उदयपुर, 02 दिसम्बर 2019। श्री जैन श्वेताम्बर मूर्तिपूजक श्रीसंघ के तत्वावधान में एवं प्रन्यास प्रवर विरागरतन विजय एवं साध्वी सुदर्शनाश्री जी की निश्रा में उन्नसाठ वर्षीय दीक्षार्थी को उल्लास एवं उमंग के साथ दीक्षा ग्रहण की अब मनीष भाई बने मुनि गुरू वन्दन विजय जी बनने के साथ ही तीन दिवसीय दीक्षा महोत्सव का समापन हुआ।
श्रीसंघ के अध्यक्ष डॉ. शैलेंद्र हिरण ने बताया कि दीक्षार्थी मनीष भाई की मालदास स्ट्रीट आराधना भवन में तीन दिवसीय दीक्षा महोत्सव के समापन पर अल्प सुबह 5 बजे प्रतिक्रमण किया उसके बाद विधि विधान अनुसार प्रातः 7.30 बजे स्नात्र पूजा की गई और उसके बाद 8 बजे गुरू त्याग हुआ। 9 बजे से प्रन्यास प्रवर की निश्रा में दीक्षा महोत्सव प्रारम्भ हुआ।
दीक्षार्थी मनीष भाई बडे ही हर्ष के साथ संगीतकार डॉ. अक्षय भाई एवं विनीत भाई के संगीत के सुरो के बीच दीक्षार्थी झुम उठे। उन्हें प्रन्यास प्रवर ने साधु जीवन अंगीकार करने के लिए चौगा प्रदान किया। उसके बाद दीक्षा की विधि प्रारम्भ हुई। संगीत के मध्य दीक्षा कार्यक्रम चलता रहा। दीक्षार्थी के केशलोचन हुआ और उसके बाद उन्होंने सांसारिक वस्त्र त्याग कर साधु वेशभूषा धारण कर ली।
प्रन्यास प्रवर एवं साध्वीश्री द्वारा जयघोष के बीच उनका नामकरण दीक्षार्थी मनीष भाई से मुनि गुरू वन्दन विजय जी किया। चारों ओर से अक्षत की वर्षा होने लगी और गुरूवन्दन एवं प्रन्यास प्रवर की जयकारों से पूरा सभागार गुंजायामान हो गया। जोधपुर से संयम वेदना के लिए अनिल भाई एवं चन्द्रेश भाई आए जिन्होनें इस विधि को पूर्ण कराया।
श्री संघ के मंत्री कुलदीप नाहर ने बताया कि उत्साह और उमंग के साथ दीक्षा महोत्सव में सैकडों श्रावक-श्राविकाएं उमड पडे जिसमें दीक्षा की विधि में सकल संघ के श्रावक-श्राविकाओं ने लाभ लिया। नूतन दीक्षार्थी मुनि गुरूवंदन ने कहा कि चारित्र का अर्थ क्रूरता से संयम की ओर जाने का अर्थ ही चारित्र है। दीक्षा ग्रहण करने के बाद जैसे ही वे प्रन्यास प्रवर के साथ जैसे जी सभा में आए तो जयकारों से वातावरण गुंजायामान हो गया। दीक्षा महोत्सव के पश्चात सकल श्वेताम्बर मूर्ति पूजक संघ का स्वामिवात्सल्य हुआ।
संघ के कोषाध्यक्ष राजेश जावरिया ने बताया कि अहमदाबाद के रहने वाले मनीष भाई अजित भाई शाह ने मधुकांता की कुषि से जन्म लिया था। ये दो भाई बहन थे, बहन निधि ने 50 वर्ष पूर्व ही साध्वी जीवन अंगीकार कर लिया था। साध्वी निधीपूर्णा श्रीजी है। इनका विवाह प्रीति जैन के साथ हुआ था उनके एक लडकी है जो विवाहित है। इनकी पत्नी प्रीति का करीब 12 वर्ष पूर्व निधन हो गया। बहन महाराज के सानिध्य में आने के बाद छः माह से लगातार इनके सम्पर्क में रहने से मन में वैराग्य उत्पन्न हो गया और उन्ही की आज्ञा से प्रन्यास प्रवर से दीक्षा अंगीकार की।
To join us on Facebook Click Here and Subscribe to UdaipurTimes Broadcast channels on GoogleNews | Telegram | Signal