भारतीय लोक कला मण्डल के 67वें स्थापना दिवस पर आयोजित कार्यक्रमों का समापन


भारतीय लोक कला मण्डल के 67वें स्थापना दिवस पर आयोजित कार्यक्रमों का समापन

भारतीय लोक कला मण्डल के 67वें स्थापना दिवस पर दी. परफोरमर्स संस्था के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित 14 वे पद्मश्री देवीलाल सामर स्मृति राष्ट्रीय नाट्य

 
भारतीय लोक कला मण्डल के 67वें स्थापना दिवस पर आयोजित कार्यक्रमों का समापन

भारतीय लोक कला मण्डल के 67वें स्थापना दिवस पर दी. परफोरमर्स संस्था के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित 14 वे पद्मश्री देवीलाल सामर स्मृति राष्ट्रीय नाट्य समारोह के चौथे और अन्तिम दिन आषाढ़़स्य प्रथम दिवस नाटक का मंचन हुआ। मानद सचिव, रियाज तहसीन व निदेशक डाॅ. लईक हुसैन ने बताया कि 60 के दशक में मोहन राकेश द्वारा रचित और प्रमोद चव्हाण द्वारा निर्देशित, महाराजा सयाजीराव विश्वविद्यालय, बडौदा (गुजरात) के नाट्य विभाग द्वारा नाटक आषाढ़़स्य प्रथम दिवस का मंचन किया गया।

आषाढ़़स्य प्रथम दिवस आधुनिक युग के प्रथम हिन्दी नाटक कहे जाने वाले आषाढ़ का एक दिन का गुजराती रूपान्तरण है। जो प्राचीन भारतीय इतिहास के महान संस्कृत कवि और नाटककार कालिदास की जीवनी पर आधारित है। नाटक में कालीदास की पृष्ठभूमि का उपयोग आधुनिक, समकालीन स्थितियों को चित्रित करने के लिये किया गया है। जिसमें कलाकार /साहित्यकार के दुखःद तथ्यों को प्रस्तुत किया गया है। एक कलाकार को उसकी वास्तविक प्रकृति का प्रतिनिधित्व करने के लिये राजनीतिक ताकतो और कलात्मक कौशलता के बीच उपजे संघर्ष को बताया गया है। कालिदास पनी कल्पनाशील सजृनात्मकता से सृजित मल्लिका के प्रेम व्यवहार में किस प्रकार राजनेतिक लालसा का भोगी बन जाता है तथा अन्त में उसे यह अनुभव होता है कि अपनी कलात्मक कौशलता में बना रहना ही उचित है।

मुख्य भूमिकाओं में मृग शावक – नूपुर ठक्कर, परिधी ब्रह्मभटृ , हेतवी शाह, यशश्री देवधर, मल्लिका – कृतिशा चोवटिया, कालिदास- वीर प्रताप सिंह, अम्बिका- दृष्टि डोडिया, प्रियांगुमंजरी- आर. जे. ध्वनी भटृ, दंतुल- ओमरमूक्तार एम. शाह, अनुस्वार- प्रसंजीत दे, अनुनासिक- अखिल नायर, मातुल- ऋषि मेहता, निक्क्षेप- पृथ्वीष मेहता, विलोम- एस राणा थे तथा मंच प्रबंधक – ऋषिकेश करंजगावकर, संगीत पर – विपुल बारोट और बिरजू कंथारिया, प्रकाश रचना- ऋषिकेश करंजगावकर , संचालन- मुकूल धनालिया और ताहा अली ने किया।

निदेशक डाॅ. लईक हुसैन ने बताया कि भारतीय लोक कला मण्डल के स्थापना दिवस पर आयोजित समारोह मे दिंनाक 22 से 28 फरवरी 2018 तक लोकानुरंजन मेला, शिल्प मेला एवं 14 वाॅ पद्मश्री देवीलाल सामर स्मृति राष्ट्रीय नाट्य समारोह का आयोजन किया गया जिसमें राजस्थान सहित देश के अन्य राज्यों से आये लगभग 450 लोक कलाकारो, शिल्पीयों एवं रंगकर्मियों ने समारोह में भाग लिया।

सात दिवसीय समारोह के समापन अवसर पर संस्था के मानद सचिव, रियाज तहसीन ने कला एवं संस्कृति विभाग-राजस्थान सरकार, राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय-नई दिल्ली, संगीत नाटक अकादमी-नई दिल्ली, राजस्थान संगीत नाटक अकादमी-जोधपुर, गुजरात संगीत नाटक अकादमी-गांधी नगर, भाषा एवं संस्कृति विभाग- तेलंगाना सरकार, उत्तर क्षेत्र सांस्कृतिक केन्द्र-पटियाला, उत्तर-मध्य क्षेत्र सांस्कृतिक केन्द्र-इलाहाबाद, दक्षिण क्षेत्र सांस्कृतिक केन्द्र-तन्जावुर, युवक सेवा एवं सास्कृतिक प्रवृति विभाग, गुजरात सरकार, और दि. परफोरमर्स- उदयपुर के सहयोग के लिये आभार प्रकट किया तथा यह विश्वास दिलाया की भारतीय लोक कला मण्डल के द्वारा विगत 67 वर्षो से लोक कला संस्कृति के संरक्षण, प्रोहत्सान एवं प्रचार प्रसार के कार्यो को निरंतर जारी रखेेगे।

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