स्मार्ट और इंटेलिजेंट होम नेटवर्क से अपराधों का आंकडा गिरा
मेटो सिटीज में स्मार्ट और इंटेलिजेंट होम नेटवर्क से चोरी, लूट आदि से जुडे अपराधों का ग्राफ नीचे उतरा है। पहले जहां इन सिटी में घटनाओं के बाद पुलिस को किसी तरह का सुराग हाथ नहीं लगता था, वहीं अब अधिकतम चौबीस घंटे में अपराधी जेल में होता है।
मेट्रो सिटीज में स्मार्ट और इंटेलिजेंट होम नेटवर्क से चोरी, लूट आदि से जुडे अपराधों का ग्राफ नीचे उतरा है। पहले जहां इन सिटी में घटनाओं के बाद पुलिस को किसी तरह का सुराग हाथ नहीं लगता था, वहीं अब अधिकतम चौबीस घंटे में अपराधी जेल में होता है।
यह इस स्मार्ट नेटवर्किंग का ही कमाल है। वर्तमान में 232 तरह के डिवाइस हैं, जिनकी वजह से स्मार्ट व इंटेलिजेंट होम नेटवर्किंग का इस्तेमाल होता है। यह जानकरी ग्लेमरन यूनिवर्सिटी से आए डॉरु अलहद के ने विद्यापीठ की ओर से आयोजित तीन दिवसीय कंप्यूटेशनल, इंटेलिजेंस व कम्युनिकेशन नेटवर्क पर आयोजित अंतरराष्ट्रिय कांफ्रेंस में दी।
कांफ्रेंस के आयोजन में एमआईआर लेब्स ग्वालियर का भी सहयोग रहा। डॉ अलहद के ने बताया कि वर्तमान में मोबाइल नेटवर्किंग से भी सामाजिक परिवर्तन देखने को मिले हैं। वर्तमान में 4जी व आने वाले 8जी को सपोर्ट करने वाले आईईएमएस जैसे सॉफृटवेयर सपोर्ट करेंगे, जिनसे हम कहीं से भी वीडियो कॉलिंग कर सकेंगे। निदेषक मनीश श्रीमाली ने बताया कि विभिन्न तकनीकी सऋों में 65 षोध पत्रों का वाचन हुआ।
मुख्य अतिथि के रूप में केनबरा विवि के डॉ मुर्रे वुडस ने कहा कि नेटवर्किंग की दिशा में और अधिक शोध की आवश्यकता है। भारत में भी नेटवर्किंग के क्षेत्र में युवओं को आगे बढना चाहिए। इसके अलावा यहां पर शोध को लेकर भी कंडीशन भी यहां काफी व्यापक है।
भारत में ऐसा कोई वर्ग नहीं है, जहां मोबाइल नेटवर्किंग का इस्तेमाल नहीं होता है। इसके चलते भारत में इस क्षेत्र में शोध की संभावनाएं भी बढ जाती है। एमआईआर लेब्स के प्रो जीएस तोमर ने कहा कि भारत में नेटवर्किंग के इस्तेमाल को देखते हुए अब बडी कंपनियों ने भी रूख किया है। इससे हमारे विद्यार्थियों के लिए फायदा होगा कि अब उन्हें अपने शोध और प्लेसमेंट के लिए कहीं बाहर नहीं जाना पडेगा।
विद्यापीठ के चांसलर व चीफ पैटर्न एचसी पारिख ने कहा कि नेटवर्किंग का इस्तेमाल शहरी क्षेत्र में अधिक है, जबकि ग्रामीण क्षेत्रों में आज भी इसकी संख्या कम है। ग्रामीण बच्चों में भी इसके प्रति रूचि पैदा करने के लिए ऐसा सॉफटवेयर बनाना चाहिए ताकि बच्चा खेल खेल में सारी गतिविधियों को समझ सके।
कुलपति प्रो एसएस सारंगदेवोत ने कहा कि नेटवर्किंग के क्षेत्र में अध्ययनरत छात्र छात्राओं को प्रायौगिक ज्ञान देने पर जोर देना चाहिए। विद्यार्थी जब तक प्रायौगिक ज्ञान नहीं करेगा तब तक वो नेटवर्किंग की बारीकियां नहीं समझ पाएगा। इसके लिए संभव हो तो पाठयक्रमों में भी बदलाव किया जाना चाहिए।
कांफ्रेंस में विशिष्ठ अतिथि दूरदर्शन के पूर्व एडीजी डॉ एचओ श्रीवास्तव, प्रो जीएस तोमर, एमआरआर लेब्स के प्रो एनएस राव, रजिस्टार प्रो सीपी अग्रवाल, डॉ प्रदीप पंजाबी, डॉ गौरव गर्ग, डॉ भारतसिंह देवडा, प्रो एसके मिश्रा, डॉ हेमशंकर दाधीच, डॉ मंजू मांडोत आदि ने भी विचार रखे। संचालन डॉ हीना खान ने किया व धन्यवाद निदेषक डॉ मनीश श्रीमाली ने ज्ञापित किया।
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