शिल्पग्राम में उमड़ा शहर
शिल्पग्राम में उमड़ा शहर, आज जुड़ेगा नई कला शैलियों का आकर्षण उत्सव में सरसता बनाये रखने के लिये सोमवार से कुछ नई कला शैलियां लोगों के आकर्षण का केन्द्र होंगी इनमें मणिपुर का पुग ढोल चोलम, गुजरात का डांडिया रास, मयूर नृत्य, गोवा घोड़े मोडनी तथा ऑडीशा का गोटीपुवा प्रमुख हैं।
पश्चिम क्षेत्र सांस्कृतिक केन्द्र के तत्वावधान में आयोजित दस दिवसीय ‘‘शिल्पग्राम उत्सव’’ के पांचवे दिन शिल्पग्राम में मानो जन सैलाब का आन पड़ा हो। जहां नजर दौड़ाओं लोगों की भीड़ यत्र तत्र नजर आई। अरावली की पहाडि़यों के बीच खड़े वाहन और लोगों का रेला यह नजारा उत्सव की लोक प्रियता तथा लोक संस्कृति के प्रति लोगों के लगाव का सजग उदाहरण प्रस्तुत कर गया। इसके साथ ही सोमवार से उत्सव में कुछ नई कला शैलियां आगंतुकों को देखने का मिल सकेंगी।
रविवारीय अवकाश के चलते शिल्पग्राम में मेला प्रारम्भ होते ही बड़ी संख्या में लोगों का शिल्पग्राम पहुंचने का सिलसिला शुरू हुआ तथा मध्यान्ह के बाद शिल्पग्राम का समूचा हाट बाजार लोगों से भरा नजर आया। शिल्पग्राम उत्सव की एक झलक देखने का आतुर लोग जहां दुपहिया व चार पहिया वाहन से यहां पहुंचे वहीं कई लोग परिवार वालों के साथ पैदल ही शिल्पग्राम पहुंचे। हाट बाजार के प्रत्येक हिस्से में लोग जहां खरीददारी कर रहे थे वहीं कई लोगों ने मेले में प्रस्तुति देने वाले लोक कलाकार के चारो ओर घेरा डाल कर उसकी कला का आनन्द उठाया।
शिल्पग्राम के वस्त्र संसार में दिनभर शिल्पकार लोगों को शिल्प उत्पाद दिखाने व बेंचने में व्यस्त रहे। वस्त्र संसार में विभिन्न प्रकार के परिधान, बेडशीट, बेड कवर, कुशन कवर, साडि़यां, सूती कुर्ते, कच्छी शॉल, कश्मीर के पश्मीना शॉल, चिकनकारी के कुर्ते, कॉटन शर्ट्स आदि की दूकाने हैं यहीं पर पीछे की ओर विभिन्न प्रकार के फूड स्टॉल्स पर भी दिन भर लोगों की भीड़ रही। इसके अलावा जूट संसार, चर्म शिल्प मृण कुंज, काष्ठ शिल्प क्षेत्रों में लोग अपनी पसंदीदा वस्तुओं के चयन करने व खरीदने में तल्लीन रहे। हाट बाजार में ही साहित्य अकादमी नई दिल्ली की पुस्तक प्रदर्शनी में रखी पुस्तकों को देखने वालों का भी तांता लगा रहा। शिल्पग्राम के संगम हॉल में लगाई गई प्रदर्शनी अभिव्यक्ति में केन्द्र द्वारा आयोजित विभिन्न कार्यशालाओं में सृजित कृतियां भी लोगों के आकर्षण का केन्द्र रही
Metal Sculpture at Shilpgram Udaipur
रविवार को मेले में आने वाले लोगों के लिये पत्थर से सृजित म्यूजिकल इंस्ट्रूमेंट्स तथा नर्तकियों की धातु प्रतिमाएं प्रमुख आकर्षण का केन्द्र रहे। लोगों ने इनके साथ खड़े हो कर फोटो खिंचवाये। रविवार को एक ओर जहां शहर वासी यहां पहुंचे वहीं उदयपुर संभाग तथा आस-पास के अन्य गांवों व जिलों से भी कला प्रेमी लोगों ने मेले का लुत्फ उठाया। उत्सव में बच्चों तथा साथियों के बिछड़ने व मिलने का क्रम दिन भर चलता रहा।
