बदलते दौर में कोचिंग क्लासेज का हुआ अधिक महत्व
जहाँ एक तरफ माता-पिता अपने बच्चों को बेहतरीन कॉलेज में दाखिला दिलाने लिए डोनेशन से लेकर हर तरह के प्रयास करते हैं, वही विद्यार्थी इन कॉलेजो की कक्षाओं को छोड़ कर कोचिंग क्लासेस की कुर्सिया भरते हैं। इसी के चलते आज उदयपुर में कॉलेज से ज्यादा कोचिंग इंस्टिट्यूट खुल चुके हैं। इसको देखते हुए यही लगता है कि या तो बच्चें अपने करियर को लेकर बड़े जागरूक हो गए हैं या फिर बच्चों को स्कूल और कॉलेज में वो पढाई नहीं मिल पा रही है जिससे उनको कोचिंग क्लासेस की आवश्यकता पड़ रही हैं। उदयपुर में लगभग 140 कोचिंग इंस्टिट्यूट चल रहे हैं।
जहाँ एक तरफ माता-पिता अपने बच्चों को बेहतरीन कॉलेज में दाखिला दिलाने लिए डोनेशन से लेकर हर तरह के प्रयास करते हैं, वही विद्यार्थी इन कॉलेजो की कक्षाओं को छोड़ कर कोचिंग क्लासेस की कुर्सिया भरते हैं। इसी के चलते आज उदयपुर में कॉलेज से ज्यादा कोचिंग इंस्टिट्यूट खुल चुके हैं। इसको देखते हुए यही लगता है कि या तो बच्चें अपने करियर को लेकर बड़े जागरूक हो गए हैं या फिर बच्चों को स्कूल और कॉलेज में वो पढाई नहीं मिल पा रही है जिससे उनको कोचिंग क्लासेस की आवश्यकता पड़ रही हैं। उदयपुर में लगभग 140 कोचिंग इंस्टिट्यूट चल रहे हैं।
बढते कोर्सेज जैसे सी.ए, सी.एस, एम्.बी.ए आदि कई कोरसेस को देखते हुए आज कोचिंग क्लासेस में दाखिला लेना एक प्रवत्ति बन गई हैं। प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करने वाले छात्रों को लगता है की कोचिंग क्लासेस ही सफलता का मंत्र हैं।
इसी के चलते कॉमर्स कॉलेज के प्रोफेसर बी.एल हेडा का कहना है कि इसके पीछे कई कारण है जैसे कॉलेज कि 55 प्रतिशत सीट्स आरक्षित होती है जिसके चलते दुसरे जनरल विधयार्थी को परेशानी देखनी पड़ती हैं, विश्वविद्यालय ने बच्चों के लिए ऑब्जेक्टिव पेपर पैटर्न करके पढ़ाई को और भी सरल कर दिया है जिससे बच्चें कॉलेज ही नहीं आते हैं और आजकल के बच्चें पांचवी कक्षा से ही कोचिंग जाना शुरू कर देते हैं और कोचिंग के अभ्यस्त हो जाते हैं। इसमें माता-पिता की भी कहीं ना कहीं लापरवाही है।
कोचिंग क्लासेस के अध्यापक राहुल बडाला का कहना था कि जिस तरह से प्रतियोगी परीक्षाओं का दौर बढ रहा है उसको देखते हुए कोचिंग क्लासेस का होना बहुत जरुरी हैं। बच्चों को प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए कॉलेज में वो पढ़ाई नहीं मिल पाती जो एक कोचिंग सेंटर पर प्रोफेशनल टीचर से मिलता हैं। कोचिंग क्लासेज पर हर विषय का अच्छे से अच्छे स्टडी मटेरियल उपलब्ध कराया जाता है ताकि बच्चें अच्छे अंक प्राप्त कर सके।
मानवेन्द्र सिंह (बी.कॉम) का कहना है कि एक कक्षा में 60 छात्र पढ़ते हैं उनमे से केवल 2-3 बच्चे क्लास अटेंड करते हैं इसके पीछे यही कारण है कि कॉलेज में विधयार्थी की अटेंडेंस का होना अनिवार्य नहीं है। अविरल माहेश्वरी (सी.ए) का कहना है कि वो 12वीं कक्षा से कोचिंग कर रहे है और आगे बढने के लिए क्रियात्मक पढाई के लिए कोचिंग करना बहुत जरुरी होता हैं क्योंकि स्कूल और कॉलेज में क्रियात्मक पढाई का वो साधन नहीं मिल पाता हैं। इसी के चलते कही पेरेंट्स का कहना था की बच्चों में आजकल प्रतियोगिता की भावना अधिक बढने के कारण वो कोचिंग जाना ज्यादा पसंद करते हैं।
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