कम्पीटिशन एक्ट पर वार्ता का आयोजन
उदयपुर, 26 मार्च 2019, "खुली अर्थव्यवस्था में उपभोक्ता को उचित दाम पर बेहतर उत्पाद एवं स
उदयपुर, 26 मार्च 2019, “खुली अर्थव्यवस्था में उपभोक्ता को उचित दाम पर बेहतर उत्पाद एवं सेवाएं उपलब्ध करवाने के लिये बाजार में स्वस्थ प्रतिस्पर्धा जरूरी है। किसी एक संगठन या ग्रुप का बाजार पर कब्जा या मोनोपाॅली स्थापित होने से रोकने के लिये सरकार द्वारा कम्पीटिशन एक्ट लागू किया गया है।” उपरोक्त जानकारी श्री अर्पित गुप्ता ने यूसीसीआई में दी।
उदयपुर चेम्बर ऑफ़ काॅमर्स एण्ड इण्डस्ट्री द्वारा यूसीसीआई भवन के पायरोटेक टेम्पसन्स सभागार में ‘प्रतियोगिता अधिनियम‘ पर एक संगोष्ठी का आयोजन किया गया। इस संगोष्ठी में भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग, नई दिल्ली के उप निर्देषक (अर्थशास्त्र) अर्पित गुप्ता मुख्य वक्ता थे। इस संगोष्ठी में यू.सी.सी.आई. सदस्यों के अलावा विभिन्न सरकारी एवं गैर सरकारी विभागों के अधिकारियों, व्यापारिक एसोसिएशनों के सदस्यों एवं पदाधिकारियों ने भाग लिया।
कार्यकारिणी सदस्य पवन तलेसरा ने मुख्य वक्ता अर्पित गुप्ता एवं संगोष्ठी में उपस्थित प्रतिभागियों का स्वागत करते हुए कहा कि देश के आर्थिक विकास में चुनौतियों के रूप में एकाधिकार (मोनोपाॅली), उत्पाद या सेवा के बाजार में प्रवेश से रोकने के लिए बाधाएं खडी कर देना आदि समस्याएं मौजूद है। एक मोनोपाॅली फर्म अपने प्रतिद्वंद्वियों की तुलना में कम लागत पर काम कर सकती है तथा अन्य फर्म के लिये बाधाएं उत्पन्न कर सकती है। यह बाधाएं कानूनी या नियामक, आर्थिक या भौगोलिक हो सकती हैं। अन्य प्रतियोगियों की अनुपस्थिति द्वारा एकाधिकार फर्म कीमतों को बढ़ा सकता है, उत्पादन को प्रतिबंधित कर सकता है और उपभोक्ताओं को चोट पहुंचा सकता है।
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यू.सी.सी.आई. के मुख्य कार्यकारी अधिकारी श्री कौस्तुभ भट्टाचार्य ने मुख्य वक्ता का संक्षिप्त परिचय एवं कार्यक्रम की रूपरेखा प्रस्तुत की। अपने अभिभाषण में अर्पित गुप्ता ने संगोष्ठी में उपस्थित उद्यमियों, कर सलाहकारों एवं विधिवेत्ताओं को प्रतियोगिता अधिनियम के संदर्भ में जानकारी देते हुए बताया कि प्रतिस्पर्धा अधिनियम 2002 भारत का एक अधिनियम है जो भारत में स्वस्थ प्रतिस्पर्धा को बढ़ावा देने के उद्देश्य से पारित किया गया। इस अधिनियम ने एकाधिकार तथा अवरोधक व्यवहार अधिनियम-1969 का स्थान लिया। अधिनियम के अन्तर्गत भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग की स्थापना हुई।
अर्थव्यवस्था में निष्पक्ष प्रतिस्पर्धा का सृजन करने और ‘सबको समान अवसर प्रदान करने‘ के लिए भारतीय संसद द्वारा दिनांक 13 जनवरी 2003 को ”प्रतिस्पर्धा अधिनियम-2002“ लागू किया गया। इसके उपरान्त दिनांक 14 अक्टूबर 2003 से केन्द्र सरकार द्वारा भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग (सी.सी.आई.) की स्थापना की गई। इसके उपरान्त प्रतिस्पर्धा (संशोधन) अधिनियम-2007 द्वारा इस अधिनियम में संशोधन किया गया। दिनांक 20 मई 2009 को प्रतिस्पर्धा-विरोधी समझौते और मोनोपाॅली की स्थिति के दुरुपयोग से संबंधित अधिनियम के प्रावधानों को अधिसूचित किया गया।
एक अध्यक्ष और तीन सदस्यों के साथ भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग पूर्णतया क्रियाषील विभाग है। प्रतिस्पर्धा आयोग चार प्रमुख बिंदुओं पर ध्यान केन्द्रित करता है- प्रतिस्पर्धा विरोधी समझौते, प्रमुख स्थितियों का दुरुपयोग, संयोजन विनियमन और प्रतिस्पर्धा की हिमायत करना। अर्पित गुप्ता ने प्रतियोगिता अधिनियम की विभिन्न धाराओं पर प्रकाष डाला और आयोग के समक्ष प्रस्तुत किये गये विभिन्न प्रकरणों की केस स्टडी पर विस्तार से चर्चा की।
कार्यक्रम में पवन तलेसरा, के.पी. सुखतांकर, रविश माण्डावत, आर.के. दास, पी. चित्रे, मिथुन गमेती आदि यू.सी.सी.आई. सदस्यों के अलावा विभिन्न सरकारी एवं गैर सरकारी विभागों के अधिकारियों, व्यावसायिक एसोसिएशनों के पदाधिकारियों एवं सदस्यों सहित लगभग 40 प्रतिभागियों ने हिस्सा लिया। कार्यक्रम का संचालन मुख्य कार्यकारी अधिकारी कौस्तुभ भट्टाचार्य ने किया। कार्यक्रम के अन्त में उप अधिषाशी अधिकारी असित भारद्वाज ने सभी को धन्यवाद ज्ञापित किया।
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