उत्सव में सरसता बनाये रखने के लिये सोमवार से कुछ नई कला शैलियां लोगों के आकर्षण का केन्द्र होंगी इनमें मणिपुर का पुग ढोल चोलम, गुजरात का डांडिया रास, मयूर नृत्य, गोवा घोड़े मोडनी तथा ऑडीशा का गोटीपुवा प्रमुख हैं।
‘‘हिवड़ा री हूक याने दिल चाहता है…’’ उत्सव में आने वाले लोगों के लिये उत्कृष्ट मनोरंजन का केन्द्र बना हुआ है। रविवार को बंजारा मंच पर इस कार्यक्रम का आनन्द लेने बड़ी संख्या में लोग मौजूद थे तथा इसमें भाग लेने वाले कलाकारों में बच्चे, बूढ़े अैर जवान शामिल थे। मेले में आने वाले लोगों को कला प्रदर्शन का अवसर दिलवाने के लिये आयोजित इस कार्यक्रम में लोगों ने सुरीले अंदाज में गीत, गज़ल, भजन, लोक संगीत, व नृत्य आदि का प्रदर्शन किया। इस आयोजन में एक ओर जहां कलाकार गा रहे थे वहीे दर्शक दीर्घा में बैठे दर्शक झमते व नाचते नजर आये।
bhapang at shilpgram-utsav 2016
उत्सव के पांचवे दिन रविवार को ‘‘कलांगन’’ पर देश के विभिन्न राज्यों से आये कलाकारों की प्रस्तुतियों को देखने हजारों की संख्या में लोग मौजूद थे तथा हर कोई लोक कला प्रस्तुतियों को तफसील से बैठ कर देखने के लिये लालायित नजर आया। रंगमंच पर मध्यप्रदेश के आदिवासियों का गुदुम बाजा में कलाकारों की कलाबाजियों ने लोगों का दिल जीता तो जुम्मे खां ने भपंग के साथ अपने गायन से भरपूर हंसाया।
Shilpgram-Utsav 2016
शाम ढलने के साथ हाट बाजर में मौजूद कई लोग कार्यक्रम शुरू होने से काफी पहले दर्शक दीर्घा में बैठे नजर आये तथा जेये ही हरियाणा के नाथ सम्प्रदाय के जोगियों ने बीन जोगी पर तान छेड़ी तो लोग प्रफल्लित हो उठे। इसके बाद जम्मू कश्मीर का रौफ नृत्य कार्यक्रम की मोहक प्रस्तुति थी। इसमें बजने वाले गीत की लय पर लोगो ने तालियां बजा कर कलाकारों का अभिवादन किया।
कार्यक्रम में उत्तराखंड का छापेली नृत्य रसीली व मोहक प्रस्तुति था जिसमें युवक युवतियों ने प्रेमिल मुद्राओं से युवाओं के मन की तरंगों को झंकृत किया।महाराष्ट् का बोहाड़ा जनजातीय संस्कृति की अनूठी प्रस्तुति था जिसमें दैविक मुखावरण पहने कलाकारों ने गांव, देश, समाज की समद्धि और खुशहाली के साथ-साथ सुरक्षा की प्रार्थना की। इस अवसर पर असम का ढाल ठुंगड़ी दर्शकों के लिये मनोहारी प्रस्तुति रहा जिसमें असमी कला नेत्रियों ने हाथ में ढाल और तलवार ले कर अपनी दैहिक भंगिमाओं से मोहित किया।
रंगमंच पर ही पश्चिम बंगाल का नटुआ नृत्य रोमांच और हैरतअंगेज से भरपूर रहा। कार्यक्रम में राजस्थान के बारां जिले के शाहाबाद के सहरिया आदिवासियों का सहरिया स्वांग आल्हादकारी प्रस्तुति रहा। हारमोनियम, ढोलक तथा विशेष वाद्य धूम धड़का की लय पर स्त्री का वेश धारण किये कलाकार के इर्द गिर्द सहरिया कलाकारों ने अपने नर्तन से दर्शकों का खूब मनोरंजन किया। इस अवसर पर अवध का फरूहाई नृत्य व त्रिपुरा का ममीता नृत्य अन्य उल्लेखनीय प्रस्तुतियां रही।
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