फिर से चलेगी घंटाघर की घड़ी


फिर से चलेगी घंटाघर की घड़ी

“जब प्रशासन खुद अपनी जिम्मेदारी नही निभाएगा तब आम नागरिक को तो आगे आना ही पड़ेगा” कुछ इन्ही शब्दों के साथ आज उदयपुर के बड़ा बाज़ार स्थित सर्राफा व्यापार मण्डल ने नौकरशाही और राजनीति के चलते 2 वर्षो से बंद पड़ी घंटाघर की घड़ी को दुरुस्त कराने का जिम्मा उठाया। उदयपुर की एतिहासिक धरोहर मानी […]

 

फिर से चलेगी घंटाघर की घड़ी

“जब प्रशासन खुद अपनी जिम्मेदारी नही निभाएगा तब आम नागरिक को तो आगे आना ही पड़ेगा” कुछ इन्ही शब्दों के साथ आज उदयपुर के बड़ा बाज़ार स्थित सर्राफा व्यापार मण्डल ने नौकरशाही और राजनीति के चलते 2 वर्षो से बंद पड़ी घंटाघर की घड़ी को दुरुस्त कराने का जिम्मा उठाया।

उदयपुर की एतिहासिक धरोहर मानी जाने वाली 125 साल पुरानी घंटाघर की घड़ी जिसकी आवाज से लोग कभी जागते व सोते थे, वह आज पिछले 2 सालो से खामोश पड़ी थी, इस आवाज को फिर से जीवित करने के लिए उदयपुर के हर बाशिंदे ने प्रशासन तक आवाज पहुंचाई, पर अधिकारियो के कान पर जू तक नही रेंगी ।

इस घड़ी को 1888 में बनवाया गया था, तब से लाकर आज तक घंटा घर की यह घड़ी, उदयपुर आने वाले हर पर्यटक को आकर्षित करती है, पर उदयपुर को साफ व सुंदर रखने का दावा करने वाले प्रशासन की कथित लापरवाही की वजह से यह घड़ी 2 वर्षो से बंद पड़ी है ।

आज सुबह 11 बजे सर्राफा व्यापार मण्डल, उदयपुर ने घंटाघर की घड़ी को सही करवाने की मुहीम को उठाते हुए, घड़ीसाज़ ज़हीरुद्दीन स्क्का, बाबु खांन और सलीम मोहम्मद से घड़ी को दुरुस्त करने का कार्य शुरू करवाया, आज पहली बार चालू करने पर घंटे की आवाज सुन कर लोगो के चेहरों पर खुशी साफ नजर आरही थी ।

फिर से चलेगी घंटाघर की घड़ी

इस मौके पर सर्राफा व्यापार मण्डल के अध्यक्ष इंदर सिंह मेहता ने प्रशासन पर कटुवार करते हुए कहा कि, “हमने घंटाघर के लिए यु.आइ.टी से लेकर नगर परिषद तक सभी को प्रार्थना पत्र दिए परन्तु कोई कदम नही उठाया गया, तब सभी सर्राफा व्यापार मण्डल के लगभग 475 व्यापारियों ने मिलकर इसे सही करने का बीड़ा उठाया”, मेहता ने यह भी बताया की घड़ी की मंजिल के चारो तरफ एक सुरक्षा दिवार बनवाकर फूलो के गमले भी लगवाए जाएँगे ।

मेहता ने बताया की लगातार समाचार प्रत्रो में इस मुद्दे के बार बार आने के बाद भी प्रशासन ने इस मंजिल की सफाई नही करवाई है, इसके तीसरे माले पर अभी तक कचरे का ढेर पड़ा है, जिसे हम साफ करवाकर रंग करवाएँगे, साथ ही मेहता ने इस धरोहर को दुरुस्त करने आगे आए तीनो कारीगरो को धन्यवाद दिया।

घड़ी को दुरुस्त कर रहे पेशेवर कारीगर ज़हीरुद्दीन सक्का, बाबु खांन और सलीम महोम्मद ने बताया कि “घंड़ी बनाना हमारा पुश्तेनी काम है, हमारे पूर्वजो ने मेवाड़ की सेवा की थी और आज जब हमे यह मौका मिला है तो हम ज़रूर कोशिश करेंगे की घंटाघर की यह घड़ी फिर से दुरुस्त हो जाये” सक्का ने बताया कि घड़ी के ब्रशिंग पार्ट्स पूरी तरह से घिस चुके है और यह बाजार में भी नही मिलते, इन पार्ट को उन्हें ही बनाना पड़ेगा, सक्का ने बताया कि उदयपुर में तीन घड़ियाँ लगी है, जिनमे घंटाघर व बड़ी में टी बी अस्पताल के पास लगी घंडी में 24 घंटे की चाबी भरी जाती है, तथा सूरजपोल की घड़ी में 8 दिन तक की चाबी भरी जाती है।

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