राष्ट्र के विकास के लिए नागरिक ज्ञानवान बनें
श्रमण संघीय महामंत्री सौभाग्य मुनि कुमुद ने कहा कि ज्ञान की आराधना सभी विकास के मार्ग खोल देती है। हमें ज्ञान की उपेक्षा नहीं करनी चाहिये। जीवन के व्यवहारिक क्षैत्र में हो या अध्यात्म के क्षैत्र में ज्ञान की आवश्यकता तो सर्वत्र रहेगी।
श्रमण संघीय महामंत्री सौभाग्य मुनि कुमुद ने कहा कि ज्ञान की आराधना सभी विकास के मार्ग खोल देती है। हमें ज्ञान की उपेक्षा नहीं करनी चाहिये। जीवन के व्यवहारिक क्षैत्र में हो या अध्यात्म के क्षैत्र में ज्ञान की आवश्यकता तो सर्वत्र रहेगी।
वे आज पंचायती नोहरे में आयोजित धर्मसभा को संबोधित कर रहे थे। उन्होनें कहा कि मानव बुद्धिमान प्राणी है वह ज्ञानवान भी बन सकता हैं लेकिन ज्ञान अर्जित करने की उसमे लगन होनी चाहिये। परमात्मा भगवान महावीर ने कहा पहले ज्ञान करो प्रवृति बाद में। ज्ञान ही नही होगा तो क्या प्रवृति करेगा। मुनि जी ने बताया कि ज्ञान भी गंभीर होना चाहिये।
उन्होनें कहा कि तल स्पर्शी ज्ञान प्रत्येक कार्य को सफलता तक पहुंचा देता है। अपने कष्टों के कारण आधा अधूरा ज्ञान है। हम जो भी करें किन्तु उसका बहुपक्षीय विस्तुत ज्ञान नहीं होंगा तो वह कार्य असफल होगा। अपने जीवन की यही सबसे बड़ी कमी है कि हम विषय को विस्तृत रूप से जाने समझे बिना उस पर अपने निर्णय बना लेते है। असफल होने पर दु:खी होते है। राष्ट्र के विकास के लिये नागरिको को ज्ञानवान बनना होगा। प्रवचन सभा को श्रमण मुनि जी ने सम्बोधित किया। कोमल मुनि ने काव्य पाठ किया। कार्यक्रम का संचालन श्रावक संघ मंत्री हिम्मत बड़ाला ने किया।
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