दो दिवसीय फर्टीलाइजर ओरियन्टेशन कोर्स का समापन


दो दिवसीय फर्टीलाइजर ओरियन्टेशन कोर्स का समापन

राजस्थान कृषि महाविद्यालय, उदयपुर एवं फर्टीलाइजर एसोसिएशन ऑफ इण्डिया,( एफ.ए. आई.) नई दिल्ली के संयुक्त तत्वाधान में दो दिवसीय फर्टीलाइजर ओरियन्टेशन कोर्स, दिनांक 5 एवं 6 फरवरी, 2014 को राजस्थान कृषि महाविद्वालय के प्रसार शिक्षा विभाग में आयोजित किया गया।

 
दो दिवसीय फर्टीलाइजर ओरियन्टेशन कोर्स का समापन

राजस्थान कृषि महाविद्यालय, उदयपुर एवं फर्टीलाइजर एसोसिएशन ऑफ इण्डिया,( एफ.ए. आई.) नई दिल्ली के संयुक्त तत्वाधान में दो दिवसीय फर्टीलाइजर ओरियन्टेशन कोर्स, दिनांक 5 एवं 6 फरवरी, 2014 को राजस्थान कृषि महाविद्वालय के प्रसार शिक्षा विभाग में आयोजित किया गया।

इस कार्यक्रम में राजस्थान कृषि महाविद्यालय के चतुर्थ वर्ष, एम.एस.सी. एवं पी.एच.डी. के अनुसंधान में अध्ययनरत करीब 120 विद्यार्थीयों नें भाग लिया।

कार्यक्रम के मुख्य अतिथी सतीश चन्द्र, महानिदेशक, एफ.ए. आई., नई दिल्ली ने विद्यार्थियों को संबोधित करते हुए भारत में उर्वरकों के उत्पादन एवं खपत के अन्तर के बारे में बताया। साथ ही में उन्होने बताया कि आज भी भारत को बहुत सारे उर्वरक दूसरे देशों से आयात करने पड़ रहे है, जबकि लागत इतनी ज्यादा है कि देश की एक बड़ी धन राशी उसमें व्यय हो रही है। इसलिए उन्होनें खेती मे उर्वरकों के बेहतर एवं समुचित उपयोग पर जोर दिया।

कार्यक्रम की अध्यक्षता राजस्थान कृषि महाविद्यालय, उदयपुर के अधिष्ठाता डॉ. एस. आर. मालू ने की। डॉ. मालू ने अपने अध्यक्षीय उद्बोधन में छात्रों से रूब-रू होते हुए इस दो दिवसीय फर्टीलाइजर ओरियन्टेशन कोर्स की उपयोगिता पर प्रकाश डाला।

उन्होने कहा कि छात्र अपने अनुसंधान के माध्यम से यह पता लगावें कि किस तरह उर्वरकों के न्यूनतम उपयोग से अधिकतम उपज प्राप्त की जा सकती है और खेती में उर्वरकों के लगातार उपयोग से मृदा में हो रहे नुकसान को कम किया जा सके।

इस दो दिवसीय कार्यशाला में फर्टीलाइजर एसोसिएशन ऑफ इण्डिया के उत्तरी संभाग के संभाग अधिकारी डॉ. यू. एस. तेवतिया ने उर्वरकों के उपयोग के बारे में फैली बहुत सी अवधारणों एवं गलत मान्यताओं के बारे में प्रकाश डालते हुए बताया कि पर्यावरण को नुकसान पहुंचाने वाले तत्व उर्वरक नहीं हैं, अपितु गलत तरीके से इनके उपयोग के कारण वातावरण में प्रदूषण फैलता है। इसलिए उन्होने उर्वरकों के समुचित उपयोग एवं सही तरीके एवं सही मात्रा में इस्तेमाल करने पर जोर दिया।

अन्त में डॉ. एन. के. पंजाबी, विभागाध्यक्ष, प्रसार शिक्षा विभाग ने धन्यवाद ज्ञापित किया।

कार्यशाला में डॉ. राजीव बैराठी एवं डॉ. गजानन्द जाट ने विभिन्न गतिविधियों को संपादित करने में अपना अहम योगदान दिया। कार्यक्रम के दौरान एक सामान्य ज्ञान प्रतियोगिता भी आयोजित की गई जिसमें मृदा रसायन विभाग के एम.एस.सी. के छात्र नवीन शर्मा ने प्रथम स्थान प्राप्त किया तथा जितेन्द्र एवं धर्मपाल क्रमषः द्वितीय एवं तृतीय स्थान पर रहे।

कार्यक्रम का समापन काजरी, जोधपुर के पूर्व वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. एन. एल. जोशी के मुख्य आतिथ्य में सम्पन्न हुआ।

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