पकवानों की महक, दिव्यांगों के कौशल और कला के नये व सौम्य स्वरूप के साथ ‘‘शरद रंग’’ का समापन


पकवानों की महक, दिव्यांगों के कौशल और कला के नये व सौम्य स्वरूप के साथ ‘‘शरद रंग’’ का समापन

लोक कला एवं ग्रामीण परिसर ‘‘शिल्पग्राम’’ में पश्चिम क्षेेत्र सांस्कृतिक केन्द्र की ओर से आयोजित पांच दिवसीय विशेष उत्सव ‘‘शरद रंग’’ व फूड फेस्टीवल का समापन रविवार को हुआ। पांच दिन के उत्सव में एक ओर जहां आठ राज्यों के पाक शिल्पियों के बनाये व्यंजनों की महक छोड़ गया वहीं आखिरी शाम दिव्यांग बालकों का व्हील चेयर पर हतप्रभ कर देने वाला कला कौशल और शास्त्रीत्व के रंग में सजी सामयिक नृत्य प्रस्तुतियों ने

 
पकवानों की महक, दिव्यांगों के कौशल और कला के नये व सौम्य स्वरूप के साथ ‘‘शरद रंग’’ का समापन

लोक कला एवं ग्रामीण परिसर ‘‘शिल्पग्राम’’ में पश्चिम क्षेेत्र सांस्कृतिक केन्द्र की ओर से आयोजित पांच दिवसीय विशेष उत्सव ‘‘शरद रंग’’ व फूड फेस्टीवल का समापन रविवार को हुआ। पांच दिन के उत्सव में एक ओर जहां आठ राज्यों के पाक शिल्पियों के बनाये व्यंजनों की महक छोड़ गया वहीं आखिरी शाम दिव्यांग बालकों का व्हील चेयर पर हतप्रभ कर देने वाला कला कौशल और शास्त्रीत्व के रंग में सजी सामयिक नृत्य प्रस्तुतियों ने शरद रात को अपनी कलाओं से ऊष्मित सा कर दिया।

पकवानों की महक, दिव्यांगों के कौशल और कला के नये व सौम्य स्वरूप के साथ ‘‘शरद रंग’’ का समापन

मुक्ताकाशी रंगमंच पर विशेष कला प्रस्तुति में सर्वप्रथम अन्वेषणा सोसायटी नई दिल्ली के कलाकारों की प्रस्तुति थी। संगीता शर्मा के नेतृत्व में आये इस दल ने महाभारत पर आधारित ‘‘अतिरथी’’ का प्रस्तुति करण प्रभावी ढंग से किया। दक्षिण भारत की मार्शल आर्ट लिरी पयट्टू, आॅडीशा का छाऊ तथा कत्थक जैसी शास्त्रीय कला के त्रियुग्म से सजी इस प्रस्तुति में महाभारत के युद्ध में कर्ण और अर्जुन के निर्णाश्क युद्ध के पाश्र्व की मनः स्थिति का चित्रण कलात्मक ढंग से किया गया। पं. नरेन्द्र शर्मा की शिष्या और नृत्य नाटिका के वरिष्ठ कलाकार पं. उदय शंकर की अनूयायी संगीता शर्मा द्वारा परिकल्पित इस प्रस्तुति में कौरवों की ओर से युद्ध करने वाले कर्ण को जहां एक वीर योद्धा बताया वहीं पांडव सेना की बागडोर धनुर्धर अर्जुन के हाथ में थी।

पकवानों की महक, दिव्यांगों के कौशल और कला के नये व सौम्य स्वरूप के साथ ‘‘शरद रंग’’ का समापन

दोनों कुंती पुत्र थे पर एक दूसरे के विरूद्ध लड़े ऐसे में कुंती की मन‘ स्थित और मनोभावों को नृत्य रचना में श्रेष्ठ व भाव पूर्ण ढंग से प्रदर्शित किया गया। युद्ध के दृश्यों में मार्शल आर्ट का प्रयोग जहां रोमांचकारी बन सका वहीं दूसरी ओर प्रकाश और ध्वनि प्रभावों ने प्रस्तुति को रोचक और दर्शनीय बना दिया। प्रस्तुति में स्वयं संगीता शर्मा, सुभाशीष डे, केरोलीना प्रदा, अदिति चटर्जी, उमेश बिष्ट, साक्षी जूयल, तुशार यादव, प्रज्ञा मट्टा, व पुनीत गंगानी ने अपने नृत्याभिनय से समां सा बांध दिया। प्रस्तुति में प्रकाश व्यवस्था अतुल मिश्रा की थी तथा संगीत रचना जीवेश सिंह की थी।

