गीतांजली हॉस्पिटल में भी कॉकलियर इंप्लांट की सुविधा उपलब्ध


गीतांजली हॉस्पिटल में भी कॉकलियर इंप्लांट की सुविधा उपलब्ध

गीतांजली मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल में शनिवार को 18 माह के दो मूक-बधिर बच्चों का कॉकलियर इंप्लांट कर उनके जीवन को नया आयाम दिया।

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गीतांजली हॉस्पिटल में भी कॉकलियर इंप्लांट की सुविधा उपलब्ध

गीतांजली मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल में शनिवार को 18 माह के दो मूक-बधिर बच्चों का कॉकलियर इंप्लांट कर उनके जीवन को नया आयाम दिया। इस ऑपरेशन व बच्चों के उपचार का पूरा खर्च गीतांजली हॉस्पिटल वहन करेगा जो कि लगभग 12 लाख है। इस तरह के निःशुल्क ऑपरेशन जयपुर, जोधपुर में केवल सरकारी अस्पताल में मुख्यमंत्री सहायता कोष के सहयोग से होते रहे हैं।

डॉ ए.के. गुप्ता ने बताया कि दोनों बच्चे जन्म से ही सुन नही सकते थे और इसी वजह से बोल भी नही सकते। जिसके चलते गीतांजली में 2-3 घंटे का ऑपरेशन कर कोकलियर इंप्लांट किया ताकि जो नसे कान की नसों से मस्तिष्क को जोड़ती है, उसकी परेशानी को दूर किया जाए, ताकि ऑपरेशन के बाद सामान्य रूप से सुन सके। इसके पश्चात् गीतांजली हॉस्पिटल के स्पीच थैरेपिस्ट डॉ गौरव शर्मा द्वारा डेढ़ से दो वर्ष तक रिहेबिलिटेशन ट्रेनिंग प्रोग्राम भी चलेगा ताकि बच्चों की बोली सामान्य व सही हो सके।

इस ऑपरेशन में डॉ ए.के.गुप्ता व दिल्ली से आए वरिष्ठ सर्जन डॉ सोमेश्वर सिंह के अलावा निश्चेतना विभाग के डॉ एस.एस. जैतावत, डॉ अलका छाबड़ा, डॉ सुनन्दा गुप्ता व टीम शामिल थी। साथ ही उन्होंने यह भी बताया कि इस उपचार में न केवल ऑपरेशन शामिल है, इसके साथ ही रिहेबिलिटेशन प्रोग्राम भी शामिल है जिसके बगैर यह उपचार अधूरा होता है क्योंकि इस प्रोग्राम के तहत ही रोगी को सुनकर समझना सिखाया जाता है, तथा यह रिहेबिलिटेशन प्रोग्राम की सुविधा उदयपुर में गीतांजली हॉस्पिटल में उपलब्ध है।

कॉकलियर इंप्लांट से किस तरह आवाज़ दिमाग तक पहुँचती है?

यह एक इलेक्ट्रोनिक डिवाइस है, जो पूरे कान को बाइपास करती है। दो हिस्सों में बाहर का हिस्सा आवाज को पकड़ कर कोडिंग करके सिग्नल के जरिए अंदर वाले हिस्से में भेजता है। अंदर वाला हिस्सा इलेक्ट्रोड के जरिए सुनने की नस को स्टीमुलेंट कर आवाज को सीधे दिमाग में पहुंचाता है।

किस वजह से बहरापन हो सकता है?

जन्मजात बहरापन (जिसका एक मुख्य कारण गर्भवती महिलाओं में प्रथम तीन माह में वायरल इंफेक्शन होना, ओटोटोक्सीक दवाईयां लेना, मलेरिया होना आदि), आनुवांशिक, नवजात शिशुओं में ऑक्सीजन की कमी, दवाओं के साइड इफेक्ट या किसी तरह की दुर्घटना से सुनने की क्षमता कम होना।

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