकि मनुष्य के पास वह ज्ञान नहीं है जो चरित्र का निर्माण कर सकें।
वे आज पंचायती नोहरे में आयोजित धर्मसभा को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि व्यक्ति ज्ञान के सहारे चिन्तन करता है तो उसके केन्द्र में स्वयं उसका जीवन व आत्मा ही होती है। वह औरों की समीक्षा करने से पूर्व स्वंय की समीक्षा करता है। उन्होंने कहा कि ज्ञान चेतना का स्वरूप है और यह प्रत्येक व्यक्ति में विद्यमान है। जहंा चेतना है वहीं पर ज्ञान है। ज्ञान को जागृत किया जाता है।
ज्ञान जब अन्तर्मन में जागृत हो जाता है तो वह व्यक्ति का चरित्र बनता है क्योंकि ज्ञान के द्वारा ही व्यक्ति में आचरण करने और त्यागने योग्य क्या है इसका विवेक हो जाता है। ज्ञान की सबसे बड़ी उपलब्धि यह होती है कि वह चारों ओर घटित होने वाले घटनाक्रम को ठीक तरह से समझ कर अपने जीवन में यथार्थ से जुड़ जाता है। अज्ञानता तो पशुता है और पशुता में विवेक का अभाव होता है।
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