राधिका चोपड़ा की सुरीली ग़ज़लों से ‘‘शरद रंग’’ व फूड फेस्टीवल का समापन


राधिका चोपड़ा की सुरीली ग़ज़लों से ‘‘शरद रंग’’ व फूड फेस्टीवल का समापन 

जस्थान, गुजरात, महाराष्ट्र, बिहार, पंजाब, लखनऊ, हरियाणा व कश्मीर के व्यंजन शिल्पकारों ने अनके स्वादिष्ट व्यंजन परोसे। पांच दिवसीय उत्सव के आखिरी दिन फूड फेस्टीवल में वाहिद बिरयानी सटाॅल, गुजरात के थेपले, महाराष्ट्र की पूरण पोली, हरियाणा का जलेबा, मटका रोटी आदि के स्टाॅल पर कई लोगों ने व्यंजन खाये। 
 
राधिका चोपड़ा की सुरीली ग़ज़लों से ‘‘शरद रंग’’ व फूड फेस्टीवल का समापन
शिल्पग्राम परिसर में वर्ष में शरद ऋतु के आगमन के साथ आयोजित इस उत्सव में कला, शिल्प के साथ-साथ व्यंजनों का रंग उदयपुर वासियों को रास आया। 

उदयपुर, 12 नवम्बर। पश्चिम क्षेत्र सांस्कृतिक केन्द्र की ओर से आयोजित कला, फूड फेस्टीवल ‘‘शरद रंग’’ का सुरीला समापन नई दिल्ली की सुप्रसिद्ध ग़ज़ल गायिका डाॅ. राधिका चोपड़ा की पुरकशिश आवाज़ में गाई ग़ज़लों से हुआ। पूर्ण चन्द्र निशा में राधिका के कंठ से निकली ग़ज़ल ‘‘तुम अपना रंजो ग़म...’’ धवल चांदनी सा बिखर सा गया।

शिल्पग्राम परिसर में वर्ष में शरद ऋतु के आगमन के साथ आयोजित इस उत्सव में कला, शिल्प के साथ-साथ व्यंजनों का रंग उदयपुर वासियों को रास आया। 

‘‘एक भारत श्रेष्ठ भारत’’ की कल्पना को कला रूप में दर्शाने तथा विभिन्न संस्कृतियों के समागम से एकता की भावना को प्रबल करने के लिये आयोजित इस उत्सव में शिल्पग्राम के हाट बाजार में जहां विभिन्न शिल्पकारों ने अपने उत्पाद बेंचे।  

वहीं राजस्थान, गुजरात, महाराष्ट्र, बिहार, पंजाब, लखनऊ, हरियाणा व कश्मीर के व्यंजन शिल्पकारों ने अनके स्वादिष्ट व्यंजन परोसे। पांच दिवसीय उत्सव के आखिरी दिन फूड फेस्टीवल में वाहिद बिरयानी सटाॅल, गुजरात के थेपले, महाराष्ट्र की पूरण पोली, हरियाणा का जलेबा, मटका रोटी आदि के स्टाॅल पर कई लोगों ने व्यंजन खाये। 

बंजारा रंगमंच पर सुबह लोक कलाकारों ने अपनी प्रस्तुतियाँ दी तो मध्यान्ह बाद उदयपुर के सेवन सटार ऑर्केस्ट्रा के कलाकारों ने राकेश झंवर के नेतृत्व में फिल्मी और गैर फिल्मी गीतों से दर्शकों का मनोरंजन किया।

पूर्व दिशा में जेसे ही पूरणमासी का चांद अवतरित हुआ तो मुख्य रंगमंच पर नई दिल्ली की सुप्रसिद्ध गायिका डाॅ. राधिका चोपड़ा ने अपनी सुरीली आवाज़ में एक-एक कर ग़ज़लों का पिटारा खोला। जिसमें शकील बदायुनी की रचना ‘‘ऐ मोहब्बत तेरे अंजाम पे रोना आया...’’ और ग़ालिब की ग़ज़ल ‘‘कोई उम्मीद बर नही आती...’’ सुना कर दर्शकों की वाहवाही लूटी। 

डाॅ. राधिका ने जेसे ही मशहूर शायर साहिर लुधियानवी का कलाम ‘‘तुम अपना रंजो ग़म...’’ की तान छेड़ी तो उपस्थित दर्शकों ने रितल ध्वनि से फनकार का इस्तकबाल किया। कार्यक्रम में डाॅ. राधिका ने मिर्जा ग़ालिब का एक और कलाम ‘‘हज़ारों ख़ाहिशें ऐसी..’’ सुना कर दर्शकों पर अपनी गायकी से मंत्र मुग्ध सा कर दिया। 

राधिका की के सुरों से सजी और बेहज़ाद लखनवी की एक और ग़ज़ल ‘‘दीवाना बनाना है तो बना दे को दर्शकों ने चाव से सुना व दाद दी। इसके बाद उन्होंने पुराना दादरा ‘‘ हमरी अटरिया पे ...’’ में अपनी गायकी के गहरेपन का अहसास करवाया। डाॅ. राधिका के साथ सारंगी पर उस्ताद ग़ुलाम साबिर, तबले पर अमजद ख़ान तथा हारमोनियम पर नफीस अहमद ने संगत की। केन्द्र के प्रभारी निदेशक सुधांशु सिंह ने राधिका का पुष्प् गुच्छ से स्वागत किया। कार्यक्रम का संचालन दुर्गेश चांदवानी द्वारा किया गया।
 

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