अल्प प्रचलित फलों के व्यावसायिक दोहन हेतु मूल्य श्रृंखला परियोजना की समापन कार्यशाला


अल्प प्रचलित फलों के व्यावसायिक दोहन हेतु मूल्य श्रृंखला परियोजना की समापन कार्यशाला

विश्व बैंक पोषित एवं भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद् नई दिल्ली द्वारा स्वीकृत परियोजना ‘अल्प प्रचलितम फलों के व्यावसायिक दोहन हेतु मूल्य श्रृंखला’ की समापन कार्यशाला का आयोजन कल अनुसंधान निदेशालय, महाराणा प्रताप कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय में प्रातः 11 बजे से किया जाऐगा।

 

विश्व बैंक पोषित एवं भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद् नई दिल्ली द्वारा स्वीकृत परियोजना ‘अल्प प्रचलितम फलों के व्यावसायिक दोहन हेतु मूल्य श्रृंखला’ की समापन कार्यशाला का आयोजन कल अनुसंधान निदेशालय, महाराणा प्रताप कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय में प्रातः 11 बजे से किया जाऐगा।

यह परियोजना कृषि विश्वविद्यालय के उद्यान विज्ञान विभाग, राजस्थान कृषि महाविद्यालय, उदयपुर मे तीन वर्ष पूर्व प्रारम्भ हुई थी जिसमें केन्द्रीय तुड़ाई उपरान्त तकनीकी एवं अभियांत्रिकी संस्थान प्रमुख सहयोगी थे। परियोजना मे मुख्य रूप से सीताफल, बेर, आंवला एवं जामुन के तुडाई उपरान्त प्रबंधन एवं प्रसस्ंकरण के क्षेत्र मे विभिन्न तकनीकों का विकास किया गया है।

निदेशक अनुसंधान डॉ. पी.एल. मालीवाल ने बताया कि इस परियोजना मे मुख्य रूप से सीताफल की प्रसस्ंकरण तकनीक को विकसित कर मूल्य श्रंृखला का विकास किया गया है तथा इस उपलब्धि द्वारा राष्ट्रीय स्तर पर विश्वविद्यालय की पहचान बनी है।

इस परियोजना में विकसित तकनीक को तीन विभिन्न प्रसंस्करण उद्योगों को एमओयू के माध्यम से हस्तांतरित भी किया गया है।

कार्यशाला की अध्यक्षता एमपीयूएटी के कुलपति प्रो. ओ.पी.गिल करेंगे तथा मुख्य अतिथि डॉ ओ.पी पारीक, पूर्व निदेशक, केन्द्रीय शुष्क बागवानी संस्थान, बीकानेर होंगे। इस कार्यशाला मे विभिन्न वैज्ञानिक, उद्योगपति, कृषि अधिकारी, किसान आदि की प्रतिभागिता रहेगी।

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