प्रवृत्ति से निवृत्ति की शुभयात्रा है चातुर्मास


प्रवृत्ति से निवृत्ति की शुभयात्रा है चातुर्मास

आचार्य जिनदर्शन सुरीश्वर महाराज ने कहा कि वर्ष के आठ माह मनुष्य सांसारिक मोह माया में पड़कर प्रवृत्ति की ओर भागता रहता है लेकिन चाुतर्मास के चार माह में वह प्रवत्ति से निवृत्ति की ओर आकर अपने जीवन को धार्मिक एवं सुन्दर बना सकता है।

 

प्रवृत्ति से निवृत्ति की शुभयात्रा है चातुर्मास

आचार्य जिनदर्शन सुरीश्वर महाराज ने कहा कि वर्ष के आठ माह मनुष्य सांसारिक मोह माया में पड़कर प्रवृत्ति की ओर भागता रहता है लेकिन चाुतर्मास के चार माह में वह प्रवत्ति से निवृत्ति की ओर आकर अपने जीवन को धार्मिक एवं सुन्दर बना सकता है।

वे आज जैन श्वेताम्बर मूर्ति पूजक संघ जिनालय द्वारा हिरणमगरी से. 4 स्थित शांतिनाथ जिनालय में आयोजित धर्मसभा को संबोधित कर रहे थे। उन्होेंने कहा कि आज से ही मनुष्य को निवृत्ति की ओर आने का संकल्प लेना चाहिये। वंकचूल के 4 नियम ने उनके व्यसनी जीवन में परिवर्तन ला कर जीवन को सफल बना दिया। मनुष्य भी इसी प्रकार अपने जीवन को सफल बनाने के लिये चार नियमों परमात्मा की निरन्तर पूजा, अभक्ष्य-अजंतकाय का त्याग,रात्रि भेाजन का त्याग एवं प्रतिदिन कम से कम 15 मिनिट धार्मिक अभ्यास करना चाहिये। अध्यक्ष सुशील बांठिया ने बताया कि आज से प्रारम्भ हुए चातुर्मास में चार माह धर्म की गंगा बहेगी।

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