उदयपुर में दूसरे वर्ल्ड म्यूजिक फेस्टिवल का रंगारंग आगाज
उदयपुर में दूसरे वर्ल्ड म्यूजिक फेस्टिवल का रंगारंग आगाज, कैलाश खेर के गीतों पर झूमे लोग, देश-विदेश के 150 से अधिक कलाकार ले रहे हैं भाग, विश्व संगीत के तारानों से सुरमयी हुआ पूरब का वेनिस, सिर चढकर बोला सात समुंदरपार के साथ देश का संगीत, गांधी ग्राउण्ड में सुरवर्षा में बार-बार तरंगित हुए रसिक श्रोता
सर्द शाम में जब चौदहवीं का चांद ‘सिफारिश’ लेकर आया तो ‘अल्लाह के बंदे..’ के सूफीयाना अंदाज में पिरोए नगमों के पिटारे खुले। म्यूजिक लवर्स ने ‘कैलासा-कैलासा’ का शोर मचाकर आसमान सिर पर उठा लिया। बेकरारी के पल खत्म हुए और सादगी भरे लहजे में संगीत प्रेमियों के दिलों की धडक़न और हाल ही में पद्मश्री सम्मान के लिए चुने गए कैलाश खेर ने मंच पर सबका अभिवादन किया। पुरकश आवाज और मस्ती भरे अंदाज में कैलाश ने कहा, ‘मोहे सुधबुध ना रही तन की उदयपुर, ये तो जाने दुनिया सारी..तेरे नाम से जी लूं, तैरे नाम पे मर जाऊं’। इस पर झूमते, गाते और हाथ लहराते दर्शकों की टोलियों ने समां बांध दिया। कैलाश ने शृंगार रस में डूबा नगमा ‘मोहे डारो न रंग..’ गाया तो सुनने वालों के दिल मोहब्बत की लहर पर सवार हो गए। कैलाश यहीं नहीं रुके, मैं तो तेरे प्यार में दीवाना हो गया…, आज मोरे पिया घर आवेंगे? सखी मंगल सजाओ री..उतरेगी आज मेरे पी की सवारी, आवोजी-आवोजी म्हारा चतुर सजन..सुनाकर समां बांध दिया।
अलमस्त फक्कड़ अंदाज और एक से बढक़र एक सुपरहिट गानों को जब कैलाश ने सुरों का साथ मिला तो रसिकों के रुह के परिंदे आत्मविभोर होकर फडफ़डाने लगे। पूरा समां ‘मोहे सुध-बुध ना रही तन की…..ये तो जाने दुनिया सारी…..’ जैसा हो गया। मौका था उदयपुर के गांधी ग्राउंड में शुक्रवार शाम को दूसरे वर्ल्ड म्यूजिक फेस्टिवल के आगाज का। यह फेस्टिवल वंडर सीमेंट और राजस्थान टूरिज्म के साथ मिलकर हिंदुस्तान जिंक द्वारा 10 से 12 फरवरी तक आयोजित किया जा रहा है।
इससे पहले गृहमंत्री गुलाबंचद कटारिया और कार्यक्रम के निदेशक सहर के संजीव भार्गव ने कार्यक्रम का रंगारंग आगाज किया। गृहमंत्री ने शहरवासियों को उदयपुर के वर्ल्ड म्यूजिक डेस्टिनेशन बनने पर बधाई दी। कटारिया ने कहा कि हम सबको मिलकर झीलों के इस शहर दुनिया का सबसे खूबसूरत शहर बनाना है।
तीन दिवसीय फेस्टिवल के आगाज पर सजी शाम में कैलाश खेर को सुनने लोग उमड़ पड़े। अपने पॉप, रॉक अंदाज में उन्होंने ‘मंगल-मंगल….., ‘तू जाने ना…..’ ‘मेरी एक सुनो अंतरयामी, मेरी एक सुनो भोले स्वामी…..’ , चक दे फट्टे आदि पर युवाओं को खूब झुमाया। गजल, सूफी, कव्वाली में डूबे गीत पर लोगों ने जमकर ठुमके लगाए। कई बार ‘वन्स मोर…..’ के सुर उठे। गानों की तरह उनके दीवानों की फेहरिस्त भी इतनी लम्बी थी कि जोश से सराबोर कई प्रशंसकों को ग्राउंड के बाहर से ही उनके गीतों का लुत्फ उठाना पड़ा।
