बाल मजदूरी के दंश से त्रस्त बचपन


बाल मजदूरी के दंश से त्रस्त बचपन

बचपन, इंसान की जिंदगी का हसीन पल होता है, ना किसी बात कि परेशानी और ना ही कोई जिम्मेदारी। हर समय खेलना कूदना, मस्तियो में रहना और पढ़ाई करना परन्तु सब का बचपन इस तरह नहीं होता है। बाल मजदूरी की समस्या से सभी अच्छी तरह वाखिफ होंगे। बाल मजदूरी का सबसे बड़ा कारण माता पिता की गरीबी जो बच्चों को मजदूरी करने पर मजबूर करता हैं। इन सभी बच्चों का बचपन किताबों, दोस्तों में नहीं बल्कि घरों, दुकानों, होटलों में काम करते हुए बीतता हैं। यह समस्या छोटे गाँव के साथ साथ बड़े शहरों में भी देखने को मिल रही हैं।

 

बाल मजदूरी के दंश से त्रस्त बचपन

बचपन, इंसान की जिंदगी का हसीन पल होता है, ना किसी बात कि परेशानी और ना ही कोई जिम्मेदारी। हर समय खेलना कूदना, मस्तियो में रहना और पढ़ाई करना परन्तु सब का बचपन इस तरह नहीं होता है। बाल मजदूरी की समस्या से सभी अच्छी तरह वाखिफ होंगे। बाल मजदूरी का सबसे बड़ा कारण माता पिता की गरीबी जो बच्चों को मजदूरी करने पर मजबूर करता हैं। इन सभी बच्चों का बचपन किताबों, दोस्तों में नहीं बल्कि घरों, दुकानों, होटलों में काम करते हुए बीतता हैं। यह समस्या छोटे गाँव के साथ साथ बड़े शहरों में भी देखने को मिल रही हैं।

बाल मजदूरी को खत्म करने के लिए जरुरी है गरीबी को खत्म करना। इसको देखते हुए सरकार के साथ साथ आम जनता को भी इन बच्चों की सहायता करनी होगी। जिससे उदयपुर में ही नहीं बल्कि पुरे भारत में बाल मजदूरी का चलन खत्म हो जाए।

हाल ही में उदयपुर में भी कई जगहों पर बच्चें काम करते हुए दिखाई देते हैं। दिनेश (सोशल जस्टिस बाल सरक्षण) का कहना था कि जहाँ भी ऐसी समस्या दिखती है वहा तुरंत हमारी रेस्क्यू टीम पहुच के बच्चों को लेकर आती हैं। इन सभी बच्चों के लिए एक घर बना रखा हैं जहाँ बच्चों को रहेने से लेकर विद्यालय जाने तक की सुविधा दी जाती हैं और उनके माता पिता तक पंहुचाया जाता है। उनका कहना था कि एंटी ह्यूमन ट्रैफिकिंग यूनिट के संयुक्त तत्वाधान में बालश्रम से मुक्ति हेतु रेस्क्यू अभियान चलाया गया जिसके तहत उदयपुर में बाल मजदूरी कई हद तक कम हुई है।

उन्होंने कहा कि पहले बाल मजदूरी 14 उम्र के बच्चों तक लागु थी परन्तु अभी नए संशोधन जे.जे एक्ट के तहत ये 18 उम्र तक हो गई हैं और एक इंटीग्रेटेड टीम बनी हैं जिसमें सरकार से लेकर सभी चाइल्ड वेलफेयर टीम शामिल हैं।

इसी के चलते उदयपुर में कई मजदूरी करते हुए बच्चों से बात करने पर बच्चों ने कहा कि परिवार और माता पिता की आर्थिक स्थिती सही नहीं होने से हमें छोटे छोटे काम करके हमारा और परिवार का पेट भरना पड़ता है।

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