जीवन के शाश्वत सिद्धान्त विषयक वार्ता आयोजित
सिद्धान्त एवं कानून दोनों अलग-अलग होते है। कानून सरकार बनाती है जबकि सिद्धान्तों का निर्माण प्रकृति करती है। प्रकृति के बनाये सिद्धान्त बहुत मुश्किल से बदलते है। वे अडिग होते है।
सिद्धान्त एवं कानून दोनों अलग-अलग होते है। कानून सरकार बनाती है जबकि सिद्धान्तों का निर्माण प्रकृति करती है। प्रकृति के बनाये सिद्धान्त बहुत मुश्किल से बदलते है। वे अडिग होते है।
यह कहना था जीवन बीमा निगम के सेवानिवृत्त जोनल विजिलेंस ऑफिसर रमेशचन्द्र भट्ट का, जो गरूवार को रोटरी क्लब उदयुपर द्वारा रोटरी बजाज भवन में आयोजित जीवन के शाश्वत सिद्धान्त विषयक वार्ता में मुख्य वक्ता के रूप में बोल रहे थे। उन्होंने कहा कि समय, परिवर्तन शाश्वत है। प्रकृति में कछ भी स्थिर नहीं है। कर्म का फल अवश्य मिलता है। जीवन में की जाने वाली क्रिया की प्रतिक्रिया अवश्य मिलती है। जीवन में अदृश्य शक्ति का सहयोग अवश्य मिलता है। धरती पर जन्म लेने वाला हर व्यक्ति अपने दायित्व का निर्वहन करता है। प्रकृति की सृजन एंव विध्वंस की क्रिया निरन्तर चलती रहती है।
उन्होंने बताया कि किसी भी घटना के पीछे कारण अवश्य होता है। सृष्टि में हर व्यक्ति को वह स्थान मिला है जिसके लिए वह इस धरती पर आया है। संचित, प्रारब्ध एंव भविष्य ये तीन प्रकार कर्म होते है जिनके सहारे व्यक्ति अपना जीवन जीता है। जीवन में घटनाक्रम नही बदलता है सिर्फ उसका कलेवर बदलता है। समय का स्ममान करना चाहिये।
इस अवसर पर क्लब अध्यक्ष डॉ. बी.एल.सिरोया ने बताया कि 25 सितम्बर से 2 अक्टूबर तक रोटरी क्लब उदयपुर द्वारा रोटरी बजाज भवन में डी.पी.धाकड़ के नेतृत्व में आठ दिवसीय गरबा का आयोजन होगा। सचिव डॉ.नरेन्द्र धींग ने सचिवीय जानकारी दी। प्रारम्भ में श्रीमती सुषमा गोयल ने ईश वंदना प्रस्तुत की।
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