जीवन को संयमित बनाने का समय चातुर्मास: मुनि राकेश कुमार


जीवन को संयमित बनाने का समय चातुर्मास: मुनि राकेश कुमार

शासन श्री मुनि राकेष कुमार ने कहा कि चातुर्मास का लक्ष्य यही है कि अपने जीवन को संयम पथ पर मोड़ें। बुरी आदतें छोड़कर जीवन को संयमित बनाने का लक्ष्य रखें। तप व आराधना करें। वर्ष भर में यदि वर्षावास का समय निकाल दें तो कुछ भी नहीं बचता इसलिए यह चातुर्मास का समय भी जरूरी है।

 

जीवन को संयमित बनाने का समय चातुर्मास: मुनि राकेश कुमार

शासन श्री मुनि राकेष कुमार ने कहा कि चातुर्मास का लक्ष्य यही है कि अपने जीवन को संयम पथ पर मोड़ें। बुरी आदतें छोड़कर जीवन को संयमित बनाने का लक्ष्य रखें। तप व आराधना करें। वर्ष भर में यदि वर्षावास का समय निकाल दें तो कुछ भी नहीं बचता इसलिए यह चातुर्मास का समय भी जरूरी है।

वे शनिवार को तेरापंथ भवन में चातुर्मास के मंगल प्रवेष पर आयोजिम धर्मसभा को संबोधित कर रहे थे। मुख्य अतिथि मुख्य आयकर आयुक्त बीपी जैन थे।

मुनि राकेष कुमार ने कहा कि स्वाध्याय का ज्ञान आए इसलिए स्वाध्याय करना चाहिए। जीवन में सामायिक का बहुत बड़ा महत्व है। कुछ बातों का यदि हम ध्यान रखें तो कभी समस्या नहीं होगी। धर्मस्थान में धर्म के सिवाय कोई बात नहीं करें। यदि इन्द्रियां शुद्ध रहेगी तो शरीर स्वतः शुद्ध हो जाएगा। मानस में नकारात्मक उर्जा नहीं आएगी। कषायों का हल्कापन होता है तथा नकारात्मक भाव दूर होते हैं। चातुर्मास यानी आहार शुद्धि, माता-पिता का महत्व समझाना आदि।

मुनि सुधाकर ने कहा कि दुनिया में मंगल सिर्फ धर्म है। जो धर्म है वही उत्कृष्ट मंगल है। उसका माध्यम अहिंसा, सत्य और तप है। भगवान महावीर अनेकांतवादी थे। उन्होंने कहा कि अगर संत केे लिए विहार जरूरी है तो वर्षावास भी जरूरी है। त्याग, संयम और वैराग्य का समय चातुर्मास है। आत्म निरीक्षण, आत्म मंथन का समय चातुर्मास है। हर व्यक्ति को अपने कर्मों का फल भोगना है लेकिन जितना कुछ धर्म के माध्यम से ठीक कर पाएं, उतना करना चाहिए।

मुनि दीप कुमार ने कहा कियह तपस्या के महीने हैं। वास-उपवास कर सकें तो धर्म के साथ आपके स्वास्थ्य के लिए भी अति उत्तम रहेगा। नियमित व्याख्यान श्रवण करें। सामायिक का नियमित प्रयोग करें।

मुख्य अतिथि मुख्य आयकर आयुक्त बीपी जैन ने कहा कि संतों का सान्निध्य भाग्यवानों को ही मिलता है। मुझे व्यक्तिगत रूप से शासन श्री मुनि राकेष कुमार से मंगल अनुभूति हुई है। इस चार माह में षिक्षा आपके द्वार आई है। इसे लेने में कोई संकोच नहीं करना चाहिए। जितना संभव हो सके संतों का सान्निध्य लें और अपने जीवन को सफल बनाएं।

तेरापंथी सभाध्यक्ष राजकुमार फत्तावत ने बताया कि मुनि राकेष कुमार का पिछले 15 वर्षों में यह तीसरा चातुर्मास उदयपुर को मिला है जो हमारे लिए सौभाग्य की बात है। वर्ष 2004 के बाद 2012 एवं अब 2015 में वापस आचार्य के विद्वान षिष्य का सान्निध्य मिला है। त्याग, तप, चारित्र और तपस्या के इस चार माह में सभी श्रावक मुनि श्री के सान्निध्य का लाभ लें।

फत्तावत ने बताया कि रविवार 26 जुलाई को तेरापंथ भवन में तेरापंथ युवक परिषद का शपथ ग्रहण समारोह होगा। 2 अगस्त को मंत्र दीक्षा एवं जैन विद्या दिवस के रूप में मनाया जाएगा। 29, 30 व 31 जुलाई को सभा के स्थापना दिवस पर विविध कार्यक्रम होंगे। आरंभ में गीतिका शषि चव्हाण ने प्रस्तुत की। कार्यक्रम में तेरापंथ युवक परिषद के नवनिर्वाचित अध्यक्ष दीपक सिंघवी, तेरापंथ महिला मंडल की सचिव दीपिका मारू, अणुव्रत समिति के कार्यकारी अध्यक्ष अरूण कोठारी आदि ने भी मुनिश्री के मंगल प्रवेष पर स्वागत उद्बोधन देते हुए विचार व्यक्त किए।

आभार सभा के मंत्री सूर्यप्रकाष मेहता ने व्यक्त किया। रविवार को छोड़कर नियमित व्याख्यान सुबह 9.30 से 1.0.30 बजे तक होंगे। इससे पूर्व सुबह 7.15 बजे हजारेष्वर कॉलोनी से अहिंसा रैली के रूप में शासन श्री मुनि राकेष कुमार सहवर्ती संतों मुनि सुधाकर एवं मुनि दीप कुमार के साथ सैकड़ों श्रावकों का काफिला निकला जो कोर्ट चौराहा, देहलीगेट, धानमण्डी, मार्षल चौराहा होते हुए तेरापंथ भवन पहुंचा। वहां ठीक 8.15 बजे मुनि श्री का मंगल प्रवेष हुआ।

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