संस्कृति व साहित्य भी है हमारी विरासत: प्रो. गुप्ता
"विरासत या धरोहर का मतलब सिर्फ पुराने या खंडहर हो चुके भवन किले आदि से नहीं है। हमारी भाशा साहित्य, कला, संस्कृति, लोक गीत, वन व संयुक्त परिवार आदि भी हमारी विरासत के अंग है" - यह कहना है प्रख्यात इतिहासविद प्रो केएस गुप्ता का। वे जनार्दनराय नागर राजस्थान विद्यापीठ की ओर से विष्व विरासत दिवस के अवसर पर आयोजित संगोष्ठी को संबोधित कर रहे थे।
“विरासत या धरोहर का मतलब सिर्फ पुराने या खंडहर हो चुके भवन किले आदि से नहीं है। हमारी भाशा साहित्य, कला, संस्कृति, लोक गीत, वन व संयुक्त परिवार आदि भी हमारी विरासत के अंग है” – यह कहना है प्रख्यात इतिहासविद प्रो केएस गुप्ता का। वे जनार्दनराय नागर राजस्थान विद्यापीठ की ओर से विश्व विरासत दिवस के अवसर पर आयोजित संगोष्ठी को संबोधित कर रहे थे।
द इंस्टीटयूट ऑफ राजस्थान स्टडीज, साहित्य संस्थान के सेमिनार हॉल में शहर के प्रमुख इतिहासकारों ने भाग लिया। संस्थान के निदेशक डा जीवनसिंह खरकवाल ने कहा कि सरकार और विश्वविद्यालय को अपने स्तर पर भी सक्रिय रूप से कार्य करना होगा, तभी संरक्षण की अलख जगाई जा सकती है।
पिछले एक वर्ष में संस्थान द्वारा किये गये पुरातात्विक कार्यों का लेखा जोखा स्लाईड शो द्वारा प्रस्तुत किया, उन्होंने सोम-गोमती की घाटियों में खोजे गये अहड़ संस्कृति के नवीन चरित्र तथा वाठेड़ा, घणोली व धारेश्वर में पाषाणकालीन चित्रकला से स्पष्ट किया कि मेवाड़ में पाषाणकाल से ऐतिहासिक काल तक के कला अवशेष हैं।
इतिहासविद प्रो राजशेखर व्यास ने कहा कि हमारे देश में विरासत ही है, जो आज भी अपनी अनूठी पहचान लिए हुए है। संयुक्त परिवार भी इस श्रेणी में आता है। आदिकाल से जो लोग इन्हीं परिवारों में रहते थे। वर्तमान दौर विपरीत हो चला है, भ्रष्टाचार बढा है। कहा जा सकता है कि विरासत के साथ छेडछाड या परिवर्तन करने के भयंकर परिणाम हो सकत हैं। अतः इसका संरक्षण अनिवार्य हो जाता है।
संगोष्ठी का संचालन डॉ कुलशेखर व्यास ने किया तथा आभार रोशन रेगर ने ज्ञापित किया। इस अवसर पर डॉ विष्णु माली, अनिता पंचोली, रमेश प्रजापत, तृप्ता जैन, संगीता जैन, देवेन्द्र कुमार, भगवानदास, डॉ रेखा द्विवेदी सहित कई शोधार्थी उपस्थित थे।
To join us on Facebook Click Here and Subscribe to UdaipurTimes Broadcast channels on GoogleNews | Telegram | Signal