पकवानों की महक, दिव्यांगों के कौशल और कला के नये व सौम्य स्वरूप के साथ ‘‘शरद रंग’’ का समापन

इसके बाद नई दिल्ली की संस्था वी आर वन ट्रस्ट से आये दिव्यांग कला साधकों ने अपनी रोमांचक प्रस्तुति से दर्शकों को न केवल मंत्रमुग्ध सा कर दिया अपितु कला रसिक उनके कला कौशल से हथप्रभ से रह गये। वी आर वन के हसनेन की अगुवाई में दिव्यांग कलाकारों ने सर्व प्रथम ‘‘डिवीनिटी आॅन व्हील्स’’ के जरिये दर्शकों के बीच अपनी उपस्थिति दर्ज करवाई। इसके बाद गणपति वंदना में ईश स्तुति की गई। मुक्ताकाशी रंगमंच की दर्शक दीर्घा में मौजूद कला प्रेमी उस समय आश्चर्य चकित रह गये जब दिव्यांग कलाकारों ने ‘‘क्लासिकल मूड आॅन व्हील्स’’ में भरतनाट्यम् शैली के तत्वों का प्रदर्शन व्हील्स पर किया। दक्ष्णि भारतीय यौली के संगीत पर भरत नाट्यम की मुद्राएँ व्हील्स पर बनाना तथा उसे एकटक निहारना दर्शकों के लिये एक नूतन अनुभव बन सका। नृत्य की संरचना इतनी बेहतरीन थी कि एक-एक मुद्रा और मूवमेन्ट्स दर्शनीय बन सके। इसके बाद ‘‘न्यू इनोवटिव्ज़ इन आर्ट’’ समापन अवसर की बेहतरीन प्रस्तुति बन सकी।

पकवानों की महक, दिव्यांगों के कौशल और कला के नये व सौम्य स्वरूप के साथ ‘‘शरद रंग’’ का समापन

हसनैन के अनुसार इस प्रस्तुति में व्हील्स पर पहली बार ‘‘शिव ताण्डव’’ का प्रदर्शन न केवल देश में अपितु पहली बार उदयपुर में किया गया। शिव ताण्डव स्रोत ‘‘जटाटवीगलज्ज्ल प्रवाहपावितस्थले गलेवलम्ब्य लंबितं भुजंगतुगमालिकम्….’’ के जोशीले स्रोत के साथ दिव्यांग कलाकारों ने एक नये जोश खरोश के साथ ‘‘शिव ताण्डव’’ का प्रदर्शन कर दर्शकों को अचम्भित कर दिया तथा समची दर्शक दीर्घा करतल ध्वनि से गुंजाश्मान हो उठी। प्रस्तुति में हसनेन, मेन्टोर गीता पुदवल, कोरियोग्राफर गुलशन कुमार के साथ कलाकार अलका शाह, करूणा सरकार, ज्योति, मनीष वर्मा, विजय कुमार, हरबीर सिंह व अर्जन ने अपने जानदार कला कौशल का प्रदर्शन किया।

पकवानों की महक, दिव्यांगों के कौशल और कला के नये व सौम्य स्वरूप के साथ ‘‘शरद रंग’’ का समापन

रविवारीय अवकाश के चलते दोपहर व शाम में बड़ी संख्या में लोग शिल्पग्राम पहुंचे व खान-पान का कचोरी, छोले भटूरे, छोले कुलछे, झुणका भाखर, मटका रोटी, लिट्टी चोखा, जलेबा, चन्द्रकला, हबहारी मिठाई, अवधि मिष्ठान्न, वाहिद के बनाये नाॅनवेज खाने का आनन्द लिया।

To join us on Facebook Click Here and Subscribe to UdaipurTimes Broadcast channels on   GoogleNews |  Telegram |  Signal

Tags