गांधी ग्रांउड में सजी शाम का आगाज मकदूनिया के जिप्सी बैण्ड के कलाकार कोकानी आर्केस्ट्रा की प्रस्तुति के साथ हुआ। उनके मोनोस्विज बैंड ने सुर और ताल से ऐसा समां बाधा कि दर्शक झूम उठे। उनकी प्रस्तुति ‘सांग्स ऑफ नेचर’ में मकदूनिया के संगीत के साथ ही जैज, फॉक म्यूजिक की जुगलबंदी दर्शकों का खूब पसंद आई। बैंड ने उदयपुर की प्रस्तुति के लिए खास तौर अपने वाद्य यंत्रों में पहली बार हारमोनियम को शामिल कर सुरों को नई ऊंचाइयां दीं। गांधी ग्रांउड के बीच सजे डोम में बनाए शाही स्टेज पर बैंड के सदस्यों ने अपनी एलबम मोनोस्वेजी की बंदिशें प्रस्तुत कीं। अफ्रीकी देशों मोजाम्बिक, जिम्बाब्वे के लैण्डस्कैप की खुशबू बिखेरी और कभी भारतीय पाश्चात्य धुनों से उनका संगम प्रस्तुत कर लोगों को ताल से ताल मिलाने पर मजबूर कर दिया। विशेष पारम्परिक वाद्य यंत्र लोगों के आकर्षण का केंद्र बने। सिंथेसाइजर, गीटार और हारमोनियम पर सुरों के उतार-चढ़ाव पर संगीत रसिकों ने खूब दाद दी। अल्हड़ अंदाज ए बयां और मंच पर ही संगीत वादन के साथ कबीलियाई नृत्य मुद्राएं खूब पसंद की। दुनियाभर में मशहूर इस बैंड ने भारत में अपनी पहली प्रस्तुृति से ही लोगों का दिल जीत लिया।
इसके बाद इलेक्ट्रिक सूफी वर्ल्ड संगीत के ख्यातनाम कलाकार कनाड़ा के नियाज और इरान के आजम अली की जोड़ी मंच पर छा गई। तबले की थाप पर सूरों की धाक ऐसी जमी कि दर्शक ‘वाह-वाह’ कर उठे। उनके संगीत ने देश की सीमाओं से परे जाकर दिल में विश्व राग का जज्बा जगाया। ट्रांस इलेक्ट्रिका, पर्शियन, इंडियन, मेडिटेशन साउंड ने कार्यक्रम को नई ऊंचाइयां दीं। एलबम पोर्टल्स ऑफ ग्रेस, एलिसियम ऑफ ब्रेव, नाइन हेवं, फोर्थ लाइट, ए जर्नी टुवड्र्स साइलेंस की प्रस्तुतियां लोगों को खूब पसंद आई। संगीत के साथ सूफी रुहानी नृत्यों के सिलसिलें बस देखते ही बन पड़े।
सहर संस्थान के संजीव भार्गव की परिकल्पना में आयोजित उदयपुर वर्ल्ड म्यूजिक फेस्टिवल की प्रस्तुतियों को सुनने के लिए शाम से पहले ही लोगों के आने का क्रम शुरू हो गया। विशेष रूप से बनाए गए स्टेज के अलावा लोगों को जहां जगह मिली, वहीं पर बैठकर खड़े होकर कार्यक्रम का लुत्फ उठाया। कई बार-वन्स मोर गूंजा तो हर बंदिश पर कलकारों को दाद मिली। शहर की कई संगीत संस्थाओं के प्रतिनिधियों के अलावा हिन्दुस्तान जिंक, वंडर सीमेंट व राजस्थान ट्यूरिज्म के कई अधिकारी व प्रतिनिधि शरीक हुए। युवा हो या बुजुर्ग, महिला हो या पुरूष, स्थानीय नागरिक हो या पर्यटक उत्साह का गवाह बन गया।
आज गूंजेगी कबीर की वाणी
संजीव भार्गव ने बाताया कि दूसरे व तीसरे दिन फतहसागर पाल पर दोपहर 2 से 5 बजे तक प्रस्तुतियां होंगी तथा इसी दिन शाम को गांधी ग्राउंड में भी कार्यक्रम होंगे। दूूसरे दिन कार्यक्रम का शुभारंभ दोपहर तीन बजे से फतहसागर की पाल पर होगा जिसमें सेनेगल से आए अबलेए किस्सो अपनी प्रस्तुति देंगे। इनके सहयोगी कनाडा से आये कलाकार होंगे। इसके बाद भारतीय बैण्ड कबीर कैफे संत कबीर की रचनाओं से माहौल को संगीत प्रेमियों को सूफी आध्यात्म से सराबोर करेगा। शाम को भारतीय बैण्ड परवाज और दक्षिणी अफ्रीका का वर्ल्ड म्यूजिक बैण्ड हॉट वॉटर पर अपनी आकर्षक प्रस्तुति देंगे। म्यूजिक फेस्टिवल में संगीत की विभिन्न श्रेणियों के 150 से अधिक वैश्विक कलाकार भाग ले रहे हैं। ये कलाकार ब्रिटेन, दक्षीणी अफ्रीका, इटली, सेनेगल, कनाडा, आर्मिनिया, टर्की, मेसिडोनिमा, मौजांबिक, नार्वे, ईरान, क्यूबा, स्विट्ज़रलैंड और भारत समेत 16 से अधिक देशों से आए हैं।
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