मानसिक शक्तियों के आधार पर होती ब्रह्म संसार की रचना


मानसिक शक्तियों के आधार पर होती ब्रह्म संसार की रचना

श्रमण संघीय महामंत्री सौभाग्य मुनि कुमुद ने कहा कि मानसिक शक्तियों कि तुलना में हमारा शरीर और हमारी वाणी तथा इनकी शक्तियंा कुछ भी नही है। मानसिक शक्तियां के आधार पर सम्पूर्ण बाह्य संसार की रचना होती हैं।

 

श्रमण संघीय महामंत्री सौभाग्य मुनि कुमुद ने कहा कि मानसिक शक्तियों कि तुलना में हमारा शरीर और हमारी वाणी तथा इनकी शक्तियंा कुछ भी नही है। मानसिक शक्तियां के आधार पर सम्पूर्ण बाह्य संसार की रचना होती हैं।

वे आज पंचायती नोहरा स्थित धर्मसभागार में आयोजित धर्मसभा का संबोधित कर रहे थे। उन्होनें कहा कि किसी भी कार्य को करने से पूर्व उसके कारण को जान लेना चाहिये क्योंकि कार्य नहीं कारण मुख्य होता हैं और हमें कारण को समझना चाहिये। मन का संसार सही होगा तो बाहर का संसार भी पवित्र बन जाएगा।

उन्होनें कहा कि आज हमारा संस्कार निर्माण का कार्य स्थगित सा हो गया हैं, संस्कार निर्माण का पहला कदम ही यह है कि बच्चों की मानसिकता को स्वस्थ और स्वछ बनाया जाए। जहां तक तन ओर वाणी का प्रश्न है तो ये मन के अनुचर है। मन जिधर चलाते है उधर ही तो ये जाते है। मानस शक्ति का अकंन होना कदापि संभव नही इसके पास अथाह शक्तियों का भंड़ार है। मानसिक शक्ति का प्रभाव विकसित होकर इतना आगे बढ़ जाता है कि परोक्ष वस्तुओं को भी वह साकार करके सामने दिखा देता है। जैसे आइना धूल जमने से धुधला और खराब हो जाता है। मानस भी ऐसा एक आइना है जो बुरे संस्कारो से प्रभावित करके गन्दा सा हो जाता है। यह यथार्थ है किन्तु यह भी यथार्थ है कि आइने की तरह मन को स्वछ करना भी कठिन नहीं है। हमें स्वाध्याय सत्संग द्वारा अपनी मानसिकता का मैल मिटा देना चाहिये।

प्रवचन सभा को विकसित मुनि जी ने सम्बोधित किया जबकि कोमल मुनि ने काव्य पाठ किया। कार्यक्रम का संचालन श्रावक संघ मंत्री हिम्मत बड़ाला ने किया।

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