उदयपुर 17 जनवरी 2021 । झीलों तालाबो के अधिकतम भराव तल तक की झील पेटा भूमि को बचाना कानूनी व पर्यावरणीय दृष्टि से बहुत जरूरी है। यह विचार रविवार को आयोजित झील संवाद में रखे गए। झील विशेषज्ञ डॉ अनिल मेहता ने कहा कि झीलों की मूल जल भराव सीमाओं को सरकार द्वारा घटा देने के कारण झील पेटे की भूमि पर मिट्टी भराव हो निर्माण हो रहे है। यह एक गंभीर अपराध होकर झीलों की हत्या है।
झील सुरक्षा व विकास समिति के सदस्य तेज शंकर पालीवाल ने कहा कि फतेहसागर उपरला तालाब को योजनाबद्ध तरीके से पाटा जा रहा है। यह ध्यान रखना होगा कि भविष्य में उपरला तालाब नक्शे से ही गायब नही हो जाये।
गांधी मानव कल्याण सोसायटी के निदेशक नंद किशोर शर्मा ने कहा कि झीलें तालाब निरंतर छोटे होते रहे तो उदयपुर को गंभीर सामाजिक, आर्थिक व पर्यावरणीय संकटों का सामना करना पड़ेगा।
संवाद से पूर्व बारीघाट पर श्रमदान कर झील मित्रो ने झील पर तैरती हुई पॉलीथिन, नमकीन के पाउच, खाद्य व घरेलू सामग्री, नारियल, फूल मालाये व पानी, शराब की बोतलें निकाली। श्रमदान में तेज शंकर पालीवाल, द्रुपद सिंह चौहान, राम लाल गहलोत, गोपाल कुमावत, बंटी कुमावत एवं नन्द किशोर शर्मा सहित स्थानीय नागरिकों ने भाग लिया।
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