अणव्रती मोहनभाई को शोकांजलि


अणव्रती मोहनभाई को शोकांजलि

शनिवार को सम्प्रति संस्थान द्वारा आयोजित शोकांजलि में प्रसिद्ध साहित्यकार प्रो. नंद चतुर्वेदी ने कहा कि, "मोहनभाई का स्मरण एक नैतिक पुरूष की तरह मेरे मन में रचाबसा है। वे अपने पूरे जीवन में एक आदर्श पुरूष की तरह सत्य और अहिंसा के सिद्धांतों का पालन करते हुए जिये"।

 

शनिवार को सम्प्रति संस्थान द्वारा आयोजित शोकांजलि में प्रसिद्ध साहित्यकार प्रो. नंद चतुर्वेदी ने कहा कि, “मोहनभाई का स्मरण एक नैतिक पुरूष की तरह मेरे मन में रचाबसा है। वे अपने पूरे जीवन में एक आदर्श पुरूष की तरह सत्य और अहिंसा के सिद्धांतों का पालन करते हुए जिये”।

“वे बच्चों में नैतिक जीवन के विकास करने का अनवरत प्रयास करते रहे। इसके लिए उन्होंने बच्चों का देश नाम की मासिक पत्रिका प्रारंभ की। अपने सरल और सत्यनिष्ठ जीवन के लिए मोहनभाई हम सबके लिए उदाहरण रहेंगे”।

लोककलाविद् डॉ. महेन्द्र भानावत ने मोहनभाई से जुड़े संस्मरण सुनाते हुए कहा कि, “मोहनभाई से उनका 40 वर्ष पुराना संबंध था। बीदासर में आचार्य तुलसी के सान्निध्य में पहलीबार उनसे भेंट हुई जब वे निम्न वर्ग के लोगों में शिक्षा-सेवा के लिए समर्पित थे। यों वे विद्रोही स्वभाव के थे किंतु आचार्य तुलसी ने उन्हें अपने अणुव्रत मिशन से जोडक़र उनका ह्रदय परिवर्तन कर दिया”।

डॉ. भानावत ने कहा कि, “मोहनभाई गांधीवादी देशभक्त स्वतंत्रता सेनानी थे। राजसमंद में अणुव्रत विश्व भारती की स्थापना कर उन्होंने इधर के साहित्यकारों को जोड़ा और समय-समय पर बहुत सारी संगोष्ठियां, नैतिकता से जुड़े आयोजन, अणुव्रत समारोह तथा काव्य निशाएं आयोजित कीं”।

डॉ. भानावत को लिखे उनके कई पत्र उनकी मानवीय दृष्टि, सेवा परायणता कार्य करने की जिद्द और अपने ढंग से सोचने समझने और नया कुछ कर गुजरने की क्षमता को व्यक्त करते हैं। उनके जैसा व्यक्ति अब देखने को बमुश्किल ही मिलेगा।

शोकांजलि में डॉ. अनुराग चतुर्वेदी, डॉ. कहानी मेहता, डॉ. मंजु चतुर्वेदी, डॉ. तुक्तक भानावत, किशन दाधीच, इकबाल सागर आदि उपस्थित थे।

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